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किसान आंदोलन कांग्रेस के लिए अलादीन का चिराग, तलाशेगी जमीन
कांग्रेस किसानों के गुस्से को अपने वोट बैंक के रूप में कैश कराना चाहती है। इसीलिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आने वाले समय में किसान आंदोलन गांवों से शहरों तक फैलने का एलान किया है। उनका कहना है कि इसका समाधान यही है कि सरकार तीनों कानूनों को वापस ले।
रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ: देश की राजनीति में लगातार अपनी पकड़ खोते हुए हाशिये पर सिमटती जा रही कांग्रेस को किसान आंदोलन जीवनदान रूपी उम्मीद की किरण दिखाई दे रहा है। कांग्रेस किसानों के गुस्से को अपने वोट बैंक के रूप में कैश कराना चाहती है। इसीलिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आने वाले समय में किसान आंदोलन गांवों से शहरों तक फैलने का एलान किया है। उनका कहना है कि इसका समाधान यही है कि सरकार तीनों कानूनों को वापस ले। वह जानते हैं कि केंद्र सरकार किसी भी हालत में इन कानूनों को वापस नहीं लेगी। और यही कांग्रेस के लिए फायदे की बात रहेगी, वह इसे मुद्दा बनाकर किसानों के पीछे खड़ी होकर अपनी खोई जमीन पाने के बारे में सोच सकती है।
तीनों कानून के बारे में समझाना जरुरी: राहुल गांधी
राहुल गांधी कहते हैं "यह समझना जरूरी है कि ये तीनों कानून क्या हैं। पहले कानून से मंडिया खत्म हो जाएंगी। दूसरे कानून से बड़े कारोबारी अनाज की जमाखोरी कर लेंगे। तीसरे कानून से एमएसपी खत्म हो जाएगी।" राहुल गांधी ने कहा, " सरकार मध्य वर्ग को आने वाले समय में झटका देने जा रही है। आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाएगी।"
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों को धमकाने और डराने का प्रयास कर रही है। उन्होने कहा कि यह आंदोलन खत्म नहीं होने वाला और आने वाले समय में यह गांवों से शहरों तक फैल जाएगा। हम समाधान चाहते हैं। समाधान यही है कि कानूनों को वापस लिया जाए। राहुल गांधी का ये बयान आने से पहले ही अन्य राज्यों में उनके सिपहसालार किसानों के पक्ष में आवाज बुलंद करने की मुहिम में जुट चुके हैं।
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विधानसभा चुनाव में आंदोलन को अपना मुद्दा बनाएगी कांग्रेस
उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश पहले ही कह चुकी हैं कि कांग्रेस उत्तराखंड में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में किसान आंदोलन को अपना मुद्दा बनाएगी। उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस इसके अलावा एमएसपी, प्रदेश में बढ़ रही बेरोजगारी के मु्द्दों पर भी चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में किसानों का धान एमएसपी पर नहीं खरीदा गया। ना ही धान खरीद का पैसा किसानों तक पहुंच पाया है, जिसको लेकर भी सदन में सरकार के सामने यह सवाल उठाया जाएगा।
आंदोलन के ज़रिए वो अपनी पैठ मजबूत करने की तैयारी में कांग्रेस
मध्य प्रदेश में भी किसान आंदोलन को लेकर सियासी हलचल तेज है। किसान आंदोलन के बहाने कांग्रेस पार्टी अपनी खोई हुई ज़मीन तलाश रही है। नये कृषि कानून के खिलाफ पंजाब, हरियाणा के किसान तो जूझ रहे हैं लेकिन मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार होने के कारण अब तक यहां के किसान कृषि कानून के खिलाफ सामने नहीं आए हैं। लेकिन अब कांग्रेस यहां के किसानों को सक्रिय करना चाहती है। किसान आंदोलन के ज़रिए वो अपनी पैठ मजबूत करने की तैयारी में है।
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर व राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व मंत्री रणदीप सुरजेवाला किसान आंदोलन को लेकर किसानों के बीच पैठ बनाने में जुटे हैं। हरियाणा कांग्रेस विधायक दल के उप नेता और नूंह विधायक आफताब अहमद ने जिला कांग्रेस मुख्यालय पर किसान आंदोलन के समर्थन में पंचायत की। उन्होंने कहा है कि आंदोलन को उनका समर्थन जारी रहेगा। उन्होंने भाजपा पर साजिश रचकर आंदोलन को बदनाम करने का आरोप लगाया।
अंग्रेजों की तरह व्यवहार कर रही मोदी सरकार
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी कहा है कि मोदी सरकार अंग्रेजों की तरह व्यवहार कर रही है। देश के अन्नदाता के आंदोलन को कुचलने की कोशिश हो रही है। राजस्थान में चार विधानसभा सीटों सुजानगढ़, वल्लभनगर, सहाड़ा और राजसमंद में उपचुनाव होने हैं। कांग्रेस किसानों की सहानुभूति का कोई मौका खोना नहीं चाहती है।
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महाराष्ट्र में ग्रामीण इलाकों में अपना सियासी आधार मजबूत करने के लिए राज्य के तीनों सत्ताधारी दल शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस खुलकर किसानों के समर्थन में आ गए हैं। पिछले दिनों मुंबई के आजाद मैदान में विशाल रैली भी हुई थी जिसमें तीनों दलों के नेताओं ने किसानों को संबोधित किया था। कांग्रेस पार्टी किसानों के समर्थन में खुलकर आ चुकी है। वह भाजपा के खिलाफ जबरदस्त तरीके से आवाज उठाकर किसानों और ग्रामीण इलाके के राजनीतिक समीकरण साधने की कवायद तेज करना चाहती है। देखना यही है कि इस खेल में कांग्रेस को कुछ हाथ लगता है या नहीं।