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बिहार चुनाव में मोदी मैजिक पर टिकी नजर, नीतीश के साथ मिलकर डालेंगे बड़ा असर
बिहार में इस बार मोदी मैजिक के असर पर सबकी नजर टिकी हैं। 23 अक्टूबर से चुनावी बुखार चरम पर होगा जब पीएम मोदी खुद एनडीए के लिए वोट मांगने चुनाव मैदान में उतरेंगे।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव में अब सबकी नजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैलियों पर टिकी है। प्रधानमंत्री 23 अक्टूबर से बिहार में अपने चुनावी अभियान की शुरुआत करेंगे और उनके साथ मंच पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी होंगे।
ऐसे में सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि इस बार के चुनाव में मोदी मैजिक कितना कारगर साबित होगा। बिहार में 23 अक्टूबर से चुनावी बुखार चरम पर होगा जब पीएम मोदी खुद एनडीए के लिए वोट मांगने चुनाव मैदान में उतरेंगे। बिहार में मोदी की 12 रैलियों का कार्यक्रम तय किया गया है।
पिछली बार नीतीश के खिलाफ मांगा था वोट
बिहार विधानसभा के 2015 में हुए चुनाव के दौरान मोदी प्रधानमंत्री के रूप में एनडीए के लिए वोट मांगने चुनाव मैदान में उतरे थे। उस समय पूरे देश में मोदी की लोकप्रियता चरम पर थी। हालांकि उस चुनाव के दौरान मोदी ने नीतीश कुमार के खिलाफ वोट मांगा था क्योंकि नीतीश राजद और कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव मैदान में उतरे थे।
बड़ा फैक्टर बन सकती है मोदी-नीतीश की जोड़ी
पिछले चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री की तमाम कोशिशों के बावजूद मोदी फैक्टर भाजपा के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित नहीं हुआ था मगर इस बार के चुनाव में सारी स्थितियां बदली हुई हैं। इस बार मोदी नीतीश के खिलाफ नहीं बल्कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट मांगेंगे। ऐसे में मोदी और नीतीश की जोड़ी एनडीए के लिए बड़ा फैक्टर साबित हो सकती है।
पीएम की रैलियों का बेसब्री से इंतजार
नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए धुंआधार चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है और भाजपा नेता भी अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार में जुट गए हैं।
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ऐसे में प्रधानमंत्री की चुनाव की रैलियों का बिहार में बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी मोदी मैजिक बिहार चुनाव में कितना कारगर साबित हो पाता है।
इसलिए बड़ा असर डाल सकते हैं मोदी
बिहार की सियासत पर करीबी नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि बिहार में तीन बड़ी राजनीतिक ताकतें हैं जनता दल यू, राजद और भाजपा। इसके साथ ही कांग्रेस भी चुनावी समीकरणों को उलटने-पलटने में लगी हुई है।
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बिहार की सियासत ऐसी है कि कोई पार्टी अकेले सत्ता में आने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में बड़े दलों ने सत्ता के गलियारे तक पहुंचने के लिए एक दूसरे से गठबंधन कर रखा है।
मोदी और नीतीश मिलकर बिहार चुनाव में बड़ा फैक्टर साबित हो सकते हैं क्योंकि एक चेहरा पूरे देश का है जबकि दूसरा चेहरा बिहार का है। ऐसे में मोदी और नीतीश की जोड़ी बिहार चुनाव में बड़ा गुल खिलाने में कामयाब साबित हो सकती है।
एनडीए उम्मीदवारों को होगा फायदा
जानकारों के मुताबिक मोदी और नीतीश के एक साथ मंच पर होने का फायदा एनडीए को जरूर मिलेगा। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं की अपनी लोकप्रियता है।
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इसके साथ ही दोनों पर सत्ता में लंबे समय तक रहने के बावजूद भ्रष्टाचार के कोई दाग नहीं लगे हैं। यदि नीतीश अकेले लड़ते तो उन्हें सत्ता विरोधी लहर का सामना भी करना पड़ सकता था मगर भाजपा के साथ हाथ मिलाने के बाद वे चुनाव में पूरी मजबूती से डटे हुए दिख रहे हैं।
चिराग के खेल पर भी सबकी नजर
मोदी का फैक्टर भाजपा प्रत्याशियों के लिए भी काफी कारगर साबित होगा। पार्टी की ओर से पीएम मोदी का नाम भुनाने की पूरी कोशिश की जा रही है। दूसरी और लोजपा के मुखिया चिराग पासवान लगातार नीतीश पर हमला करने और मोदी की तारीफ करने में जुटे हुए हैं।
भाजपा नेताओं की ओर से लगातार इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं कि लोजपा के एनडीए से बाहर होने के बाद अब लोजपा से भाजपा का कोई लेना देना नहीं और लोजपा को पीएम मोदी की तस्वीरों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
कई सीटों पर जदयू को नुकसान पहुंचाएगी लोजपा
सियासी जानकारों के मुताबिक अभी यह कहना मुश्किल है कि लोजपा उम्मीदवारों पर खड़े होने से चुनाव पर कितना असर पड़ेगा। वैसे लोजपा की ओर से जदयू कोटे वाली सीटों पर प्रत्याशी उतारे गए हैं।
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लोजपा ने भाजपा के कुछ बागियों को भी चुनाव मैदान में उतार दिया है। लोजपा उम्मीदवारों के उतरने से निश्चित रूप से उन सीटों पर जदयू को नुकसान उठाना पड़ सकता है जहां कड़े मुकाबले की स्थिति दिख रही है।
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