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Politic: 2026 के बाद देश में होगा बड़ा बदलाव, भाजपा के सामने कहीं नहीं टिक पाएंगे विरोधी?

Politic:अगर परिसीमन के बाद बीजेपी 2019 का ही अपना प्रदर्शन फिर दोहराती है तो उसे हिंदीभाषी राज्य में ही 309 सीटें मिल जाएंगी। यानी बहुमत के लिए जरूरी सीटों में से बीजेपी करीब 70 प्रतिशत सीटें केवल इन आठ राज्यों से ही हासिल कर लेगी।

Ashish Pandey
Published on: 29 May 2023 10:36 PM IST (Updated on: 29 May 2023 11:21 PM IST)
Politic: 2026 के बाद देश में होगा बड़ा बदलाव, भाजपा के सामने कहीं नहीं टिक पाएंगे विरोधी?
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Amit sha, CM Yogi and PM Modi File Photo

Politic:2026 में देश में परिसीमन होना है। इस परिसीमन को लेकर कई राजनीतिक दल जहां चिंतित हैं तो वहीं कई दलों की इससे बल्ले-बल्ले हो सकती है। परिसीमन के बाद लोकसभा की सीटें बढ़ेंगी और जब सीटें बढ़ेंगी तो इसका फायदा भी भाजपा को सबसे अधिक मिलेगा ऐसा माना जा रहा है क्योंकि परिसीमन के बाद हिंदीभाषी राज्यों में दक्षिण के मुकाबले करीब दो गुनी सीटें बढ़ेंगी। नई संसद में लोकसभा की 888 सीटें हैं। अभी लोकसभा में कुल 545 सीटें यानी सांसद हैं।

सताने लगी है अभी से चिंता

परिसीमन भले ही 2026 में होना है, लेकिन दक्षिण के राज्यों को इसकी चिंता अभी से सताने लगी है। उनकी चिंता स्वाभाविक भी है क्यों कि अगर 46 साल से रुका हुआ परिसीमन जनसंख्या को आधार मानकर हुआ तो लोकसभा में हिंदी भाषी राज्यों के तुलना में दक्षिण के राज्यों में सीटें लगभग आधी हो जाएंगी।

...तो ऐसा होगा हाल-

2026 में जब परिसीमन होगा तो उसके बाद जहां हिंदी भाषी आठ राज्यों की लोकसभा की सीटें करीब 84 प्रतिशत बढ़ेंगी तो वहीं दक्षिण के पांच राज्यों में केवल 42 प्रतिशत ही सीटें बढ़ेंगी। मतलब साफ है कि हिंदी राज्यों की सीटें दक्षिण के मुकाबले दोगुनी बढ़ेंगी। यहां सबसे बड़ी बात यह है कि केवल इन्हीं आठ राज्यों से 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 60 प्रतिशत सीटें मिली थीं। ऐसे में देखा जाए तो परिसीमन बीजेपी के लिए फायदा देने वाला होगा।

लोकसभा की 1210 सीटें होंगी?

देश में आखिरी बार परिसीमन 1976 में हुआ था उस समय जो परिसीमन 1971 की जनगणना को आधार मानकर किया गया था। तब भारत की जनसंख्या 54 करोड़ थी और हर 10 लाख की आबादी पर एक लोकसभा सीट का फॉर्मूला अपनाया गया था। इस तरह परिसीमन के बाद लोकसभा की कुल 543 सीटें तय की गईं। वहीं 2011 में हमारे देश की आबादी करीब 121 करोड़ थी। उसके बाद से जनगणना नहीं हुई है। अगर 2011 की जनगणना को आधार मानकर ही 2026 में परिसीमन किया जाता है और प्रति 10 लाख की आबादी पर एक सीट का ही फॉर्मूला अपनाया जाता है तो लोकसभा की कुल 1210 सीटें होंगी।

शुरू हो चुकी है सुगबुगाहट?

परिसीमन को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। 1971 के बाद देश में 5 बार जनगणना हो चुकी है, लेकिन 2021 वाली जनगणना बाकी है। 2011 में जब आखिरी बार जनगणना हुई थी तब आबादी करीब 121 करोड़ थी। यानी 1971 के जनगणना के मुकाबले 2.25 गुना अधिक, लेकिन लोकसभा की सीटें नहीं बढ़ीं। हम 46 साल बाद भी उसी फॉर्मूले पर टिके हैं?

प्रणब ने उठाई थी मांग-

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2019 में लोकसभा में 1000 सीटें करने की मांग उठाई थी। वहीं रविवार को नई संसद के उद्घाटन के बाद पीएम मोदी ने भी कहा कि आने वाले समय में लोकसभा की सीटें बढ़ेंगी। यही नहीं परिसीमन का जिक्र राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सिंह और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने भी किया है।
चूंकि नई संसद की लोकसभा में अधिकतम 888 सांसद ही बैठ सकेंगे। अगर इसे परिसीमन का आधार मानकर 1210 सीटों के साथ एडजस्ट करें, तो उत्तर प्रदेश कोे 147 और कर्नाटक को 45 सीटें मिलेंगी। वहीं बाकी राज्यों में भी यही फॉर्मूला लागू होगा।

नाॅर्थ-ईस्ट के राज्यों पर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं

अगर नई संसद के मुताबिक लोकसभा की सीटें बढ़ती हैं तो नॉर्थ ईस्ट के राज्यों पर इसका कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। यहां आठ राज्यों को मिलाकर कुल 9 सीटों की ही वृद्धि हो रही है। लेकिन वहीं असम में सबसे ज्यादा 9 सीटों की बढ़ोतरी हो रही है, जहां बीजेपी मजबूत है। 2019 के लोकसभा में चुनाव में बीजेपी को यहां 9 सीटें मिली थीं।

8 राज्यों से बीजेपी को 60 प्रतिशत सीटें

एक ओर परिसीमन को लेकर सुगबुगाहट तेज हो रही है तो वहीं दक्षिण की पार्टियां और विपक्ष परिसीमन के सपोर्ट में नहीं है। उनका मानना है कि अगर 2026 में परिसीमन हुआ तो बीजेपी को फायदा होगा। परिसीमन के बाद लोकसभा में 888 सीटें होगीं। बहुमत के लिए 445 सीटों की जरूरत होगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कुल 303 सीटें मिली थीं और जिसमें से 168 सीटें केवल हिंदीभाषी राज्यों (काउ बेल्ट) से थीं। यानी करीब 55 प्रतिशत सीटें। मान लिया जाए कि अगर परिसीमन के बाद बीजेपी 2019 का ही प्रदर्शन फिर दोहराती है तो उसे हिंदीभाषी राज्य में ही 309 सीटें मिल जाएंगी। यानी बहुमत के लिए जरूरी सीटों में से बीजेपी करीब 70 प्रतिशत सीटें केवल इन आठ राज्यों से ही हासिल कर लेगी।

BJP 12 राज्यों से ही बहुमत का आंकड़ा पार कर लेगी

2019 में बीजेपी ने गैरहिंदी राज्य गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में भी जोरदार प्रदर्शन किया था। अगर वही प्रदर्शन बीजेपी परिसीमन के बाद भी दोहराती है तो गुजरात में 44, पश्चिम बंगाल में 28, कर्नाटक में 40 और महाराष्ट्र में 39 सीटें मिलेंगी और इस तरह से बीजेपी इन 12 राज्यों से ही बहुमत का आंकड़ा पार कर लेगी।



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Ashish Pandey

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