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BSNL कर्मचारियों की हालत बेहाल: मोदी सरकार ने रोका वेतन, आत्महत्या को मजबूर
देश की सबसे बड़ी सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल काफी घाटे में चल रही है। जिसके चलते बीएसएनएल ने अपने कर्मचारियों की सैलेरी तक नहीं दी।
लखनऊ: देश की सबसे बड़ी सरकारी टेलीकॉम कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) काफी घाटे में चल रही है। जिसके चलते बीएसएनएल ने अपने कर्मचारियों की सैलेरी तक नहीं दी। ऐसे में अब तक बीएसएनएल में कार्यरत आधे से ज्यादा कर्मचारियों ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) का विकल्प चुनते हुए कंपनी से इस्तीफा दे दिया। लेकिन उनका वीआरएस का पैसा तक नहीं मिला। इतना ही नहीं कई कर्मचारी अब तक इसके चलते आत्महत्या भी कर चुके हैं।
घाटे में बीएसएनएल
गौरतलब है कि मोदी सरकार द्वारा एमटीएनएल और बीएसएनएल का विलय कर दिया गया था, फिर कर्मचारियों को वीआरएस देने का तीन महीने पहले ऐलान किया गया। सरकार का तर्क है कि इससे बीएसएनएल पर पड़ने वाला आर्थिक बोझ कम होगा। साथ ही सरकार का इरादा बीएसएनएल की संपत्तियों को भी बाजार में बेचकर या किराए पर उठाकर पैसा जुटाने का है।
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इस तरह बीएसएनएल करीब 300 करोड़ रुपए जुटाने की कोशिश कर रहा है। स्थिति इतनी खराब है कि कर्मचारियों को सैलेरी का भुगतान तक नहीं हो रहा है।
नहीं दी दो महीने की सैलेरी
बता दें कि बीएसएनएल ने कर्मचारियों की अब तक दो महीने की सैलेरी रोक रखी है। जानकारी के मुताबिक, कर्मचारियों को पिछले साल नवंबर और दिसंबर महीने की सैलरी नहीं दी गयी। बताया गया कि 23 अक्तूबर 2019 को दूर संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने 69000 करोड़ का पैकेज दिया था।
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वहीं इतने पैकेज के बाद भी सैलरी रोक दी गयी। वैसे भी बीएसएनएल के कर्मचारियों को सैलरी रुक-रुक कर ही मिल रही है।
कई कर्मचारियों ने छोड़ दिया साथ
इसके बाद बीएसएनएल के 93,000 कर्मचारियों ने वीआरएस लेने की हामी भरी थी। सरकार ने इस वीआरएस योजना को घाटे से जूझ रही कंपनियों के पुनर्गठन के लिए एक सुधारात्मक विकल्प के रूप में चुना। गौरतलब है कि अक्टूबर 2019 में वीआरएस योजना को मंजूरी दी गई थी, उसके बाद से बीएसएनएल के लिए काम करने वाले 1,53,000 कर्मचारियों में से आधे से अधिक 78,569 कर्मचारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्त (VRS) का विकल्प चुना है।
नहीं मिला वीआरएस का पैसा:
इतना ही नहीं वीआरएस पर रिटायर हुए बीएसएनएल कर्मचारियों को वीआरएस का पैसा तक नहीं दिया गया। कर्मचारियों को भय है कि वीआरएस का पैसा आएगा भी या नहीं क्योंकि जो लोग काम कर रहे हैं उन्हें ही दो महीने से सैलरी नहीं मिली है।
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बीएसएनएल कर्मचारी आत्महत्या को मजबूर:
आर्थिक मंदी से परेशान BSNL के एक उपमंडल अधिकारी ने फांसी लगाकर खुद की जान ले ली। फांसी लगाने वाले कर्मचारी की पहचान रामेश्वर कुमार सोंधिया नाम से की गई है जो, सिहोरा के अंतर्गत दूरभाष केन्द्र (ATT) धनगंवा में पदस्थ थे। गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में केरल के 52 साल के राम कृष्णन ने आत्महत्या कर ली थी। वह 30 साल से बीएसएनएल में काम कर रहे थे और उन्हें दस महीने से वेतन नहीं मिल रहा था।