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भारत बुलेट ट्रेन से दूर: सपना नहीं हो सकेगा अभी पूरा, ये है वजह
देश की पहली बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में अब 5 साल की देरी हो सकती है। बढ़ती लागत और टेंडर रद्द होने के चलते प्रोजेक्ट में देरी हो रही है। इसके अलावा जापान की कई कंपनियों को इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी हैं। यह सेवा अहमदाबाद-मुंबई के बीच शुरू होने वाली थी।
नई दिल्ली : देश की पहली बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में अब 5 साल की देरी हो सकती है। बढ़ती लागत और टेंडर रद्द होने के चलते प्रोजेक्ट में देरी हो रही है। इसके अलावा जापान की कई कंपनियों को इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी हैं। यह सेवा अहमदाबाद-मुंबई के बीच शुरू होने वाली थी।
ऐसा कहा जा रहा है कि रेलवे का ये प्रोजेक्ट अब अक्टूबर 2028 तक पूरा हो सकेगा। पहले बुलेट ट्रेन के इस ड्रीम प्रोजेक्ट का काम दिसंबर 2023 में पूरा होना था। इस बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉरपोरेशन (NHSRCL) काम कर रही है।
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कई रुकावटें
इस प्रोजेक्ट में कई तरह की रुकावटे आ रही हैं। इसको लेकर साल के शुरुआत में टेंडर निकाली गई थी, लेकिन जापान की कोई भी कंपनी इस टेंडर प्रक्रिया में शामिल नहीं हुई। इसके अलावा 11 टेंडर में कंपनियों ने अनुमान से 90 फीसदी ज्यादा लागत की बोली लगाई। ऐसे में फिलहाल इसे रद्द करना पड़ा।
सोशल मीडिया से
इस प्रोजेक्ट में 21 किलोमीटर की लाइन जमीन के अंदर बिछाई जानी है, जिसमें मुंबई के पास समुद्र के भीतर 7 किलोमीट की लंबी सुरंग भी शामिल है। 21 किलोमीटर की अडंरग्राउंड लाइन बिछाने में कई एडवांस बोरिग मशीन की जरूरत है। ऐसे में इस काम को पूरा करने में कम से कम 60 महीने लगेंगे।
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ज़मीन अधिग्रहण का काम भी पूरा नहीं
साथ ही ये भी बता दे कि इस प्रोजेक्ट के लिए ज़मीन अधिग्रहण का काम भी पूरा नहीं हुआ है। महाराष्ट्र में इसके लिए 430 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है, लेकिन अब तक सिर्फ 100 हेक्टर जमीन ही सरकार को मिल सकी है। उधर गुजरात में राज्य सरकार के सहयोग के चलते जमीन अधिग्रहण का काम तेजी से चल रहा है और उम्मीद की जा रही है कि इसे साल के आखिर तक 1000 हेक्टयर ज़मीन सरकार को मिल जाएगी।
पूरी लाईन 508 किलोमीटर लंबी
अब तक उन्हें 345 किलोमीटर के लिए जमीन मिल गई है। बता दें कि ये पूरी लाईन 508 किलोमीटर लंबी है। इस प्रोजेक्ट को देश के 75वां सवतंत्रता दिवस पर अगस्त 2022 में शुरू करने की की योजना थी। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी 20 साल के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का 80 फीसदी लोन के रूप में दे रही है। अब भारत के लोगों को बुलेट ट्रेन के लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा।