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US से हथियार ख़रीदेगा भारत: होंगे इतने खतरनाक, चीन के खिलाफ होगा इस्तेमाल
भारत अमेरिका से M777 अल्ट्रा लाइट होवित्जर तोप के लिए एक्सकैलिबर ऐम्युनिशन खरीदने की तैयारी में हैं। इसके लिए सेना केंद्र के 500 करोड़ के आपात फंड का इस्तेमाल करेगी।
नई दिल्ली: भारत-चीन सीमा विवाद के बीच केंद्र सरकार ने देश की तीनों सेनाओं की ताकत बढ़ाने के लिए खतरनाक हथियार की खरीदने के लिए 500 करोड़ रुपये का आपात फंड जारी किया है। इस आपात फंड से भारतीय रक्षा मंत्रालय बेहद हाईटेक और घातक हथियार खरीदने वाला है। जानकारी के मुताबिक, भारत अमेरिका से खतरनाक टॉप खरीदेगा।
अमेरिका से एक्सकैलिबर ऐम्युनिशन खरीदेगा भारत
भारत अमेरिका से M777 अल्ट्रा लाइट होवित्जर तोप के लिए एक्सकैलिबर ऐम्युनिशन खरीदने की तैयारी में हैं। इसके लिए सेना केंद्र के 500 करोड़ के आपात फंड का इस्तेमाल करेगी। केंद्र ने सेना को महत्वपूर्ण उपकरणों की कमी से दूर करने के लिए आपातकालीन खरीद के लिए अनुमति दे दी है।
सरकार के 500 करोड़ रूपए के आपात फंड से घातक हथियार खरीदने की योजना
ध्यान दें कि भारत की तीनो सेनाओं को आपातकालीन स्थिति में बिना कैबिनेट की मंजूरी के हथियार खरीदने का अधिकार है। ऐसे में केंद्र के 500 करोड़ रूपए से सेना बिना किसी रोकटोक के घातक हथियार खरीद सकती है, बस उन्हें वाइस चीफ की मंजूरी चाहिए।
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M777 अल्ट्रा लाइट होवित्जर तोप को पूर्वी लद्दाख पर तैनात करेगी आर्मी
अमेरिका से हथियार खरीदने को लेकर सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, भारतीय सेना यूएस से अधिक संख्या में क्सकैलिबर ऐम्युनिशन खरीदने वाली है। इसके पहले भारत ने बालाकोट ऑपरेशन के दौरान एक्सकैलिबर ऐम्युनिशन के ऑर्डर दिए थे। वहीं भारत चीन के सीमा पर खराब रिश्तों को लेकर कहा जा रहा है कि सेना M777 अल्ट्रा लाइट होवित्जर तोपों की तैनाती पूर्वी लद्दाख इलाकों में करना चाहती है।
एक्सकैलिबर ऐम्युनिशन की खासियत:
दरअसल, जिस एक्सकैलिबर ऐम्युनिशन को भारत अमेरिका से खरीदने जा रहा है उसकी रेंज अन्य हथियारों की तुलना में काफी ज्यादा होती है। वहीं दुश्मन पर सटीक निशाना लगाने और जंग में सामने वाले को तबाह करने में ये हथियार बेहद दमदार होता है। जानकारी के मुताबिक, एक्सकैलिबर एम्युनिशन ने बेहद घनी आबादी में वाले क्षेत्र में भी पूरी सटीकता से 50 किमी से ज्यादा दूरी पर निशाना लगाया जा सकता है।
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इसके अलावा एक्सकैलिबर एम्युनिशन में जीपीएस नेविगेशन सिस्टम और सैटेलाइट सिग्नल्स भी होता है, जो टारगेट को भेदन में मददगार होता है।
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