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हाई कोर्ट का Abortion पर बड़ा फैसला, दुष्कर्म पीड़िता को दी ये इजाजत
शुक्रवार को न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति एक साल तक अविनाश घरोटे की पीठ ने फैसला सुनाते हुए यह निर्देश भी दिया है कि भ्रूण (Fetus) के DNA को जांच के लिए एक साल तक सीलबंद कर सुरक्षित (Safe) रखा जाए।
नागपुर: बॉम्बे उच्च अदालत (Bombay High Court) ने शुक्रवार को एक दुष्कर्म पीड़िता को 23 हफ्ते के गर्भ को गिराने की इजाजत दे दी है। यह फैसला नागपुर पीठ ने सुनाया है। बताया जा रहा है कि पीड़िता मानसिक रूप से अस्वस्थ है। ऐसे में हाई कोर्ट ने उसे गर्भपात (Abortion) कराने की अनुमति दे दी है। अदालत ने चिकित्सा समिति की रिपोर्ट पर संज्ञान लेने के बाद यह फैसला सुनाया है।
एक साल तक भ्रूण के DNA को सुरक्षित रखने का निर्देश
शुक्रवार को न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति एक साल तक अविनाश घरोटे की पीठ ने फैसला सुनाते हुए यह निर्देश भी दिया है कि भ्रूण (Fetus) के DNA को जांच के लिए एक साल तक सीलबंद कर सुरक्षित (Safe) रखा जाए। बता दें कि चिकित्सा समिति ने कहा था कि इस मामले की परिस्थितियों को देखते हुए गर्भपात (Abortion) की इजाजत दी जानी चाहिए।
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(सांकेतिक फोटो- सोशल मीडिया)
डॉक्टरों की सहमति से गिराया जा सकता है गर्भ
उल्लेखनीय है कि गर्भपात अधिनियम के तहत, 20 हफ्ते तक के गर्भ को एक या उससे अधिक डॉक्टरों की सहमति से गिराया जा सकता है। लेकिन 20 सप्ताह से ज्यादा तक के गर्भ को तभी गिराया जा सकता है, जब कोर्ट इस फैसले पर पहुंचे कि गर्भ से बच्चे और उसकी मां की सेहत व जीवन को खतरा हो सकता है।
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क्या है पूरा मामला?
आपको बताते चलें कि 25 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता के साथ आशा कार्यकर्ता ने दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था। पीड़िता का पिता दिहाड़ी मजदूर है। जब पिता को कथित तौर पर आशा कार्यकर्ता द्वारा बेटी से दुष्कर्म करने व गर्भ ठहरने की जानकारी हुई तो उसने हाई कोर्ट का रूख किया। फिलहाल इस मामले में आरोपी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और मामले की जांच जारी है।
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