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आर्थिक मंदी दूर करने में जुटी सरकार, एक और आर्थिक पैकेज देने की तैयारी
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। कोरोना संकट के कारण अर्थव्यवस्था को लगी चोट पर मरहम लगाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए हैं। देश को आर्थिक मंदी से बाहर निकालने के लिए सरकार की ओर से पिछले दिनों 20 लाख करोड़ रुपए के बड़े प्रकाश का एलान किया गया था। अब सरकार अर्थव्यवस्था की सेहत को दुरुस्त करने के लिए एक और पैकेज की तैयारी कर रही है। अगले दो-तीन महीनों में सरकार की ओर से एक और पैकेज का एलान किया जा सकता है।
अगले तीन महीनों में हो सकता है एलान
भारतीय रिजर्व बैंक के डायरेक्टर एस गुरुमूर्ति का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण देश में आर्थिक संकट के हालात पैदा हुए हैं और सरकार इस पर बराबर नजर रखे हुए हैं। देश को आर्थिक मंदी से उबारने के लिए सितंबर या अक्टूबर में सरकार की ओर से एक और पैकेज का एलान किया जा सकता है। भारत चेंबर ऑफ कॉमर्स की तरफ से आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत का पैकेज अमेरिका, ब्रिटेन और दूसरे बड़े देशों से पूरी तरह अलग है। भारत सरकार की ओर से घोषित आर्थिक पैकेज की पूंजी की व्यवस्था देश की अर्थव्यवस्था से ही की गई है जबकि अमेरिका सहित दूसरे बड़े देशों में अर्थव्यवस्था पर आए संकट से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर करेंसी छापी गई है।
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दूसरे देशों को पैकेज से होगा नुकसान
आरबीआई के डायरेक्टर ने कहा कि दूसरे देशों की ओर से घोषित पैकेज से बाद में नुकसान भी उठाना पड़ेगा क्योंकि बड़े पैमाने पर करेंसी छापने से कई देशों की अर्थव्यवस्था में वित्तीय घाटे की स्थिति पैदा होगी और मुद्रास्फीति की दर में इजाफा होगा। भारत सरकार की ओर से उठाए गए कदमों से इस तरह का कोई खतरा नहीं है और रिजर्व बैंक की ओर से भी इस दिशा में कोई फैसला नहीं लिया गया है।
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भारत में ज्यादा संकट नहीं
गुरूमूर्ति ने कहा कि भारत की समस्याएं अमेरिका और दूसरे अन्य बड़े देशों से पूरी तरह अलग हैं। भारत सरकार की ओर से गरीबों को कोरोना के हमले के बाद पैदा हुए संकट से बाहर निकालने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। सरकार की ओर से 1 अप्रैल से 15 मई के बीच जनधन खातों में 15 हजार करोड़ की रकम जमा की गई है। जनधन खातों में डाली गई इस भारी-भरकम राशि में से बहुत कम पैसे निकाले गए हैं। इससे पता चलता है कि स्थितियां उतनी गंभीर नहीं है जितना कि बताई जा रही हैं। इस पैसे को निकाले बिना भी लोगों का काम चल रहा है।
कोरोना की अर्थव्यवस्था पर चोट
कोरोना संकट के कारण घोषित लंबे लॉकडाउन की वजह से देश में आर्थिक गतिविधियां काफी दिनों तक ठप पड़ी रहीं। इसका एक बुरा असर यह भी देखने को मिला कि काफी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए और प्रवासी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। लोगों को इस संकट से बाहर निकालने के लिए ही पिछले दिनों केंद्र सरकार की ओर से बीस लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का एलान किया गया था। जानकारों का कहना है कि सरकार के इस कदम से जरूरतमंद लोगों को काफी फायदा होगा। अब सरकार की ओर से एक और पैकेज देने की तैयारी की जा रही है ताकि अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती को दूर किया जा सके।
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