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कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस और जेडीएस नेताओं के बीच जुबानी जंग

कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर (जद (एस)) के बीच मतभेद गहरा गए हैं। जद (एस) के प्रदेश अध्यक्ष ए एच विश्वनाथ और कांग्रेस नेता एवं कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने एक-दूसरे पर ‘‘गठबंधन धर्म’’ का पालन नहीं करने के आरोप लगाए हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 13 May 2019 5:11 PM GMT
कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस और जेडीएस नेताओं के बीच जुबानी जंग
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बेंगलुरु: कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर (जद (एस)) के बीच मतभेद गहरा गए हैं। जद (एस) के प्रदेश अध्यक्ष ए एच विश्वनाथ और कांग्रेस नेता एवं कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने एक-दूसरे पर ‘‘गठबंधन धर्म’’ का पालन नहीं करने के आरोप लगाए हैं।

सिद्धरमैया को मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर कांग्रेस में लगातार उठ रही मांगों के बीच दोनों नेताओं की जुबानी जंग से कांग्रेस और जद (एस) के लिए जटिल स्थिति बनने के आसार हैं।

कांग्रेस नेता सिद्धरमैया को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग से जद (एस) नेतृत्व चिढ़ा हुआ प्रतीत होता है। विश्वनाथ ने ऐसी मांगों को ‘‘चमचागिरि’’ करार दिया और एक प्रशासक के तौर पर सिद्धरमैया की काबिलियत पर सवाल उठाए।

विश्वनाथ ने रविवार को कहा था, ‘‘(सिद्धरमैया के शासन में) ऐसी क्या खास बात है? क्या वह देवराज उर्स से भी बड़े प्रशासक हैं? लोग 30 साल बाद भी आज देवराज उर्स को याद करते हैं। (सिद्धरमैया के शासनकाल में) ऐसा क्या महान हो गया कि उन्हें दशकों तक याद किया जाए? कौन से बड़े विकास कार्य हुए? कुछ भी नहीं।’’

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सिद्धरमैया ने सोमवार को ट्वीट किया, ‘‘मैं विश्वनाथ के ईर्ष्या भरे बयान को समन्वय समिति में उठाऊंगा। पहले (उच्च शिक्षा मंत्री) जी टी देवगौड़ा और अब विश्वनाथ। पता नहीं अगला कौन होगा? बेहतर होगा कि जद (एस) के वरिष्ठ नेता इस पर गौर करें।’’

उन्होंने कहा कि ‘‘गठबंधन धर्म’’ उन्हें विश्वनाथ की ‘‘गैर-जिम्मेदाराना’’ टिप्पणियों के खिलाफ खुलकर बोलने से रोक रहा है। सिद्धरमैया ने ट्वीट किया, ‘‘विश्वनाथ शरारत भरे बयानों के लिए कुख्यात हैं। ईश्वर उन्हें सदबुद्धि दे।’’

कांग्रेस नेता के ट्वीट पर विश्वनाथ ने सोमवार को सवाल किया कि कांग्रेस-जद (एस) समन्वय समिति के अध्यक्ष के तौर पर सिद्धरमैया ने किया क्या है। पत्रकारों से बातचीत में विश्वनाथ ने कहा, ‘‘गठबंधन धर्म के लिए समन्वय समिति बनाई गई है। समन्वय समिति में चर्चा करें। आप उसके अध्यक्ष हैं। आपको समन्वय समिति में यह कहने से किसने रोका है कि आप मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं।’’

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विश्वनाथ ने कहा कि समन्वय समिति पिछले एक साल में साझा न्यूनतम कार्यक्रम तक तय नहीं कर पाई।

उन्होंने कहा, ‘‘समन्वय समिति को सरकार के दोनों गठबंधन साझेदारों जद (एस) और कांग्रेस के बीच समन्वय करना है। आप तैयार ही नहीं हैं। आप मुझ पर गैर-जिम्मेदार होने के आरोप लगा रहे हैं।’’

जद (एस) नेता ने कहा कि सिद्धरमैया एक साल से समन्वय समिति के अध्यक्ष हैं, लेकिन अब तक साझा न्यूनतम कार्यक्रम तैयार नहीं किया जा सका है। यह तय ही नहीं है कि सरकार को किस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए, सरकार के कार्यक्रम क्या होने चाहिए और दोनों पार्टियों को किस सिद्धांत पर कदम बढ़ाना चाहिए।

विश्वनाथ ने इस बात पर भी जोर दिया कि यदि सिद्धरमैया के फिर से मुख्यमंत्री बनने की कोई संभावना है तो वह 2022 में ही है, उससे पहले नहीं। कांग्रेस नेता एवं उप-मुख्यमंत्री जी परमेश्वर ने भी विवादित बयानों के लिए विश्वनाथ को जिम्मेदार ठहराया।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे दोनों नेताओं के बीच निजी मतभेदों के बारे में पता नहीं है। लेकिन जब दोनों पार्टियों ने मिलकर सरकार चलाने का फैसला किया है तो विश्वनाथ को समन्वय समिति के अध्यक्ष के बारे में ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए। भविष्य में ऐसी बातें नहीं होनी चाहिए। हमें भी ऐसे नहीं बोलना चाहिए। इसे ही गठबंधन धर्म कहते हैं।’’

कांग्रेस और जद (एस) नेताओं की जुबानी जंग के बीच भाजपा ने विश्वनाथ के बयान के बारे में कहा कि यह जद (एस) नेतृत्व की राय को दर्शाता है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी एस येदियुरप्पा ने कहा, ‘‘यह ए एच विश्वनाथ का बयान नहीं है बल्कि कुछ ऐसी चीज है जो कुमारस्वामी उनके जरिए कहलवाना चाहते हैं।’’

भाषा

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