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किसानों पर बड़ी खबर: लापता के लिए बनाई गई कमेटी, जारी हुआ मोबाइल नंबर

गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर रैली के लिए निकले कई किसान गायब है। लापता किसानों के बारे में सयुंक्त किसान मोर्चा ने दावा किया है कि उनके 100 से ज्यादा किसानों के बारे में कोई सूचना नहीं मिल रही है।

Chitra Singh
Published on: 1 Feb 2021 3:05 PM IST
किसानों पर बड़ी खबर: लापता के लिए बनाई गई कमेटी, जारी हुआ मोबाइल नंबर
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किसानों पर बड़ी खबर: लापता के लिए बनाई गई कमेटी, जारी हुआ मोबाइल नंबर

नई दिल्ली: देश की राजधानी में 26 जनवरी के दिन किसानों द्वारा निकली गई ट्रैक्टर रैली में कई किसानों के गायब होने की खबर सामने आई है। जानकारी के अनुसार, संयुक्त किसान मोर्चा के करीब 100 किसान गायब हैं। इन लापता किसानों के बारे में पता लगाने के लिए पांच सदस्यों की टीम गठित की गई है। ये टीम उन लापता किसानों के बारे में पता लगाकर आगे की कार्रवाई भी करेगी।

गायब हुए 100 किसान

आपको बता दें कि गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर रैली के लिए निकले कई किसान गायब है। लापता किसानों के बारे में सयुंक्त किसान मोर्चा ने दावा किया है कि उनके 100 से ज्यादा किसानों के बारे में कोई सूचना नहीं मिल रही है। वहीं आज बजट की प्रक्रिया खत्म होने पर सयुंक्त किसान मोर्चा आगे की रणनीति तैयार करने के लिए बैठक करेगी। जानकारी के मुताबिक, इस बैठक में सरकार पर दबाव बनाने और आंदोलन को आगे बढ़ाने पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा गायब किसानों के विषय पर भी चर्चा होगी।

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मामले की जानकारी के लिए गठित हुई कमेटी

खबरों के मुताबिक, 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली में गायब किसानों का पता लगाने के लिए पांच सदस्यों की कमेटी बनाई गई, जिसमें प्रेम सिंह भंगू, राजिंदर सिंह दीप सिंह वाला, अवतार सिंह, किरणजीत सिंह सेखो व बलजीत सिंह शामिल है। वहीं लापता किसानों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए किसान संगठन की ओर से एक मोबाइल नबंर जारी किया गया है। यह नबंर है- 8198022033।

missing farmers

संगठन ने की सरकार की कड़ी निंदा

आपको बता दें कि बढ़ते आंदोलन को देखते हुए कई इलाकों की इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। इंटरनेट सेवा पर पाबंदी लगने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार की कड़ी निंदा की गई है। सयुंक्त किसान मोर्चा ने कहा, “सरकार नहीं चाहती कि वास्तविक तथ्य किसानों और सामान्य जनता तक पहुंचे। न ही उनका शांतिपूर्ण आचरण दुनिया तक पहुंचे। सरकार किसानों के चारों ओर अपना झूठ फैलाना चाहती है। यह विभिन्न धरना स्थलों पर किसान यूनियनों के समन्वित कार्य से भी डरती है और उनके बीच संचार साधनों में कटौती करने की कोशिश कर रही है। यह अलोकतांत्रिक और अवैध है।”

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