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Birthday Special: प्रियंका ऐसे बनीं 21वीं सदी की इंदिरा, जानें जिंदगी के अनछुए पल

कुछ साल पहले प्रियंका रॉबर्ट वाड्रा ने एक साक्षात्कार में कहा था, "16 -17 के उम्र में मुझे लगता था कि मुझे जिंदगी में राजनीति ही करनी है। लेकिन जिंदगी में इतना कुछ देखने के बाद मैंने यह तय किया कि मैं राजनीति में नहीं जाऊंगी।"

Chitra Singh
Published on: 12 Jan 2021 10:17 AM IST
Birthday Special: प्रियंका ऐसे बनीं 21वीं सदी की इंदिरा, जानें जिंदगी के अनछुए पल
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Birthday Special: प्रियंका ऐसे बनीं 21वीं सदी की इंदिरा, जानें जिंदगी के अनछुए पल

लखनऊ: कभी राजनीति को ना कहने वाली प्रियंका गांधी वाड्रा आज कांग्रेस की उम्मीद बनकर राजनीति में उतरी हैं। बता दें कि कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा का आज (12 जनवरी) जन्मदिन हैं। चलिए, इस खास मौके पर प्रियंका गांधी से जुड़ें कुछ अनछुए पहलुओं पर नजर डालते हैं...

मैं राजनीति में नहीं आऊंगी- प्रियंका

कुछ साल पहले प्रियंका रॉबर्ट वाड्रा ने एक साक्षात्कार में कहा था, "16 -17 के उम्र में मुझे लगता था कि मुझे जिंदगी में राजनीति ही करनी है। लेकिन जिंदगी में इतना कुछ देखने के बाद मैंने यह तय किया कि मैं राजनीति में नहीं जाऊंगी। 1999 के लोकसभा चुनाव में यह सवाल जरूर आया थी कि मुझे चुनाव लड़ना चाहिए, लेकिन मैंने तय किया कि मैं राजनीति में नहीं आऊंगी।"

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प्रियंका का पहला सार्वजनिक भाषण

आज प्रियंका गांधी कांग्रेस की महासचिव हैं और पार्टी की सबसे बड़ी उम्मीद भी। 16 साल की उम्र में अपना पहला सार्वजनिक भाषण देने वाली प्रियंका गांधी की ओर आज पूरा कांग्रेस देख रहा है। जब प्रियंका गांधी को कांग्रेस की महासचिव बनाकर पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी दी गई तो कहा जाने लगा कि प्रियंका ने जानबूझकर यह जिम्मेदारी ली है। तब इलाहाबाद में प्रियंका के लिए एक पोस्टर लगवाया गया। पोस्टर में लिखा था,"जनता का संदेश सुनो, ग्राउंड जीरो से शुरुआत करो, कांग्रेस एक इंकलाब का रथ, मैया दो आदेश, प्रियंका बढ़ाएं कांग्रेस का कद, यूपी में अग्निपथ... अग्निपथ...अग्निपथ, आ जाओ प्रियंका, छा जाओ प्रियंका।"

ALAHABAD POSTER

इंदिरा गांधी से मिलते हैं प्रियंका के गुण

राजनीति में आने से पहले प्रियंका गांधी की तुलना दादी इंदिरा से की जाती थी। कहते हैं खुद इंदिरा गांधी चाहती थी कि प्रियंका गांधी राजनीति में आए। इंदिरा गांधी जैसे हेयर कट, उनके जैसे साड़ियों में जो कोई भी प्रियंका को देखता है, उसे लगता है कि उसने इंदिरा को देख लिया। बहुत कम लोगों को मालूम है कि इंदिरा गांधी और प्रियंका के नाक एक जैसे हैं। एक जैसी साड़ी के अलावा जो चीज प्रियंका को इंदिरा गांधी के करीब ले जाती है, वो है उनका बोलने का अंदाज और उनकी निडरता। प्रियंका गांधी से जुड़ा एक किस्सा है, जो यह बताता है कि इंदिरा जैसे बाल और उनके जैसा साड़ी पहनने का इतर भी राजनीतिक रूप से भी प्रियंका गांधी इंदिरा गांधी के कितने करीब हैं।

साल 1999, लोकसभा चुनाव का प्रचार

1999 का साल था और लोकसभा चुनाव का प्रचार अपने शबाब पर था। रायबरेली सीट पर कांग्रेस ने कैप्टन सतीश शर्मा को टिकट दिया था, जो गांधी परिवार के काफी नजदीकी बताए जाते हैं। सतीश शर्मा के सामने थे और अरुण नेहरू। अरुण रिश्ते में राजीव गांधी के भाई थे।

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इंदिरा दादी की प्रियंका करती है हमेशा तारीफ

उसी चुनाव में 27 साल की लड़की (प्रियंका गांधी) भाषण देते हुए कहती है, "ये इंदिरा जी की कर्मभूमि है। भारत की उस बेटी की कर्मभूमि है, जिस पर मुझे सबसे ज्यादा गर्व है। वो सिर्फ मेरी दादी नहीं थी, भारत की करोड़ों जनता की मां समान थी। वो उस परिवार के सदस्य थी, जिसने आपको काम करके दिखाया, जिसने आपको विकास करके दिखाया। जिसके दिल में आपके लिए दर्द था और हमेशा रहेगा। आपने एक ऐसे शख्स को अपने क्षेत्र में आने कैसे दिया? जिसने मेरे परिवार के साथ हमेशा गद्दारी की, जिसने मेरे पिताजी के मंत्रिमंडल में रहते हुए उनके खिलाफ साजिश की, जिसने कांग्रेस में रहते हुए सांप्रदायिक शक्तियों के साथ हाथ मिलाया, जिसने अपने भाई की पीठ में छोरी मारी है। वह कभी आपके लिए निष्ठा के साथ काम नहीं कर सकता। उसको पहचानिएं। उसका जवाब दीजिए, मैं मांगती हूं आपसे यह जवाब।"

प्रियंका गांधी पर टिकी लोगों की नजर

भाषण खत्म होते ही लोग प्रियंका गांधी में इंदिरा को देखना शुरू कर देते हैं। तब से हर कोई उन में इंदिरा का अश्क देखने लगता है। चुनाव में अरुण नेहरू की बुरी तरह से हार हुई। वह चौथे नंबर पर थे। विरोधियों की ऐसी दुर्दशा किसी जमाने में इंदिरा गांधी किया करती थी। साल 1999 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी सोनिया गांधी के लिए प्रचार करने गई थी। हजारों की भीड़ थी और 300 पत्रकार सोनिया के रैली को कवर करने गए थे और सबकी नजरें प्रियंका गांधी पर टिकी हुई थी। उस घटना के समय रैली को कवर कर रही एक महिला पत्रकार कहती हैं, "भीड़ में खड़ी एक बूढ़ी महिला से मैंने पूछा बिलारी (मुरादाबाद, यूपी) में कौन आ रहा है, तो उस बूढ़ी औरत ने कहा- इंदिरा अम्मा।"

PRIYANKA-INDIRA

दादी का पड़ा प्रियंका पर गहरा प्रभाव

खुद एक इंटरव्यू में प्रियंका गांधी अपनी दादी के प्रभाव के बारे में कहती हैं, "बचपन में मेरे पर मेरी दादी का गहरा प्रभाव रहा। वह बहुत ताकतवर महिला थी और हमारे घर की मुखिया भी। मैं भी उनकी तरह बनना चाहती थी, इसी वजह से लंबे समय तक मैं मेरी पहचान को लेकर उलझन में भी रही।" प्रियंका गांधी राजनीति में उस वक्त आई हैं जब कांग्रेस अपना वजूद बचाने के लिए जंग लड़ रहा है। कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को क्या मालूम है कि प्रियंका गांधी इतनी के आसानी से हार हर नहीं मानने वाली है। विरोधियों को जवाब देने का अंदाज भी उन्हें इंदिरा के करीब ले जाता है।

मेरे पिता राजीव गांधी हैं- प्रियंका

चुनाव का वक्त था और तब पीएम मोदी ने प्रियंका गांधी के बारे में कहा था कि वह तो मेरी बेटी जैसी है। एक रिपोर्टर ने प्रियंका गांधी से इस पर प्रतिक्रिया मांगी तो प्रियंका ने कहा, " मेरे पिता राजीव गांधी हैं, जो देश के लिए शहीद हुए हैं और मेरे दिल में और मेरे मन में कभी उनकी कंपैरिजन किसी भी और इंसान के साथ नहीं हो सकता।"

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इंदिरा जैसी कठोरता, चाचा नेहरू जैसी उदारता

जिस अरुण नेहरू के खिलाफ प्रियंका ने धारदार भाषण दिया था, उन्हीं अरुण नेहरू को प्रियंका के बेटे ने मुखाग्नि दी थी। यह प्रियंका के व्यक्तित्व का एक ऐसा पहलू है, जो ये दिखाता है कि प्रियंका में अगर इंदिरा जैसी कठोरता है तो चाचा नेहरू जैसी उदारता भी है।

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