TRENDING TAGS :
कांग्रेस की नई मुसीबत बने आजाद, मोदी की तारीफ के बाद फिर लगने लगे ये कयास
आजाद का रवैया इन दिनों सियासी जानकारों के लिए भी एक पहेली बना हुआ है। आजाद ने पीएम मोदी को जमीन से जुड़ा हुआ नेता बताया है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सदस्य गुलाम नबी आजाद कांग्रेस हाईकमान के लिए बड़ी मुसीबत बनते जा रहे हैं। एक और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार तीखे हमले करने में जुटे हुए हैं तो दूसरी ओर आजाद ने पीएम मोदी की तारीफ कर हर किसी को चौंका दिया।
उनके इस कदम के बाद उनकी भावी सियासी संभावनाओं को लेकर नई कयासबाजी शुरू हो गई है। पीएम मोदी की शान में कसीदे पढ़ते हुए आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री जैसे बड़े पद पर होने के बावजूद मोदी ने अपनी जड़ों को याद रखा है और खुद को गर्व से चायवाला कहते हैं।
कांग्रेस की आंतरिक कलह सामने आई
जम्मू में रविवार को गुज्जर समुदाय को संबोधित करते हुए आजाद ने यह बात कही। शनिवार को आजाद के बुलावे पर जम्मू में ही पार्टी के असंतुष्ट नेताओं का जमावड़ा लगा था जिसमें राज्यसभा से आजाद की विदाई पर कांग्रेस नेतृत्व को जमकर खरी-खोटी सुनाई गई थी। आजाद सहित पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के बयानों से पार्टी की आंतरिक कलह खुलकर सामने आ गई है।
ये भी पढेंः वैक्सीन लगवाएंगे ये दिग्गजः पीएम मोदी के बाद इनका भी आज टीकाकरण, जानें नाम
सबके लिए पहेली बन गए हैं आजाद
आजाद का रवैया इन दिनों सियासी जानकारों के लिए भी एक पहेली बना हुआ है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद ने पीएम मोदी को जमीन से जुड़ा हुआ नेता बताते हुए कहा कि लोगों को मोदी से सीखना चाहिए कि कामयाबी की बुलंदियों पर पहुंचकर भी अपनी जड़ों से जुड़ा रहा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति को दुनिया से अपनी असलियत कभी नहीं छुपानी चाहिए। यही कारण है कि मैं प्रधानमंत्री जैसे नेताओं की की प्रशंसा करता हूं जो यह कहने में संकोच नहीं करते कि वह गांव से हैं और कभी चाय बेचते थे।
आजाद की विदाई पर उठे सवाल
आजाद कांग्रेस के उन 23 नेताओं में शामिल है जिन्होंने पिछले साल पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर संगठन चुनाव कराने और पार्टी में नियमित अध्यक्ष नियुक्त करने की मांग की थी। यह मांग करने वालों में आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी जैसे वरिष्ठ नेता भी आजाद के साथ थे।
ये भी पढ़ेँ-अब होगा विस्तार किसान आंदोलन का, यूपी के इन जिलों में जोरदार तैयारियां
जम्मू में शनिवार को आजाद के बुलावे पर ये सभी नेता पहुंचे थे और उन्होंने कांग्रेस के लगातार कमजोर होने पर चिंता जताते हुए राज्यसभा से आजाद की विदाई पर सवाल भी उठाए थे।
उस नजारे ने दिया बड़ा सियासी संदेश
राज्यसभा से आजाद के रिटायरमेंट के मौके पर पैदा हुआ नजारा भी बहुत कुछ सियासी संदेश दे गया था। आजाद की विदाई के मौके पर पीएम मोदी ने उनकी जमकर तारीफ की थी। यहां तक कि उनसे जुड़ी एक घटना का जिक्र करते हुए वह इतने भावुक हो गए कि उनकी आंखों में आंसू तक आ गए थे। उन्होंने देश के प्रति आजाद की सेवाओं का जिक्र करते हुए हैं उन्हें सैल्यूट तक किया था। पीएम मोदी 2007 में कश्मीर में हुए आतंकी हमले के दौरान फंसे गुजरात के पर्यटकों को वहां से निकालने में तत्कालीन मुख्यमंत्री आजाद की ओर से की गई मदद का जिक्र करते हुए भावुक हो गए थे।
पक रही है नई सियासी खिचड़ी
अभी हाल में सरकार की ओर से दिल्ली में आयोजित एक मुशायरे में भी आजाद का रेड कारपेट वेलकम किया गया था। इस घटना की भी सियासी हलकों में खूब चर्चा हुई थी। हालांकि आजाद ने राज्यसभा से विदाई के बाद लगाए जा रहे कयासों का खंडन करते हुए कहा कि वह कांग्रेस में थे और आगे भी कांग्रेस में ही रहेंगे मगर जानकारों का मानना है कि कुछ सियासी खिचड़ी जरूर पक रही है जिसका खुलासा समय आने पर ही हो सकेगा।
हाईकमान के खिलाफ फूंका बिगुल
जम्मू में शनिवार को जुटे जी-20 के नेताओं के भाषण को हाईकमान के खिलाफ संघर्ष का बिगुल माना जा रहा है। आजाद के बुलावे पर पहुंचने वाले नेताओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल व आनंद शर्मा, मनीष तिवारी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राज बब्बर भी शामिल थे।
ये भी पढ़ेँ- नीतीश कुमार: सियासी मैदान के माहिर खिलाड़ी, अपनी चाल से सबको कर देते हैं हैरान
पांच राज्यों में होने वाले चुनाव के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के तीखे तेवरों से पार्टी की आंतरिक कलह एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है। जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में जी-23 की ओर से देश के अन्य स्थानों पर भी ऐसी बैठकों का आयोजन किया जा सकता है।
और तीखा हो सकता है तेवर
हालांकि अभी तक आजाद और उनके समर्थक नेताओं के संबंध में हाईकमान ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है। राहुल समर्थक खेमा भी अभी खुलकर सामने नहीं आया है मगर माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की बहाली की मांग करने वाले नेताओं का तेवर और तीखा हो सकता है।