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महाराष्ट्र में बड़े सियासी खेल की आहट, पवार-शाह की मुलाकात से अटकलों का दौर
गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस मामले में सियासी सस्पेंस बढ़ा दिया है। पवार से मुलाकात के बाबत पूछे जाने पर उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि हर बात सार्वजनिक नहीं की जा सकती।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में एंटीलिया मामले में मचे घमासान के बीच बड़े सियासी उलटफेर के संकेत हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से एनसीपी के मुखिया शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल की गुपचुप मुलाकात के बाद राज्य में बड़ा सियासी खेल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। हाल के दिनों में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस में चल रही खींचतान के बीच भाजपा और एनसीपी के दिग्गजों की इस मुलाकात को सियासी हलकों में अलग नजरिए से देखा जा रहा है।
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गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस मामले में सियासी सस्पेंस बढ़ा दिया है। पवार से मुलाकात के बाबत पूछे जाने पर उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि हर बात सार्वजनिक नहीं की जा सकती। माना जा रहा है कि होली के बाद राज्य में बड़े सियासी उलटफेर से इनकार नहीं किया जा सकता।
अंबानी प्रकरण के बाद सियासत में उबाल
उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक से भरी हुई कार बरामद होने के बाद महाराष्ट्र की सियासत में उबाल आया हुआ है। राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर के आरोपों के बाद महाराष्ट्र विकास अघाड़ी गठबंधन को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है।
इस बीच अहमदाबाद में अमित शाह और शरद पवार की मुलाकात ने प्रदेश की सियासत में उथल-पुथल की आशंकाओं को जन्म दे दिया है। महाराष्ट्र में हाल के दिनों में हुए मामलों को लेकर एनआईए समेत कई केंद्रीय एजेंसियां जांच में जुटी हुई है।
इसके साथ ही भाजपा नेता एनसीपी नेताओं को साध कर महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज होने की कोशिश में भी जुटे हुए हैं। यही कारण है कि पवार और शाह की मुलाकात को काफी सियासी महत्व दिया जा रहा है।
पवार और शाह की गुपचुप मुलाकात
जानकार सूत्रों का कहना है कि पवार किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जयपुर गए हुए थे और वहीं से वे अचानक अमदाबाद पहुंचे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी देर शाम अचानक अहमदाबाद पहुंचे। दोनों दिग्गज नेताओं के बीच एक नामी उद्योगपति के फार्म हाउस में देर रात मुलाकात हुई।
shivsena-NCP (PC: social media)
इस मुलाकात के दौरान एनसीपी के एक और दिग्गज नेता प्रफुल्ल पटेल भी मौजूद थे। हालांकि एनसीपी ने इन खबरों को निराधार बताया है। दूसरी ओर गृह मंत्री शाह ने भी इस बाबत पत्ते नहीं खोले हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि शाह और पवार दोनों सियासत के बड़े खिलाड़ी हैं और इन दोनों की मुलाकात इस बात का संकेत है कि महाराष्ट्र की सियासत में कोई बड़ी खिचड़ी पक रही है।
शाह ने नहीं किया मुलाकात का खंडन
बंगाल और असम में पहले चरण के मतदान के बाद रविवार को नई दिल्ली में अमित शाह की प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में शाह ने बंगाल और असम चुनाव को लेकर बड़े-बड़े दावे किए।
इस दौरान उनसे पवार से मुलाकात के बाबत भी सवाल पूछे गए। इन सवालों के जवाब में शाह ने कहा कि हर बात सार्वजनिक नहीं की जा सकती। शाह के जवाब में महाराष्ट्र की सियासत के संबंध में सस्पेंस को और बढ़ा दिया है। हालांकि शाह ने पवार से मुलाकात की बात का खंडन नहीं किया।
शिवसेना-एनसीपी में बढ़ी तनातनी
इस बीच महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना और एनसीपी के बीच तनातनी दिख रही है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने पार्टी के मुखपत्र सामना में अपने साप्ताहिक कॉलम में इस बात पर हैरानी जताई है कि गिरफ्तार पुलिस अधिकारी सचिन वाजे वसूली करने में लगा था और गृहमंत्री को इस बात की जानकारी तक नहीं थी।
संजय राउत ने कहा कि सचिन वाजे गृह मंत्री अनिल देशमुख का विश्वासपात्र और दुलारा पुलिस अधिकारी था। उन्होंने कहा कि यह कैसे हो सकता है कि वाजे वसूली करने में जुटा हुआ था और गृह मंत्री को इस बाबत जानकारी ही नहीं थी।
एनसीपी का शिवसेना पर पलटवार
संजय राउत के इस कॉलम के बाद एनसीपी शिवसेना से काफी नाराज है। एनसीपी ने शिवसेना पर पलटवार करते हुए कहा है कि इस तरह के बयानों से गठबंधन में गहरा संकट पैदा होता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जहां एक और शरद पवार अनिल देशमुख को बचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं तो दूसरी ओर शिवसेना देशमुख पर हमलावर है।
बड़े सियासी उलटफेर का संकेत
सियासी जानकारों का मानना है कि अंबानी प्रकरण के बाद महाराष्ट्र की सियासत में आया तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल के दिनों में शिवसेना नेताओं के रवैये से न केवल एनसीपी बल्कि कांग्रेस नेता भी नाराज हैं। गठबंधन में शामिल तीनों दलों के बीच मतभेद लगातार बढ़ते जा रहे हैं और भाजपा इस मौके को भुनाने में जुट गई है।
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भाजपा इस मुद्दे पर लगातार हमलावर बनी हुई है और उसने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को घेरते हुए कहा है कि उद्धव सरकार को अब महाराष्ट्र में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। माना जा रहा है कि होली के बाद महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा धमाका हो सकता है। पवार और शाह की मुलाकात भी राज्य में बड़े सियासी उलटफेर का संकेत दे रही है।
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