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छत्तीसगढ़ का कोरबा प्लांट हुआ बंद, 45 साल से कई राज्यों को दे रहा था बिजली
45 साल के लंबे सफर में इस संयंत्र ने न केवल अविभाजित मध्य प्रदेश को रोशन किया बल्कि देश के कई अन्य राज्यों को बिजली आपूर्ति की। 50-50 मेगावाट की चार इकाइयां दो साल पहले ही बंद कर दी गई थीं। अब 120-120 मेगावॉट की भी इकाइयों को बंद कर दिया गया।
रायपुर: 31 दिसंबर यानी नए साल से एक दिन पहले रात ठीक 12 बजे ताप बिजली उत्पादन कंपनी की कोरबा पूर्व ताप विद्युत संयंत्र को बंद कर दिया गया। दरअसल, प्रदूषण अधिक होने के कारण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने राज्य सरकार से इसे बंद करने की सिफारिश की थी। 45 साल के लंबे सफर में इस संयंत्र ने न केवल अविभाजित मध्य प्रदेश को रोशन किया बल्कि देश के कई अन्य राज्यों को बिजली आपूर्ति की। 50-50 मेगावाट की चार इकाइयां दो साल पहले ही बंद कर दी गई थीं। अब 120-120 मेगावॉट की भी इकाइयों को बंद कर दिया गया।
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बता दें कि भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) के सहयोग से 1976 और 1981 में कोरबा में विद्युत ताप संयंत्र की 120-120 मेगावाट की दो इकाइयों स्थापित की गई थीं। इसके बाद ही कोरबा को ऊर्जा नगरी के रूप में एक नहीं पहचान मिली थी। अपने 45 साल के इस सफर में प्लांट ने न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि अन्य राज्यों को भी सेवाएं दी। अब दोनों इकाइयों से औसतन 90-90 मेगावॉट ही बिजली का उत्पादन हो रहा था।
454 नियमित और 550 ठेका कर्मचारी थे कार्यरत
जानकारी के लिए बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य ऊर्जा उत्पादन कंपनी लिमिटेड (CSPGCL) इन प्लांट्स को संचालित कर रही थी। वहीं पहले बंद 4 इकाइयों के स्क्रैप को 75 करोड़ रुपये में खरीदा है। हालांकि अभी बंद हुए प्लांट्स के स्क्रैप का का सौदा नहीं हुआ है। गौरतलब है कि दोनों प्लांट्स में 454 नियमित और 550 ठेका कर्मचारी कार्यरत थे। इनमें से 150 का हसदेव ताप विद्युत संयंत्र कंपनी व डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत गृह में ट्रांसफर किया गया है।
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