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चीनी मिसाइलों का हमला: LAC पर हिल उठे पहाड़, हाई-अलर्ट पर सेनाएं
अपनी नापाक हरकतों को कायम रखते हुए चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने भारतीय सीमा के काफी नजदीक मिसाइलें दागी हैं। चीन द्वारा रॉकेट लॉचर से बार-बार गोले दागने की वजह से लद्दाख (Laddakh) के पहाड़ थर-थरा गए हैं।
बीजिंग। लद्दाख सीमा पर भारत(India) और चीनChina) के बीच जारी विवाद कई महीनों के बाद भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में इस बीच चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (People's Libration Army) ने भारतीय सीमा के काफी नजदीक मिसाइलें दागी हैं। साथ ही रॉकेट लॉचर से बार-बार गोले दागे जाने की वजह से लद्दाख (Laddakh) के पहाड़ थर-थरा गए हैं।
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मनोवैज्ञानिक दबाव बना रहा
ऐसें में चीन की इन करतूतों को देखते हुए बताया जा रहा है कि चीन के इस युद्धाभ्यास के पीछे का उद्देश्य भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने को बताया जा रहा है। साथ ही चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स का दावा है कि इस अभ्यास में 90 प्रतिशत नए हथियारों का इस्तेमाल किया गया है।
चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि यह अभ्यास चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (People's Libration Army) के तिब्बत थिएटर कमांड की तरफ से किया गया। चीन द्वारा ये युद्धाभ्यास 4700 मीटर की ऊंचाई पर किया जा रहा है।
फोटो-सोशल मीडिया
चीन के इस अभ्यास का ग्लोबल टाइम्स ने एक वीडियो भी जारी किया है। इस वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि चीनी सेना अंधेरे में हमला बोलती है और ड्रोन विमानों की मदद से हमला बोलती है। साथ ही इस वीडियो में चीनी सेना एक पूरे पहाड़ी इलाके को तबाह करती हुई नजर आ रही है।
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समझौतों के बिल्कुल विपरीत
इसी कड़ी में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि सीमा पर बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों की तैनाती दोनों पूर्व में हुए समझौतों के बिल्कुल विपरीत है।
आगे उन्होंने कहा- ऐसे में जब दो देशों के सैनिक तनाव वाले इलाकों में मौजूद रहते हैं तो वही होता है जो 15 जून को हुआ। यह व्यवहार न सिर्फ बातचीत को प्रभावित करता है बल्कि 30 वर्ष के संबंधों को भी खराब करता है।
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शांति और स्थिरता कायम करने का ढांचा तैयार
इसके साथ ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एशिया सोसायटी के एक वर्चुअल कार्यक्रम में कहा, '1993 से अब तक दोनों देशों के बीच कई करार हुए, जिन्होंने शांति और स्थिरता कायम करने का ढांचा तैयार किया।
आगे उन्होंने कहा कि इन करारों में सीमा प्रबंधन से सैनिकों के बर्ताव तक सब बातों को शामिल किया गया, लेकिन जो इस साल हुआ उसने सभी करारों को खोखला साबित कर दिया।'
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