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Civil Service Day: ब्रिटिश राज़ से जुड़ा है सिविल सर्विस का इतिहास, जानिए इसका महत्त्व और थीम

Civil Service Day 2023: ब्रिटिश काल से आया था सिविल सर्वेंट शब्द। स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री वल्लभ भाई पटेल ने प्रशासनिक सेवा ट्रेनिंग में अपना भाषण दिया और तब से यह दिन सिविल सेवा दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

Vertika Sonakia
Published on: 21 April 2023 12:49 PM IST (Updated on: 21 April 2023 1:02 PM IST)
Civil Service Day: ब्रिटिश राज़ से जुड़ा है सिविल सर्विस का इतिहास, जानिए इसका महत्त्व और थीम
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राष्ट्रीय प्रशासनिक सेवा दिवस 2023 (फ़ोटो: सोशल मीडिया)

Civil Service Day 2023: इस दिन सिविल ऑफिशियल्‍स नागरिकों के लिए खुद को फिर से प्रतिबद्ध करते है और सार्वजनिक सेवा के लिए अपनी प्रतिज्ञा को एक बार फिर दोहराते और याद करते हैं।

सिविल सेवा दिवस का इतिहास

प्रत्येक वर्ष भारत सरकार द्वारा 21 अप्रैल को सिविल सेवा दिवस मनाया जाता है। यह दिवस एक बड़ी घटना को दर्शाने के लिए मनाया जाता है। स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री ने वर्ष 1947 में दिल्ली के मेटकॉफ हाउस में प्रशासनिक सेवा अधिकारियों की ट्रेनिंग को सम्बोधित किया था। अपने सम्बोधन में पटेल ने सभी सिविल अफसरों को ‘स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया’ का नाम दिया था। उसी दिन को स्मारक के रूप में राष्ट्रीय नागरिक सेवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2006 से भारतीय सिविल सेवा दिवस प्रत्येक वर्ष मनाया जा रहा है। इस दिवस का शुभारंभ दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2006 में किया गया था।

ब्रिटिश काल में आया था शब्द सिविल सर्वेंट

सिविल सर्वेंट शब्द ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के दौरान प्रचलन में आया था। यह के नागरिक कर्मचारी सिविल सेवा शामिल थे। ब्रिटिश उन्हें सिविल सर्वेंट अर्थात् प्रशासनिक अधिकारी कह कर पुकारते थे। प्रशासनिक सेवा की शुरुआत वॉरेन हेस्टिंग्स द्वारा करी गयी थी। उसके पश्चात चार्ल्स कॉर्नवॉलिस ने इनमें सुधार किये इसलिए वे ‘भारत में नागरिक सेवाओं के पिता’ कहलाए।

लंदन में होती थी सिविल सेवा की परीक्षा

ब्रिटिश काल के दौरान सिविल सेवा परीक्षा लंदन में होती थी। इस समय मेरिट बेस्ड सिस्टम लागू करने की बात कही गई थी। जिसे ध्यान में रखते हुए वर्ष 1854 में लंदन में सिविल सेवा आयोग की स्थापना हुई और उसके एक वर्ष पश्चात लंदन में प्रथम सिविल सेवा परीक्षा कराई गई। उस समय सिविल सेवा परीक्षा भारत में नहीं बल्कि केवल लंदन में ही होती थी।

सिविल सेवा दिवस मनाने का उद्देश्य

सिविल सेवन शब्द का उत्थान ब्रिटिश काल से है। इसको मनाने का उद्देश्य अफ़सरों के कार्य और प्रयत्नों की सराहना करना और प्रोत्साहन देना है। इस दौरान सिविल सेवा के अलग-अलग विभागों के काम का मूल्यांकन भी हो जाता है।

प्रशासनिक सेवा में यह सेवाएं हैं शामिल

भारतीय प्रशासनिक सेवा में आईएएस, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस), भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस), अखिल भारतीय सेवा एवं केंद्रीय सेवा समूह श्रेणी ए अथवा बी के लिए प्रत्येक वर्ष कयी विद्यार्थी परीक्षा देते है। ये सभी परीक्षा भारतीय लोक सेवा आयोग के तहत आती है। इन परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने और ट्रेनिंग के बाद यह सभी प्रशासनिक अधिकारी कहलाते हैं।

सिविल सेवा दिवस की थीम

राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस 2023 के तहत ‘विकसित भारत: नागरिक को सशक्त बनाना और अंतिम मील तक पहुंचना’ थीम का चयन किया गया है।

सिविल सेवा से जुड़े तथ्य

- 21अप्रैल, 1947 को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने मेटकॉफ हाउस में स्वतंत्र भारत में सिविल सेवकों के प्रथम समूह को भाषण दिया था।
- अपने भाषण में उन्होंने सिविल सेवकों को भारत के स्टील फ्रेम कहा।
- 1947 के बाद भारतीय सिविल सेवा अपने वर्तमान स्वरूप में विकसित हुई।
- एक आईएएस अधिकारी के पास सबसे वरिष्ठ पद कैबिनेट सचिव का होता है।
- भारत की प्रथम महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी थी।
- भारत के आईएफएस अफसर बेनो जेफ़िन एनएल पूर्ण रूप से नेत्रहीन हैं।

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