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Jail in India: जेल में तीन तरह की होती है दुनिया, यहां भी चलता VIP कोटा, जानिए देश की कारागारों में अंतर

Jail Life in India: देश में अलग अलग तरह की आठ जेलें हैं। इन सभी जेलों में तीन तरह की बैरक होती है। जानिए कौन से कैदी को कौन सी बैरक मिलती है...

Snigdha Singh
Published on: 20 April 2023 6:30 PM IST (Updated on: 20 April 2023 6:33 PM IST)
Jail in India: जेल में तीन तरह की होती है दुनिया, यहां भी चलता VIP कोटा, जानिए देश की कारागारों में अंतर
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Jails in India

Jail Kaisi Hoti Hai: ये बात हर कोई जानने के आतुर रहता है कि आखिर जेल की दुनिया कैसी होती है, जैसा फिल्मों में दिखाते हैं वैसी या फिर इससे भी अलग। दरअसल, देश में आठ तरह की जेलें हैं। इन जेलों में सुविधाएं भी अलग हैं। लेकिन एक बात जो कॉमन है वह ये कि हर जेल में तीन तरह की दुनिया होती है। यानि जेल में तीन तरह बैरक होती हैं। कैदियों के अपराध और योग्यता के अनुसार भी बैरक अलॉट होती हैं। जेल में सामान्य से लेकर वीआईपी बैरक है। बैरक के अनुसार सुविधाएं भी उपलब्ध होती हैं। जानिए आखिर किसको, कौन सी जेल मिलती है, क्या होती हैं इनमें सुविधाएं?

कैसी होती है जेल की दुनिया

जेल में तीन तरह की बैरक होती है। पहली बैरक एक हॉल के रूप में होती है। इसमें हॉल की क्षमता अनुसार 20 से लेकर 150 तक कैदी रहते हैं। इसमें चारों तरफ से दीवारें होती हैं और एक दीवार पर गेट लगा होता है। इसमें किसी तरह की खिड़की या वेंटीलेशन के लिए भी कुछ नहीं होता हेता है। इसमें एक-एक चटाई भर की जग कैदियों के लिए होती है। कैदी थैलों में अपना सामान रखते हैं।

दूसरी तन्हाई, जिसे हाई सिक्योंरिटी बैरक भी कहा जाता है। इसमें बड़े माफिया डॉन या फिर सुरक्षा के मद्देनजर भी कैदियों को रखा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस बैरक में रखने का एक मकसद टॉर्चर करना भी होता है। इस बैरक मात्र इतनी ही जगह होती है कि एक इंसान लेट और उठ-बैठ सके। ये बैरक सीसीटीवी कैमरों से लैस होती है। इसमें कई बार अपराधियों को दम भी घुटने लगता है।

तीसरी वीआईपी बैरक होती है। ये बैरक अक्सर नेताओं या बढ़े पढ़-लिखे अधिकारियों के लिए होती है। इस बैरक में सोने के लिए थोड़ा ऊंची सीमेंटेड प्लेटफॉर्म बना होता है। इसके साथ ही इसमें पढने के लिए न्यूज पेपर और खाने की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध होती है।

देश में कितनी तरह की हैं जेलें

सेंट्रल जेल: देश में सबसे प्रमुख सेंट्रल जेल होती है। सेंट्रल जेल में उन कैदियों को रखा जाता है, जिन्हें दो साल से अधिक की सजा हुई हो। घिनौने या बड़े अपराध को अंजाम देने वाले कैदियों को भी यहां रखा जाता है। यहां बंद कैदी जेल में काम कर पैसे कमा सकते हैं। मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 11 सेंट्रल जेले हैं। महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और पंजाब में 9 सेंट्रल जेलें हैं। इसके बाद दिल्ली और कर्नाटक में 8 हैं। वहीं, अरूणाचल प्रदेश और मेघालय जैसे राज्यों में कोई सेंट्रल जेल नहीं है।

ओपन जेल: ऐसा जेल होती है जहां दिनभर कैदी बैरक से बाहर होते और शाम होते ही अंदर आ जाते हैं। इसमें दीवारें, सलाखे और ताले नहीं होते। यहां सुरक्षा व्यवस्था भी कम होती है। इन जेलों में उन कैदियों को रखा जाता है, जिनका व्यवहार अच्छा हो और जो नियमों पर खरा उतरते हैं। अगर सेंट्रल जेल के किसी कैदी का व्यवहार अच्छा होता है, तो उसे ओपन जेल में भेजा जा सकता है।

स्पेशल जेल: ये जेल खतरनाक अपराधियों के लिए होती है। इन जेलों में घुसपैठी और आतंकवादियों को रखा जाता है। इन जेलों में कड़ी सुरक्षा होती है। महाराष्ट्र, केरल जैसे राज्यों में ऐसी जेलें हैं।

डिस्ट्रिक्ट जेल: सेंट्रल जेल और जिला जेल में ज्यादा अंतर नहीं होता है। जिला जेल उन राज्यों मुख्य जेल के रूप में काम करते हैं जहां सेंट्रल जेल नहीं होती। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा जिला जेल हैं।

उप (सब) जेल: देश में उप जेल सब डिविजनल स्तर के जेल की भूमिका निभाते हैं। सबसे अधिक उप जेल महाराष्ट्र में हैं। वहीं हरियाणा, मेघालय, मणिपुर जैसे राज्यों में उप जेल नहीं है।

महिला जेल: देश में महिलाओं के लिए अलग से जेल है। इसमें अपराध या किसी मुकदमें में दोषी महिलाओं को रखा जाता है। महिलाओं के लिए तरह तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

बॉस्टर्ल स्कूल: ये जेल नाबालिगों के लिए होती है। बॉस्टर्ल स्कूल एक प्रकार के यूथ डिटेंशन सेंटर होते हैं। इन स्कूलों में अपराध में शामिल नाबालिगों को रखा जाता है। यहां उनके कल्याण और पुनर्वास आदि पर जोर दिया जाता है। यहां पर उनकी शिक्षा और रोजगार के लिए भी काम किया जाता है। इसके अलावा एक अन्य जेल होती है।



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Snigdha Singh

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