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NRC पर चीफ जस्टिस का बड़ा बयान, कहा-भविष्‍य पर आधारित है ये दस्‍तावेज

दरअसल 'पोस्‍ट कोलोनियल असम' नामक पुस्‍तक के लॉन्चिंग समारोह में सीजेआई रंजन गोगोई ने एनआरसी का बचाव करते हुए कहा कि एनआरसी मौजूदा समय का दस्‍तावेज नहीं है।

Shivakant Shukla
Published on: 3 Nov 2019 7:50 PM IST
NRC पर चीफ जस्टिस का बड़ा बयान, कहा-भविष्‍य पर आधारित है ये दस्‍तावेज
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नई दिल्‍ली: असम में नेशनल रजिस्‍टर ऑफ सिटिजनशिप (एनआरसी) को लेकर चल रहे आलोचनाओं के दौर के बीच सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई ने असम एनआरसी का बचाव किया है।

दरअसल 'पोस्‍ट कोलोनियल असम' नामक पुस्‍तक के लॉन्चिंग समारोह में सीजेआई रंजन गोगोई ने एनआरसी का बचाव करते हुए कहा कि एनआरसी मौजूदा समय का दस्‍तावेज नहीं है। 19 लाख और 40 लाख मुद्दा नहीं है। एनआरसी भविष्‍य पर आधारित दस्‍तावेज है। उन्‍होंने कहा कि हम इस दस्‍तावेज के जरिये भविष्‍य में होने वाले दावों पर निर्णय ले सकते हैं।

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उन्होंने कहा कि अवैध प्रवासियों या घुसपैठियों की संख्‍या का पता लगाना बेहद जरूरी था। एनआरसी के जरिये कुछ ऐसा ही किया गया है। ना कुछ अधिक, ना कुछ कम। इस दौरान उन्‍होंने एनआरसी मुद्दे पर सोशल मीडिया पर कुछ लोगों की ओर से फैलाई जा रही गलत बातों पर भी लोगों के सामने बात रखी।

उन्‍होंने कहा कि सोशल मीडिया का इस्‍तेमाल इस मुद्दे पर अस्‍पष्‍ट बातें फैलाने के लिए किया जा रहा है। इस पर निंदात्‍मक बातें की जा रही हैं। उनके द्वारा फैलाई जा रही बातें तथ्‍यों से दूर हैं।

जानें क्या है NRC सूची और कब हुई थी लागू

बता दें कि 31 अगस्‍त को जारी की गई असम एनआरसी की अंतिम सूची में 19,06,657 लोग बाहर किए गए हैं। जबकि 3,11,21,004 लोग एनआरसी में शामिल किए गए हैं। असम के एनआरसी में शामिल नहीं हुए लोग 31 अगस्‍त से 120 दिन तक अपनी नागरिकता साबित करने के लिए उपलब्‍ध उपायों का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए 200 नए फॉरनर्स ट्रिब्‍यूनल बनाए गए हैं। वे इसमें आवेदन कर सकते हैं।

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NRC से नागरिकों के अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा: विदेश मंत्रालय

विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि एनआरसी की अंतिम सूची में शामिल नहीं किए गए असम के नागरिकों के अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अंतिम सूची से बाहर हुए लोगों को हिरासत में नहीं लिया जाएगा. कानून के तहत उपलब्‍ध सभी उपायों का इस्‍तेमाल करने तक उनके अधिकार पहले की तरह बरकरार रहेंगे। एनआरसी 24 मार्च, 1971 या उससे पहले से असम में रहने वाले वास्‍तविक भारतीय नागरिकों की पहचान करने के लिए बनाया जा रहा है।

Shivakant Shukla

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