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जानिए क्या है आर्टिकल-14, जो नागरिकता बिल पर बना विपक्ष का हथियार
लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया है, लेकिन इस पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। इस बिल के पास होने पर विपक्ष ने संविधान पर हमला बताया।
नई दिल्ली: लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया है, लेकिन इस पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। इस बिल के पास होने पर विपक्ष ने संविधान पर हमला बताया। नागरिकता बिल पर बहस के दौरान जिन शब्दों के जरिए विपक्ष ने सरकार पर जमकर निशाना साधा वह हैं आर्टिकल-14, आर्टिकल-21 और आर्टिकल-25 जिसमें सबसे ज्यादा जिक्र आर्टिकल-14 हुआ।
विपक्ष ने इन आर्टिकल का हवाला देते हुए नागरिकता विधेयक को संविधान के खिलाफ बताया, तो वहीं गृह मंत्री मंत्री अमित शाह ने जवाब देते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक किसी भी तरह से आर्टिकल-14, 21 और 25 का उल्लंघन नहीं करता है। आइए हम आपको बताते हैं कि आर्टिकल-14, 21 और 25 क्या हैं।
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आर्टिकल-14
भारतीय संविधान में आर्टिकल-14 में समानता का अधिकार का वर्णन हैं। जिसके तहत समानता के अधिकार की जो परिभाषा दी गयी है उसमें लिखा है राज्य, भारत के किसी व्यक्ति को कानून के समक्ष समता से या कानून के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा। इसका तात्पर्य है कि सरकार देश में किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं करेगा। भारतीय संविधान के भाग-3 समता का अधिकार में अनुच्छेद-14 के साथ ही अनुच्छेद-15 जुड़ा है। इसमें कहा गया है, 'राज्य किसी नागरिक के खिलाफ सिर्फ धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई भेद नहीं करेगा।
इसी को आधार बना कर विपक्ष केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साध रही है। उसका आरोप है कि नागरिकता संशोधन बिल में एक खास धर्म के लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है, जो अनुच्छेद-14 का उल्लंघन है। वहीं केन्द्र सरकार इस बात से इंकार कर रही है।
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आर्टिकल-21
भारतीय संविधान में अर्टिकल 21 के तहत सुरक्षा व आजादी का अधिकार का वर्णन हैं जिसमें लिखा है कि कानून द्वारा तय प्रक्रिया को छोड़कर किसी भी व्यक्ति को जीने के अधिकार या आजादी के अधिकार से वंचित नहीं रखा जाएगा। यह भारत के नागरिक के मूलभूत अधिकारों में से एक है।
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आर्टिकल-25
भारतीय संविधान का आर्टिकल-25 देश के सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है। इसके तहत प्रत्येक नागरिक को धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने का समान अधिकार होगा।