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चंद्रयान-2 लांच, अब दूर नहीं रहे चंदा मामा, 6 सितंबर को रचेंगे इतिहास
चंद्रयान-2 के बाद दूसरा चन्द्र अन्वेषण अभियान है, जिसे इसरो ने विकसित किया है। अभियान को जीएसएलवी संस्करण 3 प्रक्षेपण यान द्वारा प्रक्षेपण करने की योजना है। इस अभियान में भारत में निर्मित एक चंद्र कक्षयान, एक रोवर और एक लैंडर शामिल है।
श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 आज दोपहर 2 बजकर 43 मिनट पर लांच हो गया है। बता दें, पहले 15 जुलाई को चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग होनी थी लेकिन क्रायोजेनिक इंजन में लीकेज की वजह से इसे लांच होने से कुछ समय पहले रोक दिया गया। बता दें, चंद्रयान-2 6 सितंबर को चाँद की सतह पर उतेरगा।
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क्या है चंद्रयान-2?
- चंद्रयान-2 के बाद दूसरा चन्द्र अन्वेषण अभियान है, जिसे इसरो ने विकसित किया है।
- अभियान को जीएसएलवी संस्करण 3 प्रक्षेपण यान द्वारा प्रक्षेपण करने की योजना है। इस अभियान में भारत में निर्मित एक चंद्र कक्षयान, एक रोवर और एक लैंडर शामिल है।
- चंद्रयान-2 लैंडर और रोवर चंद्रमा पर लगभग 70° दक्षिण के अक्षांश पर स्थित दो क्रेटरों मज़िनस सी और सिमपेलियस एन के बीच एक उच्च मैदान पर उतरने का प्रयास करेगा।
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- पहिएदार रोवर चंद्र सतह पर चलेगा और जगह का रासायनिक विश्लेषण करेगा।
- पहिएदार रोवर चन्द्रमा की सतह पर चलेगा तथा वहीं पर विश्लेषण के लिए मिट्टी या चट्टान के नमूनों को एकत्र करेगा। आंकड़ों को चंद्रयान-2 कक्षयान के माध्यम से पृथ्वी पर भेजा जायेगा।
- उड़ान के समय इसका वजन लगभग 3,250 किलो होगा।
- ऑर्बिटर 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर चन्द्रमा की परिक्रमा करेगा। इस अभियान में ऑर्बिटर को पांच पेलोड के साथ भेजे जाने का निर्णय लिया गया है।
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- तीन पेलोड नए हैं, जबकि दो अन्य चंद्रयान-1 ऑर्बिटर पर भेजे जाने वाले पेलोड के उन्नत संस्करण हैं। उड़ान के समय इसका वजन लगभग 1400 किलो होगा।
- ऑर्बिटर उच्च रिज़ॉल्यूशन कैमरा (Orbiter High Resolution Camera) लैंडर के ऑर्बिटर से अलग होने पूर्व लैंडिंग साइट के उच्च रिज़ॉल्यूशन तस्वीर देगा।
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