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'चमकी' पर मंगल पांडेय को नहीं हटाएंगे नीतीश कुमार
शिशिर कुमार सिन्हा
पटना: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के राजनीतिक उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव की अनुपस्थिति में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने विपक्ष को एकजुट कर 'चमकी' के बहाने बिहार की नीतीश कुमार सरकार को घेरने में पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन सब कुछ बेकार गया। विपक्ष पहले स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को हटाने में पूरी ताकत लगा रहा था। एक बार भी नीतीश अगर मंगल पांडेय को लेकर बैकफुट पर आते तो योजना तैयार थी कि नीतीश कुमार के इस्तीफे को बुलंदी से उठाएं। लेकिर, समय ने भी साथ नहीं दिया और नीतीश भी अपने स्टैंड पर टिक गए।
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तेजस्वी की अनुपस्थिति के कारण नहीं दिखी पुरानी ताकत
पूर्व उप मुख्यमंत्री और लालू-राबड़ी के बेटे तेजस्वी यादव विधानमंडल सत्र होने के पहले आ जाते तो स्थितियां शायद बदल सकती थीं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मुजफ्फरपुर में एएसई (चमकी के नाम से प्रचारित बीमारी) के कारण लगातार मर रहे बच्चों को लेकर विपक्ष को जिस समय तेजस्वी की जरूरत थी, उस समय वह गायब थे। कभी कहा जा रहा था कि वह बीमार हैं तो कभी वल्र्ड कप देखने की बात कही जा रही थी। तेजस्वी की अनुपस्थिति में विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा नहीं बना सका था। विधानमंडल सत्र के दौरान इसपर पूरी ताकत झोंकने की तैयारी थी, लेकिन जून के अंतिम हफ्ते में शुरू हुए सत्र के दौरान तेजस्वी नहीं आए और मजबूरी में विपक्ष फिर राबड़ी देवी के पीछे खड़ा नजर आया। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को इससे बड़ी राहत मिली। सत्र की शुरुआत तो तेजस्वी के बगैर हुई ही, शुरुआती कई दिन भी उनके बगैर ही कामचलाऊ हंगामे में निकल गए। 02 जुलाई को तेजस्वी पटना आए और अपनी बीमारी के इलाज की बात कही, लेकिन विधानसभा में अपनी पार्टी के साथ पूरे विपक्ष को इंतजार कराते रहे। इस समय तक चमकी के हंगामे को सरकार ने काफी हद तक संभाल लिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चमकी को लेकर दुख भी व्यक्त किया, चिंता भी। योजनाएं भी बता दीं और इस्तीफे की चर्चा भी गायब कर दी।
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मंगल पांडेय के साथ खुद को भी बचाया
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा कोटे के मंत्री मंगल पांडेय को ही नहीं बचाया, बल्कि अपनी सरकार को भी पूरी तरह विपक्षी हंगामे से निकाल लिया। विपक्ष मंगल पांडेय के इस्तीफे की मांग करता रहा और नीतीश ने चमकी को लेकर नई कार्ययोजना पेश कर दी। उन्होंने सभी उपाय करने की बात कहते हुए सदन में यह भी दुहरा दिया कि इसके लिए विस्तृत योजना बनाई जाएगी। उन्होंने इससे संबंधित योजना के लिए जरूरी सामाजिक और आर्थिक सर्वे के बारे में सदन को जानकारी दी। एक तरफ नीतीश खुद इस फ्रंट पर तैयारी के साथ आए थे तो दूसरी तरफ मंगल पांडेय को अपने पक्ष में मजबूती के लिए पुराने आंकड़ों पर काम करने की सलाह मिली थी। विपक्ष सदन में स्वास्थ्य मंत्री को सुनने के लिए तैयार नहीं था और वाकआउट से वह विरोध जता रहा था। स्वास्थ्य मंत्री की जगह मुख्यमंत्री की योजनाओं को विपक्ष ने हंगामे के बीच ही सुन लिया। इधर, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय पुराने आंकड़ों के साथ पेश हुए। उन्होंने विपक्ष को सीधे भी बताया और मीडिया के जरिए भी जानकारी दी कि कैसे चमकी का प्रकोप पहले के मुकाबले घटा है। उन्होंने बताया कि 2014 में सबसे अधिक 379 बच्चों की इसके कारण मौत हुई थी। सरकार ने लगातार काम किया तो 2015 में आंकड़ा घटकर 90 तक भी आया। इसके अगले साल 103 बच्चों की मौत के बाद फिर ताकत झोंकी गई तो मौत का आंकड़ा घटकर 54 और फिर 2015 में 33 भी आया। इस साल आपदा क्यों बढ़ी और कैसे डेढ़ सौ बच्चों की जान चली गई, इसे देखने के लिए पांडेय ने चिकित्सकीय प्रबंधन और रिसर्च पर अधिक ध्यान देने की बात कही।
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भाजपा खुद भी नहीं चाहेगी मंगल का विकेट
मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से प्रभावित बच्चों को देखने के दौरान क्रिकेट स्कोर पूछकर चौतरफा फंसे मंगल पांडेय का विकेट भाजपा भी बचाना चाह रही। उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी पांडेय को बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अगर भाजपा किसी भी तरह से मंगल पांडेय पर आंच आने देती है तो उसे अगड़ी जातियों के बीच मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा एक बड़ी बात यह भी है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के नाम पर पांडेय का ही नाम तेजी से चल रहा था। पार्टी के अंदर भी और बाहर भी। ऐसे में अगर मंगल पांडेय को इस हंगामे के बीच मंत्री पद से हटाकर भाजपा अध्यक्ष बनाने पर भी भाजपा घिर सकती थी। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो नीतीश खुद पांडेय को नहीं हटाएंगे और इसके लिए भाजपा को पूरा मौका देंगे। पांडेय को भाजपा चमकी का हंगामा ठंडाने के कुछ दिनों बाद अगर संगठन में लाती है तो नीतीश के पास फिर भी कहने को हो जाएगा कि उन्होंने भाजपा को सोचने का मौका दिया था।