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हिंसा का दौर थमने के बाद ही CAA पर करेंगे सुनवाई-चीफ जस्टिस

देशभर में चल रहे CAA के विरोध में बवाल अभी खत्म नहीं हुआ है और इसको लेकर अब नई खबर आ रही है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को (CAA) को संवैधानिक करार देने के लिए एक याचिका दायर की गई।

Roshni Khan
Published on: 9 Jan 2020 12:48 PM IST
हिंसा का दौर थमने के बाद ही CAA पर करेंगे सुनवाई-चीफ जस्टिस
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नई दिल्ली: देशभर में चल रहे CAA के विरोध में बवाल अभी खत्म नहीं हुआ है और इसको लेकर अब नई खबर आ रही है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को (CAA) को संवैधानिक करार देने के लिए एक याचिका दायर की गई। इसी ममाले में चीफ जस्टिस एस। ए। बोबडे का बयान सामने आया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि अभी देश काफी मुश्किल वक्त से गुजर रहा है, ऐसे में इस तरह की याचिकाएं दाखिल करने से कुछ फायदा नहीं होगा।

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चीफ जस्टिस ने कहा, ‘देश अभी मुश्किल दौर से गुजर रहा है। ऐसे में इस वक्त हर किसी का लक्ष्य शांति स्थापित करना होना चाहिए। इस तरह की याचिकाओं से कोई मदद नहीं मिलेगी। इस कानून के संवैधानिक होने पर अभी अनुमान लगाया जा रहा है’।

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि (CAA) के खिलाफ जो भी याचिकाएं दाखिल की गई हैं, उनकी सुनवाई तभी शुरू होगी जब हिंसा पूरी तरह से रुक जाएगी। वकील विनीत ढांडा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी कि CAA को संवैधानिक घोषित किया जाए। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एस। ए। बोबडे, जस्टिस बी। आर। गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने की।

बता दें कि इससे पहले नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में कई याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं लेकिन अभी किसी पर भी सुनवाई नहीं हुई है।

केंद्र को पहले ही भेजा जा चुका है नोटिस

आपको बता दें कि मोदी सरकार के द्वारा लाए गए CAA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहले ही दर्जनों याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, TMC सांसद महुआ मोइत्रा समेत कई नेताओं, संगठनों ने सर्वोच्च अदालत में CAA को गैर-संवैधानिक करार देने की अपील की थी।

इन सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा था और सरकार का पक्ष मांगा था। सुप्रीम कोर्ट की ओर से केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए चार हफ्ते का टाइम दिया था।

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कानून के खिलाफ लगातार हो रहा है विरोध

CAA के मुताबिक, बांग्लादेश-पाकिस्तान-अफगानिस्तान से आए हुए हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। विपक्ष समेत कई संगठन इस कानून को संविधान विरोधी, अल्पसंख्यक विरोधी बता रहे हैं। कानून को लेकर के पिछले कई दिनों से देश के बहुत से हिस्सों में प्रदर्शन हो रहा है, इस दौरान हुई हिंसा में 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।

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