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Cancer Vaccine: टीकों ने बहुत की है हिफाज़त, अब कैंसर को भी हराएंगे

Cancer Vaccine: अब कैंसर और हृदय रोग से बचाव की उम्मीद बनी है। शोधकर्ता अपने संसाधनों को हृदय रोग और कैंसर के लिए टीके बनाने में लगा रहे हैं। कोरोना का टीका बनाने वाली कंपनियों में शुमार दिग्गज बायोटेक कंपनी 'मॉडर्ना' का दावा है कि यह 2030 तक इन्हें तैयार कर सकती है।

Neel Mani Lal
Published on: 17 May 2023 5:01 AM IST
Cancer Vaccine: टीकों ने बहुत की है हिफाज़त, अब कैंसर को भी हराएंगे
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टीका से अब कैंसर को भी हराएंगे: Photo- Social Media

Lucknow: हमारे बीच वैक्सीन यानी टीके का आगमन 1796 में हुआ था जब पहला सफल "काउपॉक्स" टीका आया। तब से टीकाकरण हमारे चारों ओर फैले वाले अदृश्य जीवाणुओं और विषाणुओं से होने वाले खतरनाक संक्रमणों के खिलाफ हमारे सबसे शक्तिशाली उपकरणों में से एक बन गया है। काउपॉक्स के टीके के बाद से पिछली कुछ शताब्दियों में, समाज स्वस्थ जीवन शैली, बेहतर स्वच्छता और तेजी से मजबूत स्वास्थ्य देखभाल की ओर बढ़ गया है और इसके चलते हमारी औसत जीवन प्रत्याशा में लगातार वृद्धि हो रही है। इसके बावजूद, कैंसर और हृदय रोग जैसी घातक बीमारियों के मामलों में भी नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है। और जैसे-जैसे आबादी बढ़ती गई है ये स्थितियाँ और भी अधिक कॉमन हो गई हैं। इन बीमारियों से बचाव के लिए संघर्ष अब भी जारी है।

उम्मीद की किरण

अब कैंसर और हृदय रोग से बचाव की उम्मीद बनी है। शोधकर्ता अपने संसाधनों को हृदय रोग और कैंसर के लिए टीके बनाने में लगा रहे हैं। कोरोना का टीका बनाने वाली कंपनियों में शुमार दिग्गज बायोटेक कंपनी 'मॉडर्ना' का दावा है कि यह 2030 तक इन्हें तैयार कर सकती है।

इम्यून सिस्टम का खेल

कैंसर कई कारणों से बन सकता है - जेनेटिक म्यूटेशन, पर्यावरणीय कारक, या संयोग से भी। कैंसर की स्टडी इसी वजह से मुश्किल भी बन जाती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, तकनीकी रूप से हर कैंसर अलग होता है। चूंकि ट्यूमर असामान्य कोशिका वृद्धि से उत्पन्न होते हैं, इसलिए हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली अक्सर उन्हें खतरे के रूप में नहीं पहचानती है और उनके खिलाफ शरीर की रक्षा करने में विफल रहती है। हालांकि हाल के वर्षों में शोधकर्ताओं ने हाई-टेक शॉट्स के साथ नए नए उपचार विकसित करने में प्रगति की है। निवारक उपाय के रूप में टीके आम तौर पर संक्रामक रोगों के खिलाफ काम करते हैं। लेकिन कैंसर का टीका किसी व्यापक उपचार के हिस्से के रूप में बहुत अलग तरीके से काम करेगा। कुछ इम्यूनोथेरेपी का एक नया, संभावित रूप से अधिक प्रभावी रूप पेश करेंगे, जो इन बीमारियों से निपटने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रशिक्षित करता है।

क्या होगी वैक्सीन की भूमिका

स्टैनफोर्ड इंस्टीट्यूट ऑफ सेल बायोलॉजी एंड रीजेनरेटिव मेडिसिन के निदेशक रवि मजेती ने बताया है कि डॉक्टर मौजूदा कैंसर उपचारों जैसे रेडिएशन या कीमोथेरेपी के कॉम्बिनेशन में रोगियों को ये टीके दे सकते हैं, ताकि जीवित रहने की संभावना बढ़ सके। मजेती ने कहा कि कैंसर टीकाकरण बीमारी को रोकने के बारे में नहीं होगा बल्कि यह उन व्यक्तियों का टीकाकरण करने के बारे में है जो कैंसर से पीड़ित हैं। टीकाकरण इसलिए होगा ताकि कैंसर के खिलाफ मजबूत प्रतिक्रिया विकसित करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली प्राप्त करने की कोशिश की जा सके। यानी ये टीका इलाज की तरह काम करेगा।

मॉडर्ना की वैक्सीन

मॉडर्न के शॉट्स शरीर को एंटीजन नामक अणुओं को बनाना सिखाने का काम करेंगे। और इसके लिए वह एमआरएनए नामक एक प्रकार की जेनेटिक सामग्री का उपयोग करेंगे। यह प्रक्रिया संभावित रूप से रोगी के कैंसर कोशिकाओं की बायोप्सी लेने और उन म्यूटेशनों को ढूंढने के लिए प्रयोगशाला में जीन सीक्वेंसिंग करने से शुरू होगी।

फिर, प्रतिरक्षा कोशिकाएं टीके द्वारा शुरू किए गए एमआरएनए को ट्यूमर में पाए जाने वाले समान प्रोटीन के टुकड़ों में बदल देती हैं, और वे अन्य प्रतिरक्षा कोशिकाओं को उसी प्रोटीन को ले जाने वाली कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने का निर्देश देती हैं।

दूसरी कंपनियां भी कर रहीं काम

कोरोना शॉट्स के लिए जानी जाने वाली अन्य दवा कंपनियां भी कैंसर का टीका बनाने की राह में रही हैं। बायोएनटेक ने हाल ही में अग्नाशय के कैंसर के लिए एक टीका बनाया है जो एमआरएनए पर भी निर्भर करता है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि जिनको ये टीका लगाया गया उनमें से आधे मरीजों में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया शुरू हो गई। और इन मरीजों में लगभग 18 महीनों में रिलैप्स का कोई संकेत नहीं दिखा।

हृदय रोग का टीका

असमय मृत्यु के एक अन्य सामान्य कारण हृदय रोग से निपटने के लिए भी प्रयोगशालाएँ टीकों पर काम कर रही हैं। लगभग एक दशक पहले, हार्वर्ड विश्वविद्यालय की एक टीम ने घोषणा की थी कि वे एक-इंजेक्शन आधारित जीनोम एडिटिंग तकनीक पर काम कर रहे हैं जो चूहों में कोलेस्ट्रॉल को लगभग 35 से 40 प्रतिशत तक कम करने में मदद कर सकती है। मनुष्यों में, यह संभावित रूप से दिल के दौरे के जोखिम को 90 प्रतिशत तक कम कर सकता है। तब से दुनिया भर के वैज्ञानिक दिल की बीमारी के टीके के लिए जुटे हैं। इस दिशा में लिवर में मौजूद "पीसीएसके 9" नामक एक जीन को टारगेट किया गया है। यह जीन शरीर को बताता है कि वह प्रोटीन कैसे बनाया जाए जो खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को नियंत्रित करता है। कुछ लोगों में इस जीन में म्यूटेशन हो जाता है जो उन्हें हृदय रोग के बड़े जोखिम में डाल देता है।

बहरहाल, चाहे कैंसर हो या हृदय रोग, टीकों पर काम चल रहा है। जनता तक इनकी पहुंच आने में वक्त लगेगा क्योंकि टीके डेवलप होने के बाद नियामकों से मंजूरी का सिलसिला शुरू होगा। लेकिन कोरोना के टीके की तरह यह भी मुमकिन है कि बहुत कम समय में कोई बहुत बड़ी उपलब्धि हमारे सामने हो।



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Neel Mani Lal

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