
डरे नहीं... बर्ड फ्लू का है इलाज, यहां जानें टेस्ट से लेकर ट्रीटमेंट के बारें में सबकुछ (फोटो: सोशल मीडिया)
लखनऊ: एवियन इन्फ्लूएंजा यानी बर्ड फ्लू लगातार पांव पसार रहा है और अब देश के नौ राज्यों में फैल चुका है। केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, गुजरात और उत्तर प्रदेश के बाद अब दिल्ली और महाराष्ट्र में भी बर्ड फ्लू ने दस्तक दे दी है। दिल्ली में लिए गए सैंपलों में से 8 की पुष्टि हो गई है।
बर्ड फ्लू फैलने के केस सामने आने के बाद से लोग बेहद डरे हुए हैं। इसे जुड़े तमाम तरह के सवाल उनके मन में उठ रहे हैं। सवाल कि क्या बर्ड फ्लू का इलाज है?
अगर किसी को बर्ड फ्लू हो जाता है तो उसे कहां पर इलाज मिलेगा। इसकी जांच कैसी होती है। सरकार की इसको लेकर क्या तैयारी है। तो आइए जानते हैं कि ऐसे तमाम सवालों के जवाब।
आखिर क्यों बढ़ता ही जा रहा है बर्ड फ्लू, क्या हैं ताजा हालात और सरकार की तैयारी

बर्ड फ्लू के लिए कौन सी जांच है?
बहुत कम लोग ये बात जानते हैं, यदि किसी मरीज को बर्ड फ्लू है या नहीं इसकी जांच डॉक्टर पॉलीमिरेज चेन रिएक्शन (Polymerase Chain Reaction – PCR) के जरिए करते हैं।
इस टेस्ट से पता चलता है कि आपके शरीर में बर्ड फ्लू के वायरस का न्यूक्लिक एसिड है या नहीं। इसके आधार पर डॉक्टर ये पता करते हैं कि इंसान के शरीर में किस तरह का बर्ड फ्लू वायरस है।
यानी H5N1 है या H7N9 या कोई और वायरस है। अगर ऐसे पता नहीं चलता तो डॉक्टर खून की जांच करके एंटीबॉ़डी का पता लगाते हैं।
बर्ड फ्लू के वायरस का पता कैसे लगाते हैं और क्या है इसका इलाज?
बर्ड फ्लू की जांच के लिए डॉक्टर मरीज के व्हाइट ब्लड सेल्स और नाक से नमूना लेकर जांच करते हैं।
इसके अलावा चेस्ट एक्स-रे करते हैं और सांस लेने पर निकलने वाली आवाज भी जांचते हैं।
बर्ड फ्लू के अलग-अलग वायरस के लक्षण भी अलग हो सकते हैं। लक्षणों के मुताबिक, इलाज बदलता है। आमतौर पर एंटीवायरल दवाओं से इलाज किया जाता है।
इसमें ओसेल्टामिविर पेरामिविर और जानामिविर जैसी एंटी वायरल दवाओं का उपयोग किया जाता है ओसेल्टामिविर को टेमीफ्लू नाम से भी जाना जाता है। जबकि, जानामिविर को रिलेंजा नाम से भी जानते हैं।

यूपी में बर्ड फ्लू का इलाज कहां पर मिलेगा, क्या है स्वास्थ्य विभाग की तैयारी?
उत्तर प्रदेश के महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डॉ. डीएस नेगी ने बताया स्वास्थ्य महानिदेशालय की स्टेट लैब के साथ-साथ प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में बर्ड फ्लू की जांच की व्यवस्था है।
स्वास्थ्य विभाग ने बर्ड फ्लू से संक्रमित मरीजों के लिए प्रदेश के सभी अस्पतालों में अलग आइसोलेशन वार्ड बनाने के निर्देश दिए हैं। जल्द ही आइसोलेशन वार्ड तैयार किए जाएंगे और व्यक्ति में संक्रमण का पता चलने पर उन्हें पूरी सावधानी के साथ भर्ती किया जाएगा।
मेडिकल कॉलेजों में भी भर्ती के लिए आइसोलेशन वार्ड तैयार करने के निर्देश दिए गये हैं। फिलहाल बर्ड फ्लू के रोगियों के लिए आइसोलेशन वार्ड व इसके लक्षण वाले लोगों की जांच के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं।

बर्ड फ्लू होने पर नजर आते हैं ये लक्षण
बुखार आना, नाक बहना, डायरिया, पेट में दर्द होना, मांसपेशियों का टूटना, गले में खराश, शरीर में चुभन, थकान व कमजोरी महसूस होना आदि।
बर्ड फ्लू से बचने का तरीका
बर्ड फ्लू से बचने का सबसे आसान तरीका है संक्रमित पक्षियों, इलाकों से खुद को दूर रखें। क्योंकि बर्ड फ्लू का वायरस पक्षियों के थूक, स्वैब और मल में होता है। इसलिए संक्रमित इलाके से दूर रहने में ही भलाई है। क्योंकि इसका वायरस इंसानी शरीर में आंखों, नाक या मुंह के जरिए जा सकता है। हवा के साथ ये वायरस तैरते रहते हैं।
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क्या बर्ड फ्लू फैलने के बाद भी मुर्गी या अंडा खाया जा सकता है?
यूपी या देश भर में आप कही पर भी हैं और वहां पर बर्ड फ्लू फैला हुआ है उसके बाद भी अगर आपको मुर्गी या अंडा खाने का मन है तो आप बिना डरे उसे खा सकते हैं। बशर्ते आपको उसे कायदे से पकाना होगा।
अगर अच्छे से पोल्ट्री उत्पाद नहीं पकाए गए तो आपको बर्ड फ्लू के अलावा कई अन्य तरह की बीमारियां भी होने की आशंका रहती है। जिस तरह से भारत में बर्ड फ्लू फैल रहा है, ऐसे में आपको चाहिए कि आप पोल्ट्री फार्म्स न जाएं, उन राज्यों में न जाएं जहां बर्ड फ्लू फैला हुआ है। बाहर से पका हुआ पोल्ट्री उत्पाद न खाएं। साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें।

सबसे ज्यादा किन्हें सर्तक रहने की जरूरत है?
बर्ड फ्लू होने का खतरा सबसे ज्यादा पोल्ट्री उत्पाद का व्यवसाय करने वाले लोगों, किसानों, संक्रमित इलाके में आने-जाने वाले लोगों, सही से नहीं पके मुर्गे या अंडा खाने वालों को, स्वास्थ्यकर्मी जो बर्ड फ्लू संक्रमित लोगों का इलाज कर रहे हैं और संक्रमित व्यक्ति के घर के सदस्यों को रहता है। इसलिए बर्ड फ्लू से सतर्क रहने की जरूरत है।
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