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अशोक चक्रधर जो हैं अपने आप में बेजोड़, शब्द शब्द है प्रखर

साहित्य साधना अशोक चक्रधर को विरासत में मिली यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी उनके पिता डॉ. राधेश्याम प्रगल्भ खुद अच्छे कवि व पत्रकार रहे। इसलिए पत्रकारिता और कविता तथा लेखन तो उन्हें डीएनए में मिला।

Roshni Khan
Published on: 8 Feb 2021 1:06 PM IST
अशोक चक्रधर जो हैं अपने आप में बेजोड़, शब्द शब्द है प्रखर
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अशोक चक्रधर जो हैं अपने आप में बेजोड़, शब्द शब्द है प्रखर (PC: social media)

रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ: हास्य व्यंग्य के सम्राट अशोक चक्रधर अपने आप में बेजोड़ हैं। आठ फरवरी 1951 को खुर्जा में जन्मा ये कवि लेखक आज भी केंद्रीय हिन्दी संस्थान व हिन्दी अकादमी के जरिये अपनी अलख जगाए हुए है। उनकी 70वीं जयंती पर उनके बारे में क्या कहा जाए वह भी उनकी कविता यात्रा की स्वर्ण जयंती पर क्योंकि 1960 में उन्होंने तत्कालीन रक्षामंत्री कृष्णा मेनन को अपनी पहली कविता सुनाई थी। साहित्य साधना अशोक चक्रधर को विरासत में मिली यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी उनके पिता डॉ. राधेश्याम प्रगल्भ खुद अच्छे कवि व पत्रकार रहे। इसलिए पत्रकारिता और कविता तथा लेखन तो उन्हें डीएनए में मिला। उन्होंने नाटक, धारावाहिक, वृत्तचित्रों आदि का न सिर्फ लेखन किया बल्कि अध्यापन के साथ साथ इनसे जुड़े भी रहे।

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Ashok chakradhar Ashok chakradhar (PC: social media)

पद्मश्री शरद जोशी ने कहा

आज इनके परिचय से ज्यादा ये जानना जरूरी है कि लोग इनके बारे में क्या कहते हैं। पद्मश्री शरद जोशी ने कहा था ''अशोक की कहन में बड़ी शक्ति है और यह हमारी भाषा की, हमारे देश की और हमारी जनता की शक्ति है।''

पद्मश्री काका हाथरसी ने भी कविता में ही कहा '' 'चक्रधर' चक्र घुमाया हास्य-व्यंग्य के रंग में, करें करारी चोट, कविसम्मेलन-मंच पर, 'घुमा दिया लंगोट'। घुमा दिया लंगोट, न झुककर देखा नीचे, आगे थे जो 'काका' छूट गए वे पीछे। सभी चकित रह गए 'चक्रधर' चक्र घुमाया, अल्प समय में, अल्प आयु में नाम कमाया।''

माया गोविन्द ने कहा ''वो कल्पना-प्रभात हैं है जिसके काव्य में असर जो है प्रकाश सा प्रखर जो शब्द-शब्द है प्रखर

वो है 'अशोक चक्रधर'।''

हुल्लड़ मुरादाबादी का कहना है

हुल्लड़ मुरादाबादी का कहना है ''बहुमुखी प्रतिभा के धनी, शब्दों के जादूगर अशोक चक्रधर का कृतित्व अपने-आपमें एक करिश्मा है।'' हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा कुछ यूं कहते हैं ''अंग्रेज़ी में एक कहावत है 'जैक ऑफ़ ऑल, मास्टर ऑफ़ नन'। अशोक चक्रधर मंचीय काव्य-जगत में एकमात्र ऐसा नाम है, जिसने इस कहावत को झूठा साबित करके दिखा दिया है। वह 'जैक ऑफ़ ऑल' भी हैं तथा 'मास्टर ऑफ़ ऑल' भी हैं।'' जावेद अख्तर का कहना है, ''जैसे शायरी ज़िंदगी के होठों की हल्की सी मुस्कान है, उसी तरह शायरी के होठों पर जो हल्की सी मुस्कान है, उसका नाम 'अशोक चक्रधर' है।''

Ashok chakradhar Ashok chakradhar (PC: social media)

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अल्हड़ बीकानेरी को सुनें तो वो कहते हैं ''हर अंजुमन में वो आली जनाब होता है, गुलों के बीच महकता गुलाब होता है। जो लाजवाब समझते हैं खुद को ऐ 'अल्हड़', अशोक चक्रधर उनका जवाब होता है।''

कुल मिलाकर अशोक चक्रधर की उम्मीदों की उड़ान में उनकी कविता का आनंद लें

नई भोर

खुशी से सराबोर होगी

कहेगी मुबारक मुबारक

कहेगी बधाई बधाई

आज की रंगीन हलचल

दिल कमल को खिला गई

मस्त मेला मिलन बेला

दिल से दिल को मिला गई

रात रानी की महक

हर ओर होगी

कल जो नई भोर होगी

खुशी से सराबोर होगी।

कहेगी बधाई बधाई!

चांदनी इस नील नभ में

नव उमंग चढ़ा गई

और ऊपर और ऊपर

मन पतंग उड़ा गई

सुबह के कोमल करों

में डोर होगी

कल जो नई भोर होगी

खुशी से सराबोर होगी।

कहेगी बधाई बधाई!

यामिनी सबके हृदय में

अमृत कोष बना गई

हीर कनियों सी दमकती

मधुर ओस बना गई

स्नेह से भीगी सुबह की

पोर होगी

कल जो नई भोर होगी

खुशी से सराबोर होगी।

कहेगी बधाई बधाई

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