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सीमा पर भारी तनाव, चीन ने अब भारत को सतलज नदी पर चौंका दिया
भारत और चीन के बीच सीमा पर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। सीमा विवाद की वजह है भारतीय जवानों और चीनी सैनिकों में इस महीने में दो बार झड़प हो चुकी है। सीमा विवाद के बीच अब चीन के एक कदम ने सबकों चौंका दिया है।
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा पर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। सीमा विवाद की वजह है भारतीय जवानों और चीनी सैनिकों में इस महीने में दो बार झड़प हो चुकी है। सीमा विवाद के बीच अब चीन के एक कदम ने सबकों चौंका दिया है।
चीन ने तय समय से करीब 10 दिन पहले ही सतलुज नदी में जल की मात्रा और उसके प्रवाह से जुड़े आंकड़े भारत को देना शुरू कर दिया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी दी। मॉनसून में आंकड़े शेयर करने की प्रक्रिया हर साल चलती है और उत्तर भारत में बाढ़ को लेकर इनसे महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
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दिलचस्प बात यह है कि चीन ने यह फूर्ति तब दिखाई जब भारत की पूर्वी क्षेत्र और उत्तरी सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं में विवाद हुआ है। गुरुवार को ही भारत के विदेश मंत्रालय ने चीनी सैनिकों पर भारतीय पेट्रोलिंग टीम की ड्यूटी में अड़ंगा डालने का सीधा-सीधा आरोप लगाया। तो वहीं बुधवार को ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के शपथग्रहण समारोह में भी बीजेपी सांसद ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए।
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इस महीनों में आंकड़े होते हैं साझा
अधिकारियों के मुताबिक सतलज नदी के संबंध में चीन त्साडा केन्द्र से प्राप्त आंकड़े शेयर करता है। इस नदी को चीन में लांगकेन जांगबो के नाम से पुकारते हैं। सिंधु की महत्वपूर्ण सहायक नदी सतलज है और इस नदी का उद्गम स्थल तिब्बत में है। यह नदी हिमाचल प्रदेश से भारत में प्रवेश करती है। इस वर्ष चीन ने तय समय से करीब 10 दिन पहले 18-19 मई से ही आंकड़े भारत को देने शुरू कर दिए हैं। दोनों देशों के बीच हुए समझौते के मुताबिक चीन ब्रह्मपुत्र और सतलज नदी में जल की मात्रा और इसके प्रवाह संबंधी आंकड़े क्रमश: 15 मई और 1 जून से अक्टूबर के अंत तक शेयर करता है।
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आंकड़े भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण
अधिकारियों के मुताबिक हर वर्ष बारिश के मौसम में चीन नदी में जल की मात्रा और उसके प्रवाह से जुड़े आंकड़े शेयर करता है। भारत के लिए ये आंकड़े काफी अहम है क्योंकि इसके माध्यम से उत्तर, पूर्वोत्तर के राज्यों में बाढ़ की आशंका आदि का अनुमान लगाया जाता है। आंकड़े शेयर करने से पहले दोनों देश यह देखते हैं कि क्या सिस्टम सही से काम कर रहा है। ब्रह्मपुत्र नदी के लिए आंकड़ा शेयर करने का कार्य 15 मई से शुरू हो गया है।