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Chhath Pooja: आज डूबते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य, ऐसे शुरू हुई ये परंपरा
छठ पूजा के व्रतधारी आज शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। उगते सूर्य को अर्घ्य देने की रीति कई व्रतों में हैं, लेकिन डूबटे सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा केवल छठ पूजा में ही देखी जाती है।
छठ पूजा के व्रतधारी आज शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। उगते सूर्य को अर्घ्य देने की रीति कई व्रतों में हैं लेकिन डूबटे सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा केवल छठ पूजा में ही देखी जाती है। ऐसे तो इस ख़ास दिन को महिलाए घाट किनारे ,नदी में पूजा करती हैं लेकिन इस कोरोना संकट के बीच लोग अपने घरों में ही इस साल छठ पूजा कर रहे हैं।
सूर्य को अर्घ्य देते वक़्त..
बता दें, कि सूर्य को अर्घ्य देते वक़्त बांस की एक टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू और पूजा के सामान से सजाया जाता है। सूर्यास्त होने से कुछ समय पहले सूर्य देव की पूजा की जाती है, पूजा होने के बाद डूबते सूर्य देव को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा की जाती है। वही छठ पूजा पर सूर्य की पूजा के साथ ही पुत्र और पति की दीर्घायु और धनधान्य की कामना की जाती है।
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क्यों देते है डूबतेसूर्य को अर्घ्य?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सायंकाल में सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं। इसलिए छठ पूजा में शाम के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से व्रत करने वाली महिलाओं को दोहरा लाभ होता है। जो लोग डूबते सूर्य की उपासना करते हैं, उन्हें उगते सूर्य की भी उपासना जरूर करनी चाहिए।
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वही ज्योतिषियों का ये कहना है कि सूर्य को अर्घ्य देने से कई मुसीबतों से छुटकारा मिलता है। साथ ही सेहर भी तंदरुस्त रहती हैं। कई समस्याए दूर हो जाती है। दूसरी ओर वैज्ञानिक का कहना है कि डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से आखों की रोशनी बढ़ती हैं।
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