बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार: बुजुर्गों की देखरेख करने में आड़े आ रही है निराशा और कुंठा

यह कोई नई बात नहीं है कि ज्यादातर घरों में बुजुर्गों को बोझ की तरह देखा जाता है लेकिन हाल के एक सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है कि देखरेख करनेवाले 35 फीसदी लोगों को बुजुर्गों की सेवा करने में खुशी महसूस नहीं होती। 

Anoop Ojha
Published on: 14 Jun 2019 1:23 PM GMT
बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार: बुजुर्गों की देखरेख करने में आड़े आ रही है निराशा और कुंठा
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नयी दिल्ली: यह कोई नई बात नहीं है कि ज्यादातर घरों में बुजुर्गों को बोझ की तरह देखा जाता है लेकिन हाल के एक सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है कि देखरेख करनेवाले 35 फीसदी लोगों को बुजुर्गों की सेवा करने में खुशी महसूस नहीं होती।

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परोपकारी संगठन हेल्पएज इंडिया की रिपोर्ट ‘भारत में बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार: देखरेख करने में परिवार की भूमिका: चुनौतियां और प्रतिक्रिया’ शुक्रवार को ‘विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार रोकथाम जागरुकता दिवस’ की पूर्व संध्या पर जारी हुई। इस सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 29 फीसदी लोग यह स्वीकार करते हैं कि वह अपने बुजुर्गों को घर में रखने के बजाय वृद्धाश्रम में रखना चाहेंगे।

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इस सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले लोगों में से एक चौथाई देखरेख करनेवालों का मानना है कि उन्हें निराशा और कुंठा होती है और इस वजह से परिवार के बुजुर्ग सदस्यों पर गुस्सा कर बैठते हैं।

(भाषा)

Anoop Ojha

Anoop Ojha

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