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सरकार ने बदला ये नियम: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अब 65 साल में होंगे सेवानिवृत्त
रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार सैन्य नियमावली, 1954 में बदलाव किए गए हैं। सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति ने मंगलवार को ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए सीडीएस पद के सृजन को मंजूरी दी थी जो तीनों सेनाओं से संबंधित सभी मामलों के लिये रक्षा मंत्री के प्रमुख सैन्य सलाहकार के तौर पर काम करेंगे।
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी की केंन्द्र सरकार ने थल सेना, नौसेना और भारतीय वायु सेना के सेवा नियमों में बदलाव करते हुए सेवा नियमों में संशोधन किया गया है। संशोधन के बाद तीनों सेवाओं के प्रमुखों में से जिन्हें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रूप में नियुक्त किया जाएगा उनकी सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष होगी।
बताया जा रहा है कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के लिए तय किए गए ड्यूटी चार्ट के मुताबिक, सीडीएस प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले परमाणु कमान प्राधिकरण के सदस्य भी होंगे।
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सीडीएस के कार्यकाल की अभी घोषणा नहीं
रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार सैन्य नियमावली, 1954 में बदलाव किए गए हैं। सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति ने मंगलवार को ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए सीडीएस पद के सृजन को मंजूरी दी थी जो तीनों सेनाओं से संबंधित सभी मामलों के लिये रक्षा मंत्री के प्रमुख सैन्य सलाहकार के तौर पर काम करेंगे।
इन नियमों के अनुसार सैन्य प्रमुख अधिकतम तीन साल या 62 वर्ष की आयु तक या जो भी पहले आए, सेवा कर सकते हैं। हालांकि सीडीएस के कार्यकाल की अभी घोषणा नहीं की गई है।
सूत्रों के मुताबिक सरकार कुछ ही दिनों में पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के नाम का एलान कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट की नियुक्ति समिति सीडीएस पद के लिए सैन्य अफसरों के पैनल के नामों पर विचार करेगी, जिसमें सेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत का नाम भी शामिल है।
तीनों सेनाओं के प्रमुखों की मौजूदगी वाली चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन (सीओएससी) की नियुक्ति के लिए होने वाला परंपरागत ‘बैटन हैंडओवर’ समारोह शुक्रवार को आखिरी पलों में रद्द कर दिया गया। हालांकि सूत्रों ने कहा कि अब यह समारोह 31 दिसंबर को आयोजित हो सकता है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञ इसे देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की जल्द नियुक्ति का संकेत मान रहे हैं।
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जनरल रावत के 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त के उपलक्ष्य में समारोह का आयोजन
सीओएससी का चेयरमैन भारतीय सेना, वायुसेना व नौसेना प्रमुखों में से सबसे वरिष्ठ सदस्य को बनाया जाता है। सूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार को समारोह में वर्तमान सीओएससी चेयरमैन व सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत इस पद का बैटन नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह को सौंपने वाले थे। यह समारोह जनरल रावत के 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो जाने के कारण आयोजित किया जा रहा था।
विशेषज्ञों का कहना है कि सीडीएस की नियुक्ति के बाद वह ही सीओएससी का चेयरमैन होगा और इसी कारण सीओएससी चेयरमैन के नियुक्ति समारोह को रद्द किया गया है। सीडीएस की नियुक्ति के बाद वह तीनों सेनाओं से जुड़े सभी मुद्दों पर रक्षा मंत्री के प्रमुख सैन्य सलाहकार के तौर पर काम करेगा।
27 सितंबर को तत्कालीन वायुसेना अध्यक्ष एयरचीफ मार्शल बीएस धनोआ से सीओएससी चेयरमैन का बैटन ग्रहण करने वाले जनरल रावत को ही देश का पहला सीडीएस बनने की होड़ में सबसे आगे माना जा रहा है। जनरल रावत 31 दिसंबर, 2016 को सेना प्रमुख बने थे।
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सीडीएस कार्यालय को छोड़ने के बाद वह किसी भी सरकारी पद के पात्र नहीं होंगे
सरकार के शीर्ष अधिकारी ने बताया कि सीडीएस सैन्य मामलों के सबसे उच्च अधिकारी हाेंगे और तीनों सेना प्रमुखों से ऊपर होंगे। सीडीएस पद पर चार सितारा जनरल को नियुक्त किया जाएगा। सीडीएस कार्यालय को छोड़ने के बाद वह किसी भी सरकारी पद के पात्र नहीं होंगे। इतना ही नहीं, सीडीएस पद छोड़ने के बाद वह बिना पूर्व मंजूरी के पांच साल तक निजी क्षेत्र से नहीं जुड़ पाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक सीडीएस चीफ ऑफ स्टाफ समिति के स्थायी अध्यक्ष होंगे। इस भूमिका में एकीकृत रक्षा स्टाफ उनकी मदद करेगा। नई तकनीक और साइबर युद्ध के सूरत में बेहतर तालमेल और समन्वय के लिए तीनों अंग सीडीएस के कमान में काम करेंगे। रक्षा और सामरिक मामलों में सीडीएस पीएम और रक्षामंत्री के मुख्य सलाहकार होंगे।