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चीनी खुफिया एजेंसी और कांग्रेस के फाउंडेशन में गठजोड़ का आरोप, BJP लाई सबूत

लद्दाख में चीन और भारत के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। देश में इस विवाद को लेकर राजनीति तेज हो गई है। अब बीजेपी ने राजीव गांधी फाउंडेशन और चीन के बीच कनेक्शन का आरोप लगाया है।

Dharmendra kumar
Published on: 26 Jun 2020 4:16 PM GMT
चीनी खुफिया एजेंसी और कांग्रेस के फाउंडेशन में गठजोड़ का आरोप, BJP लाई सबूत
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नई दिल्ली: लद्दाख में चीन और भारत के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। देश में इस विवाद को लेकर राजनीति तेज हो गई है। अब बीजेपी ने राजीव गांधी फाउंडेशन और चीन के बीच कनेक्शन का आरोप लगाया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि चीनी खुफिया संस्था और राजीव गांधी फाउंडेशन के बीच गठजोड़ है।

बीजेपी की आईटी सेल के प्रमुख ने आरोपों का राजीव गांधी फाउंडेशन की वेबसाइट का हवाला दिया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि साल 2004-05 में राजीव गांधी इंस्टीट्यूट फॉर कंटेम्पोरेरी स्टडीज द्वारा शुरू की गई गतिविधियों में से एक है चाइना एसोसिएशन फॉर इंटरनेशनल फ्रेंडली कॉन्टैक्ट (CAIFC) के रूप में सूचीबद्ध होना।

अमित मालवीय ने कांग्रेस पर सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा कि CAIFC चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की छवि बनाने, खुफिया जानकारी जुटाने और प्रोपेगेंडा चलाने का काम करती है। अमित मालवीय ने राजीव गांधी फाउंडेशन की वेबसाइट में 'हमारी कहानी' सेक्शन में दी गई गतिविधियों और CAIFC के काम की जानकारी के स्क्रीनशॉट को ट्वीट किया है।



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कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी लगाया था आरोप

बता दें कि इससे पहले केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दावा किया था कि चीन ने राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए 90 लाख रुपए का फंड दिया है। रविशंकर प्रसाद ने पूछा था कि कांग्रेस पार्टी बताए कि आखिर चीन का ये प्रेम कैसे बढ़ गया?

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केंद्रीय कानून मंत्री ने यह भी आरोप लगाते हुए कहा था कि कांग्रेस कार्यकाल में ही चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा किया। कानून के तहत कोई भी पार्टी सरकार की इजाजत के बिना विदेश से पैसा नहीं ले सकती। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी साफ करे कि इस डोनेशन के लिए क्या सरकार से मंजूरी ली गई थी?

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रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए डोनर की सूची 2005-06 की हैं, जिसमें साफ-साफ लिखा है कि चीन के एम्बेसी ने डोनेट किया। अब सवाल है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? ऐसा करने की क्या जरूरत पड़ी? इसमें कई उद्योगपतियों और पीएसयू का भी नाम है। क्या ये काफी नहीं था कि चीन एम्बेसी से भी रिश्वत लेनी पड़ी।

Dharmendra kumar

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