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हाईकोर्ट की रोक के बाद भी आउटसोर्सिंग का बिजनेस 790 करोड़ के पार

सरकारी विभागों में नियमित भर्तियों को बंद कर सेवा एजेंसियों के जरिए कर्मचारी लेकर काम कराने का कारोबार 790 करोड़ रुपये पार कर गया है। सरकार ने आउटसोर्सिंग भर्ती व्यवस्था को खत्म करने की तैयारी कर ली है औ

suman
Published on: 24 Nov 2019 7:50 PM IST
हाईकोर्ट की रोक के बाद भी आउटसोर्सिंग का बिजनेस 790 करोड़ के पार
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जयपुर: सरकारी विभागों में नियमित भर्तियों को बंद कर सेवा एजेंसियों के जरिए कर्मचारी लेकर काम कराने का कारोबार 790 करोड़ रुपये पार कर गया है। सरकार ने आउटसोर्सिंग भर्ती व्यवस्था को खत्म करने की तैयारी कर ली है और न ही इन भर्तियों के लिए स्पष्ट नीति बनाकर बेरोजगारों का शोषण रोक कर भर्ती का समान अवसर उपलब्ध कराने की व्यवस्था ही की है।

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प्रदेश में आउटसोर्सिंग एजेंसियों का फर्जीवाड़ा के मामले हर किसी की नजर में है। पंचायत से लेकर राजस्व विभाग तक की भर्तियों में आउटसोर्सिंग एजेंसियों व सरकारी तंत्र की मिलीभगत का खुलासा हो चुका है। इसमें कई आईएएस व पीसीएस अफसर तक फंस चुके हैं। राज्य सरकार ने 2019-20 के आम बजट में 790 करोड़ 66 लाख रुपये सरकारी कार्यालयों में आउटसोर्सिंग से रखे गए कर्मचारियों पर खर्च के लिए रखा है। वित्त विभाग ने 2019-20 की बजट तैयारियों के लिए एक शासनादेश जारी किया। इसमें एक ऐसा निर्देश है जिससे आउटसोर्सिंग से भी बड़ी चुनौती बढ़नी तय मानी जा रही है। विभाग ने कहा है कि ऐसे कार्यों का चयन किया जाए जिन्हें संविदा के आधार पर कराकर खर्च कम किया जा सकता है। यह आदेश रोजगार के अवसर कम करने के साथ ही कर्मचारियों पर खर्च होने वाला बजट ठेकेदारों व सरकारी सिस्टम की व्यवस्था पर सवाल उठाता है।

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इससे जुड़े मामले समाधान

सपा ने आउटसोर्सिंग को शुरू कर बेरोजगारों के साथ धोखा किया। सरकार बेरोजगारों के साथ हो रहे धोखे की व्यवस्था खत्म कर आउटसोर्सिंग की समस्या का समाधान करने जा रही है।

*सपा शासनकाल में पंचायतीराज विभाग में पंचायत सहायक के 4926, कंप्यूटर ऑपरेटर के 1642, लेखाकार के 821 व अवर अभियंता सिविल के 1642 पदों पर आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती हुई। लेकिन फर्जीवाड़े की शिकायतों के बाद ये भर्तियां निरस्त की गईं।

* नई सरकार ने नए सिरे से भर्ती की कार्यवाही शुरू कराई। तहसीलों व कलेक्ट्रेट में 3833 चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों पर आउटसोर्सिंग से भर्ती हुई। कृषि उत्पादन आयुक्त ने इस भर्ती में भ्रष्टाचार की पुष्टि करते हुए एक आईएएस व एक पीसीएस अधिकारी सहित अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर व सतर्कता जांच कराने, निलंबित कर अनुशासनिक कार्रवाई करने और सेवा प्रदाता संस्थाओं को ब्लैकलिस्ट करने की सिफारिश की।

* राजस्व विभाग ने आउटसोर्सिंग एजेंसियों के जरिए एक वर्ष के लिए यह भर्ती की थी। हाल में ही इस एजेंसी का रिन्युवल न करने का आदेश हो गया।

*पंचायतीराज विभाग में पंचायत सहायक के 4926, कंप्यूटर ऑपरेटर के 1642, लेखाकार के 821 व अवर अभियंता सिविल के 1642 पद आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती के लिए सृजित किए गए। ये पद चतुर्थ श्रेणी से इतर नए सृजित पद हैं।

* राजस्व विभाग में राजस्व न्यायिक नयाकाडर बनाने के लिए पदों का सृजन हुआ। काडर में 2432 नए पदों में 608 पद अनुसेवक के तय किए गए। इन 608 पदों पर भर्ती आउटसोर्सिंग के जरिए की गई।

* लोकसभा चुनाव से पहले सरकारी योजनाओं की जनता को जानकारी देने के लिए हर ब्लॉक में आउटसोर्सिंग के जरिए लोक कल्याण मित्रों की नियुक्ति हुई। ये पद समूह ग के कर्मियों को शुरुआत में मिलने वाले वेतन से अधिक वाले थे।

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*चयन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं। सेवा प्रदाता भर्ती का विज्ञापन नहीं जारी करते। मनचाहे लोगों की भर्ती में भ्रष्टाचार के अवसर बनते हैं।

*कर्मियों को पूरा मानदेय नहीं मिल पाता है। कई बार खाते में तो पूरा भुगतान होता है, लेकिन बाहर से कर्मी से कुछ हिस्सा वापस ले लिया जाता है।

*समान कार्य व पद होने के बावजूद अलग-अलग एजेंसियां अलग-अलग मानदेय देती हैं।

*वास्तविक रूप से महीने में पूरे दिन काम लिया जाता है। सरकार पूरा मानदेय देती है। लेकिन एजेंसियां भुगतान 26 दिन का ही करती हैं। बीच में छुट्टी लेने पर पैसा भी काट लिया जाता है।

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