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Chandrayaan-3: चंद्रमा पर चंद्रयान-2 ने किया चंद्रयान-3 का वेलकम, दोनों के बीच शुरू हुआ टू-वे कम्युनिकेशन, ISRO खुश
इसरो ने एक ट्वीट कर जानकारी दी, कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल से संपर्क हुआ है। दोनों के बीच टू-वे कम्युनिकेशन स्थापित हो गया है।
Chandrayaan-3 Highlights: देश और दुनिया की नजर भारत के चंद्रयान-3 मिशन पर टिकी है। चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल मौजूदा वक़्त में चांद की सतह से महज 25 से 150 किलोमीटर दूर चक्कर लगा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार (21 अगस्त) को एक और खुशखबरी दी। इसरो ने बताया कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल से संपर्क हो गया है। अब सभी को 23 अगस्त का इंतजार है। जिस दिन चांद की सतह पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' के साथ भारत इतिहास रच देगा। ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।
आपको बता दें, अभी तक ये कारनामा अमेरिका (USA), रूस (Russia) और चीन (China) ही कर पाया है। इन देशों ने चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफलता हासिल की है। इतना ही नहीं चांद के दक्षिणी ध्रुव (Moon's South Pole) पर सफल लैंडिंग कराने वाला भारत पहला देश हो सकता है।
चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का चंद्रयान-3 से संपर्क
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 21 अगस्त को ट्वीट कर जानकारी दी, कि 'चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर (Orbiter of Chandrayaan-2) का चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल (Lander Module of Chandrayaan-3) से संपर्क हुआ है। दोनों के बीच टू-वे कम्युनिकेशन स्थापित हो गया है।'
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 21, 2023
‘Welcome, buddy!’
Ch-2 orbiter formally welcomed Ch-3 LM.
Two-way communication between the two is established.
MOX has now more routes to reach the LM.
Update: Live telecast of Landing event begins at 17:20 Hrs. IST.#Chandrayaan_3 #Ch3ISRO ने बताया, चंद्रमा के पिछले भाग की फोटो क्यों अहम?
ISRO लैंडर हजार्ड डिटेक्शन एंड अवॉइडेंस कैमरा (LHDAC) में कैद की गई चंद्रमा के सुदूर पार्श्व भाग की तस्वीरें भी जारी की है। बता दें, LHDAC को इसरो के अहमदाबाद स्थित प्रमुख अनुसंधान एवं विकास केंद्र 'स्पेस एप्लीकेशन सेंटर' (SAC) ने विकसित किया है। ये कैमरा लैंडिंग के लिहाज से सुरक्षित उन हिस्सों की पहचान करने में सहायता प्रदान करता है, जहां बड़े-बड़े पत्थर या गहरी खाइयां नहीं होती हैं।
चंद्रयान-3 का अब तक का सफर
गौरतलब है कि, चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 News) को 14 जुलाई को प्रक्षेपित किया गया था। चंद्रयान-3 इसी महीने 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया। प्रणोदन और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की कवायद से पहले इसे 6, 9, 14 और 16 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में नीचे लाने की कवायद की गई। ऐसा इसलिए किया गया ताकि यह चंद्रमा की सतह के नजदीक जा सके। अब 23 अगस्त को चांद पर इसकी 'सॉफ्ट लैंडिंग' कराने का प्रयास किया जाएगा। 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद बीते 3 हफ्तों में पांच से अधिक प्रक्रियाओं में ISRO ने चंद्रयान-3 को पृथ्वी से दूर आगे की कक्षाओं में बढ़ाया था।
भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है चंद्रयान-3 मिशन?
आपको बता दें, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को लेकर वैज्ञानिकों की विशेष रुचि रही है। ऐसा माना जाता है कि, चन्द्रमा के इस भाग में बने गड्ढे हमेशा अंधेरे में रहते हैं। इन गड्ढों में पानी होने की उम्मीद है। चट्टानों में जमी अवस्था में मौजूद पानी का इस्तेमाल भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों (Astronauts) के लिए वायु और रॉकेट के ईंधन के रूप में किया जा सकता है। यहां ये भी महत्वपूर्ण है कि अब तक जिन 3 तीन देशों ने चंद्रमा पर सफल 'सॉफ्ट लैंडिंग' की है उनमें कोई भी ऐसा नहीं है जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा हो। सब सही रहा तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।