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Cloud Burst: बादल क्यों और कैसे फटते हैं
Cloud Burst: फटने को इंग्लिश में बर्स्ट कहते हैं, और सुनने में ऐसा लगता है, जैसे ग़ुब्बारा में भरा पानी बाहर एक साथ निकल गया हो।इस उदाहरण से हम समझ सकते हैं।
Cloud Burst: मानसून के आते ही आपने बादल फटने की खबर सुनी होगी।क्या कभी आपने सोचा है इसे बादल फटना ही क्यों कहते हैं या बादल कैसे फटते हैं। इन्हें भारी बारिश होना क्यों नहीं कहा जाता है। पहाड़ी इलाक़ों में ही क्यों बादल फटते हैं । इन सभी सवालों के जवाब खोजने की कोशिश करेंगें।
सबसे पहले बादल फटना क्या होता है समझते हैं
फटने को इंग्लिश में बर्स्ट कहते हैं, और सुनने में ऐसा लगता है, जैसे ग़ुब्बारा में भरा पानी बाहर एक साथ निकल गया हो।इस उदाहरण से हम समझ सकते हैं।ठीक इसी तरह की घटना बादलों के साथ होती है।बादल फटना एक तकनीकी शब्द है, जिसका मतलब है ‘अचानक बहुत ज्यादा बारिश का एक जगह पर गिरना’।अब IMD यानी की भारत के मौसम विभाग के अनुसार भी जान लेते हैं।IMD के मानदंड के अनुसार, यदि एक घंटे में 100 MM बारिश होती है तो इसे बादल फटना कहा जाता है।सामान्य तौर पर देखा जाए तो जमीन की सतह से 12 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर होने वाली भारी बारिश को ही बादल का फटना कहते हैं।जहां बादल फटता है वहां 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बारिश हो सकती है।
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बादल कब और क्यों फटते हैं
बादल फटने की घटना तब होती है जब भारी मात्रा में नमी वाले बादल एक जगह इक्कठा हो जाते हैं। ऐसा होने से वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में एक दूसरे से टकराती हैं।और बादल नमी की गर्मी सहन नहीं कर पाते हैं।इन नमी की बूंदों का भार इतना अधिक होता है कि बादल का घनत्व बढ़ जाता है।घनत्व बढ़ने से बादल प्रतिक्रिया में अचानक बरस जाते हैं ।जिससे अचानक तेज बारिश शुरू हो जाती है।और बाढ़ की (स्तिथि ) तक निर्मित हो जाती है।
पहाड़ी इलाक़ों में ही क्यों बादल फटते हैं
मॉनसून के समय में नमीं वाले बादल उत्तर दिशा की ओर बढ़ते जाते हैं। हिमालय पर्वत और अन्य पहाड़ इनके रास्ते पड़ जाते हैं। ये बादल पहाड़ों में आगे बढ़ नहीं पाते हैं । एक ही जगह जमा होने लगते हैं। इसलिए मॉनसून के समय में पहाड़ों में बादल फटने की घटनाएं अकसर सुनने में आती रहती हैं ।
क्या बादल फटने की घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है?
भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा वर्षा का अनुमान लगाया जा सकता है । पूर्वानुमान हल्की, भारी या बहुत भारी वर्षा के बारे में हो सकते हैं, लेकिन मौसम वैज्ञानिकों के पास यह अनुमान लगाने की क्षमता नहीं है कि किसी निश्चित स्थान पर कितनी बारिश होने की संभावना है।
मैदानी भागों में भी हो सकती है यह घटना
26 जुलाई 2005 में मुंबई में होने वाली बारिश इसी का परिणाम है।लेकिन मैदानी भागों में बादल का फटना बेहद असामान्य है।हालांकि, गर्म हवा का झोंका भी यदि बादलों की तरफ मुड़ जाएं तो भी बादल फट सकते हैं। ऐसी घटनाएं मैदानी इलाकों में भी हो सकती है।