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Chandrayaan-2 Launch Date: जितने उँचे ख्याल उतनी ही ऊंची उड़ान, जानिए चंद्रयान-2 की लॉन्च डेट और उसके बारे मेँ

Chandrayaan-2 Launch Date: चंद्रयान-2 एक भारतीय अंतरिक्ष मिशन था, जो चंद्रमा की सतह पर अध्ययन करने के उद्देश्य से विकसित किया गया था। चंद्रयान-2 की लॉन्च तिथि 22 जुलाई 2019 थी।

Vertika Sonakia
Published on: 22 July 2023 7:09 AM IST
Chandrayaan-2 Launch Date: जितने उँचे ख्याल उतनी ही ऊंची उड़ान, जानिए चंद्रयान-2 की लॉन्च डेट और उसके बारे मेँ
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Chandrayaan-2 Launch Date: चंद्रयान-2 एक भारतीय अंतरिक्ष मिशन था, जो चंद्रमा की सतह पर अध्ययन करने के उद्देश्य से विकसित किया गया था। चंद्रयान-2 की लॉन्च तिथि 22 जुलाई 2019 थी। इस दिन भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रयाण केंद्र से श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश, भारत से चंद्रयान-2 को लॉन्च किया गया था।
इस मिशन को इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ने संचालित किया था और 22 जुलाई 2019 को भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रयाण केंद्र से श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश से लॉन्च किया गया था। यह मिशन चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुवीय विकेंद्रीकरण में सफलता प्राप्त करने का प्रयास था।

चंद्रयान-2 में तीन मुख्य भाग होते हैं

विक्रम लैंडर: इसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर स्थानांतरण करना और वहां से भौतिक संपर्क स्थल को अध्ययन करना था।

प्रज्ञान रोवर: इसका उद्देश्य विक्रम लैंडर से निकलकर चंद्रमा की सतह पर गतिशीलता से चलकर विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों को पूरा करना था।

चंद्रयान-2 ऑर्बिटर: यह चंद्रमा के चारों ओर घूमता हुआ उपग्रह है, जो उपयुक्त डेटा और जानकारी भेजता रहा था।
दुर्भाग्यवश, इस मिशन को सफलता नहीं मिली और विक्रम लैंडर चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंड नहीं कर सका। विक्रम लैंडर लैंडिंग के दौरान चंद्रमा की सतह से संपर्क खो दिया था। हालांकि, चंद्रयान-2 ऑर्बिटर अपने निरंतर अध्ययनों को जारी रखता है और वैज्ञानिक रिसर्च के लिए महत्वपूर्ण डेटा भेजता रहता है।

चंद्रयान 2 का महत्त्व

चंद्रयान-2 का महत्व भारत के लिए कई प्रमुख कारणों से है:

वैज्ञानिक अनुसंधान: चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए यात्रा किया। इसमें गतिशील रोवर और उपग्रह के माध्यम से भारतीय वैज्ञानिकों ने चंद्रमा की सतह, उसके भौतिक संरचना, भौगोलिक विशेषताएं, वायुमंडल, रोचक संकेत और धूप-छाया के बारे में बहुत सारी नई जानकारी प्राप्त की है।

इंजीनियरिंग उपलब्धियां: चंद्रयान-2 को विकसित करने में, इसरो के वैज्ञानिकों और अभियंताओं ने अनेक इंजीनियरिंग चुनौतियों का सामना किया। इससे इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिकों की अग्रणीता में सुधार हुआ और नई तकनीकी उपलब्धियां हासिल हुईं।

राष्ट्रीय गर्व: चंद्रयान-2 का मिशन भारतीय वैज्ञानिकों और अभियंताओं के लिए गर्व का विषय बना। इससे भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में विश्वस्तरीय मान्यता मिली, जिससे देश की अंतर्राष्ट्रीय मानदंड में वृद्धि हुई।

टेक्नोलॉजी और अनुसंधान में वृद्धि: चंद्रयान-2 मिशन ने देश में अनुसंधान और टेक्नोलॉजी में वृद्धि को प्रोत्साहित किया। इसमें विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में नई संभावनाएं उभरने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
अंतरिक्ष में व्यापार का संभावना: चंद्रयान-2 के सफल मिशन से, भारत ने अंतरिक्ष में व्यापार करने की एक महत्वपूर्ण संभावना दिखाई है। इससे नए और उभरते हुए व्यापारी उद्यमियों को भी इस क्षेत्र में रुचि होने की प्रेरणा मिली है।

चन्द्रयान-2 और चन्द्रयान-3 मेँ अंतर

चंद्रयान-2 जिन गलतियों के कारण असफल हुआ उनको बदलकर चंद्रयान-3 और बेहतर बनाया गया है। Chandrayaan-2 में एक ऑर्बिटर, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर शामिल थे, जबकि चंद्रयान-3 में एक लैंडर मॉड्यूल (LM), प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम) और एक रोवर शामिल है। यह प्रोपल्शन मॉडल से सुसज्जित, स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ (SHAPE) नामक एक पेलोड ले जाता है। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का इस्तेमाल आगामी मिशन के लिए किया जाएगा।

चंद्रयान-3 मेँ ख़तरे का पता लगाने के लिए दो लैंडर और बचाव के लिए कैमरे लगाए गए हैं। चंद्रयान-3 के कैमरे अधिक मज़बूत हैं।

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