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TMC को बड़ा झटका देने में चूकी BJP, शताब्दी को मनाने में ऐसे कामयाब हुईं ममता
ममता ने अपने भतीजे और टीएमसी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले अभिषेक बनर्जी को शताब्दी रॉय को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी और अभिषेक बनर्जी ने कई घंटे की बातचीत के बाद शताब्दी को मनाने में कामयाबी हासिल कर ली।
नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस के महत्वपूर्ण नेताओं को तोड़कर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को झटका देने में जुटी भाजपा का एक निशाना चूक गया है। ममता की करीबी टीएमसी सांसद शताब्दी रॉय के बगावती तेवर के बाद उनके भाजपा में जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं मगर ममता बनर्जी ने पूरी ताकत लगाकर उन्हें मना लिया है।
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ममता ने अपने भतीजे और टीएमसी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले अभिषेक बनर्जी को शताब्दी रॉय को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी और अभिषेक बनर्जी ने कई घंटे की बातचीत के बाद शताब्दी को मनाने में कामयाबी हासिल कर ली।
अपना दुर्ग सहजने में जुटीं ममता
भाजपा के पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय के टीएमसी के कुछ सांसदों और करीब 41 विधायकों के अपने संपर्क में होने का दावा करने के बाद ममता अपना दुर्ग सहेजने में जुटी हुई हैं।
वे किसी भी तरह पार्टी में उभर रहे असंतोष को दबाना चाहती हैं और इस मामले में शताब्दी राय के रूप में उन्हें बड़ी कामयाबी हासिल हुई है।
ममता के भतीजे को मिली कामयाबी
दरअसल कुछ दिनों के भीतर टीएमसी के कई नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद बीरभूम से टीएमसी सांसद शताब्दी रॉय के असंतोष के बाद कई तरह के सवाल उठने लगे थे। सियासी हलकों में यह चर्चा भी आम थी कि ममता बनर्जी चुनाव से पहले ही टीएमसी का किला बचाने में विफल साबित होती दिख रही हैं।
ऐसे में शताब्दी के बगावती तेवर अपनाने के बाद ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी उन्हें मनाने में जुट गए। दोनों के बीच देर रात तक लंबी बातचीत हुई जिसके बाद शताब्दी राय ने साफ कर दिया कि वह पार्टी नहीं छोड़ रही हैं।
तृणमूल में ही बने रहने की घोषणा
टीएमसी सांसद शताब्दी राय ने दिल्ली जाने की घोषणा भी कर रखी थी मगर अभिषेक से मुलाकात के बाद उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वे दिल्ली नहीं जा रही हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि मैं तृणमूल कांग्रेस के साथ थी और आगे भी पार्टी में ही बनी रहूंगी।
जानकार सूत्रों का कहना है कि बनर्जी के साथ मुलाकात में शताब्दी ने कई मुद्दे उठाए हैं। शताब्दी ने स्पष्ट किया कि मैंने अभिषेक बनर्जी को जो भी दिक्कतें बताई हैं, उन्होंने उन सभी का संज्ञान लिया है।
MP Satabdi Roy (PC: social media)
समस्या को हाईकमान तक पहुंचाया
उन्होंने यह भी कहा कि उनसे बातचीत से मुझे संतुष्टि मिली है और मैं जिस तरह की बातचीत चाहती थी, वैसी ही बातचीत हुई है।
उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी की ओर से मुझे पहले भी बुलावा मिलता रहा है और आगे भी जब भी वे बुलाएंगी, मैं जरूर जाऊंगी। उन्होंने कहा कि अपने मतदाताओं से न मिल पाना मेरा सबसे बड़ा मुद्दा था और मैंने इस समस्या को पार्टी हाईकमान तक पहुंचाया है।
मुद्दों का समाधान करना जरूरी
हाल के दिनों में शुभेंदु अधिकारी सहित कई टीएमसी नेताओं ने पार्टी छोड़कर ममता बनर्जी को करारा झटका दिया है। इस बाबत सवाल पूछे जाने पर सांसद रॉय ने कहा कि अगर कोई सवाल उठाता है तो यह उसकी दिक्कत हो सकती है मगर जब दस लोग सवाल करते खड़ा करते हैं तो कोई न कोई बात जरूर होगी। उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व को इन समस्याओं का हल जरूर निकालना चाहिए।
भाजपा को नहीं मिली कामयाबी
टीएमसी सांसद को मनाने में अभिषेक बनर्जी के अलावा तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने भी भूमिका निभाई। घोष ने भी दक्षिण कोलकाता स्थित सांसद के आवास पर उनसे मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि शताब्दी उनकी पुराने मित्र हैं और मैं अपनी पुरानी मित्र से मिलने आया था।
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा नेता मुकुल रॉय ने टीएमसी सांसद से संपर्क किया था। वे उन्हें भाजपा में शामिल कराने की कोशिश में जुटे हुए थे मगर उन्हें कामयाबी नहीं मिली। टीएमसी के वरिष्ठ नेता एवं दमदम से सांसद सौगत रॉय ने भी कहा कि पार्टी ने शताब्दी की शिकायतों को दूर करने का प्रयास किया है।
लगातार तीन बार से जीत रही हैं शताब्दी
शताब्दी रॉय का बांग्ला फिल्म उद्योग में सफल करियर रहा है। बाद में उन्होंने सियासी मैदान में उतरने का फैसला किया था। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर 2009 में पहली बार बीरभूम से चुनाव जीता था। बाद में वे 2014 और 2019 में भी इस सीट से चुनाव जीतने में कामयाब रहीं।
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लोकसभा का लगातार तीन चुनाव जीतने वाली शताब्दी रॉय की अपने क्षेत्र पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। यही कारण है कि उनकी नाराजगी से तृणमूल कांग्रेस में हड़कंप मच गया था मगर आखिरकार ममता बनर्जी उन्हें मनाने में कामयाब रही हैं। इस तरह शताब्दी राय को तोड़ने का भाजपा का सपना फिलहाल अधूरा रह गया है।
रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी
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