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राजस्थान कांग्रेस में सियासी घमासान तेज, पायलट का गहलोत को तीखा जवाब-उनकी नेता सोनिया गांधी नहीं बल्कि वसुंधरा राजे
Rajasthan Politics: पायलट ने आज जयपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि एक ओर तो मुख्यमंत्री का यह कहना है कि भाजपा सरकार गिराने का काम कर रही थी तो दूसरी तरफ उनका यह भी कहना है कि वसुंधरा राजे ने उनकी सरकार को बचाने का काम किया। उन्होंने मांग की कि मुख्यमंत्री को यह स्पष्ट करना चाहिए कि आखिरकार वे कहना क्या चाहते हैं।
Rajasthan Politics: राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर सियासी घमासान काफी तेज हो गया है। राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से धौलपुर में दिए गए बयान का तीखा जवाब दिया है। पायलट ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत के बयान को सुनकर ऐसा लगता है कि उनकी नेता सोनिया गांधी नहीं बल्कि वसुंधरा राजे हैं।
पायलट ने आज जयपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि एक ओर तो मुख्यमंत्री का यह कहना है कि भाजपा सरकार गिराने का काम कर रही थी तो दूसरी तरफ उनका यह भी कहना है कि वसुंधरा राजे ने उनकी सरकार को बचाने का काम किया। उन्होंने मांग की कि मुख्यमंत्री को यह स्पष्ट करना चाहिए कि आखिरकार वे कहना क्या चाहते हैं।
मुख्यमंत्री के इस बयान पर मचा है बवाल
दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से रविवार को धौलपुर में दिए गए बयान के बाद राजस्थान कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप की सियासत तेज हो गई है। रविवार को गहलोत ने राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे के संबंध में हैरानी भरा बयान दिया था। वसुंधरा राजे को अपनी सरकार का संकटमोचक बताते हुए उन्होंने कहा कि 2020 में कांग्रेस के कुछ विधायकों की बगावत के समय वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल ने मेरी सरकार बचाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। गहलोत ने सचिन पायलट की अगुवाई में कांग्रेस विधायकों की बगावत की याद दिलाते हुए यह महत्वपूर्ण सियासी बयान दिया।
गहलोत के इस बयान पर राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गहलोत के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया जताई थी। उन्होंने गहलोत के दावों को बड़ी साजिश बताते हुए चुनौती भी दी। उन्होंने कहा कि इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार तय है और इस हार के डर से अशोक गहलोत झूठ बोल रहे हैं।
मेरे खिलाफ कार्रवाई की कोशिश की गई
वसुंधरा राजे के बाद अब सचिन पायलट ने भी गहलोत के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। राज्य में 2020 के राजनीतिक संकट का जिक्र करते हुए पायलट ने कहा कि मैं उस समय राज्य का डिप्टी सीएम था और मेरे खिलाफ राजद्रोह के आरोप में कार्रवाई करने की कोशिश की गई थी। उस समय हम कुछ विधायकों के साथ राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर दिल्ली पहुंचे थे।
हमारी मांग के आधार पर एक कमेटी का गठन किया गया और कमेटी ने सबकी बात सुनने के बाद एक रोडमैप तैयार किया। उसके बाद राज्य के विकास से जुड़े हर काम में सभी साथियों ने मिलजुल कर काम किया है। हमने कभी पार्टी का अनुशासन तोड़ने का कोई काम नहीं किया है।
अपनी ही सरकार के लिए पैदा किया संकट
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुराने बयानों की याद दिलाते हुए सचिन पायलट ने कहा कि मुझे गद्दार और निकम्मा तक कहा गया। ढाई साल से यह सबकुछ सुन रहा था। लेकिन हम चुप थे क्योंकि हम पार्टी को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते थे। उन्होंने गत वर्ष 25 सितंबर को हुई घटना की याद दिलाते हुए कहा कि उस समय इतने सारे विधायकों को इस्तीफा दिलवाया गया और अपनी ही सरकार के लिए संकट पैदा किया गया।
बहुत से लोगों का तो यहां तक कहना है कि घपीएम मोदी और अमित शाह के कहने पर ये इस्तीफे दिलवाए गए। अब अगर यह बात मैं मंच पर जाकर बोलूं तो क्या यह शोभा देगा? राजस्थान कांग्रेस में अभी तक जो कुछ हुआ, उससे साफ है कि अनुशासनहीनता किसने की है और पार्टी की मर्यादा का उल्लंघन किसने किया है। यदि मुख्यमंत्री के पूर्व के बयानों को देखा जाए तो आसानी से समझा जा सकता है कि सरकार और संगठन को कौन कमजोर बना रहा है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ पदयात्रा का ऐलान
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सचिन पायलट ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि वसुंधरा राजे के कार्यकाल के भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर मैंने कई चिट्ठियां लिखींऔर अनशन पर भी बैठा था मगर इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। उल्टे मुझे ही घेरने की कोशिश की गई।
उन्होंने कहा कि वे आगे भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे। उन्होंने 11 मई को अजमेर से जयपुर पदयात्रा निकालने का ऐलान भी किया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा 5 दिनों में पूरी होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह यात्रा राज्य सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि युवाओं को जगाने के लिए निकाली जा रही है।
मुख्यमंत्री ने बागियों पर किया था हमला
दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को धौलपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान महत्वपूर्ण सियासी बयान दिया। गहलोत ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में उन्होंने राजस्थान में भैरो सिंह शेखावत की अगुवाई वाली भाजपा सरकार को गिराने से इनकार कर दिया था। वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल ने भी इसी परंपरा को निभाते हुए 2020 में कांग्रेस के कुछ विधायकों की बगावत के समय मेरी सरकार को गिराने से मना कर दिया था।
राजस्थान के मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान और गजेंद्र सिंह शेखावत पर भी निशाना साधा था। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन नेताओं ने मिलकर उनकी सरकार गिराने की साजिश रची थी। इन लोगों ने मेरी सरकार गिराने के लिए राजस्थान में पैसे बांटे थे और हैरानी की बात है कि अभी तक वह पैसा वापस नहीं लिया गया है। मैंने अपने विधायकों से कहा कि अमित शाह से करोड़ों रुपए लेने वाले विधायकों को पैसा लौटाना चाहिए। अगर उन्होंने उस पैसे में से दो करोड़ रुपए खर्च भी कर दिए हों तो मैं वह पैसा एआईसीसी से दिलाने में मदद करूंगा।
वसुंधरा ने भी जताई थी तीखी प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री गहलोत के इस बयान पर भाजपा की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे ने तीखी प्रतिक्रिया जताई थी। उन्होंने मुख्यमंत्री के बयान को साजिश बताते हुए कहा कि इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का हारना तय है और हार के डर से ही मुख्यमंत्री गलत बयान दे रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि गृह मंत्री अमित शाह की ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के संबंध में सबको जानकारी है। फिर भी मुख्यमंत्री इस तरह की बयान बाजी कर रहा है।
उन्होंने कहा कि मेरी तारीफ में बयान देकर गहलोत ने मेरे खिलाफ बहुत बड़ी साजिश रची है। वसुंधरा राजे ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री को इस बात की जानकारी है कि उनके विधायकों ने पैसा लिया है तो उन्हें इस बाबत एफआईआर दर्ज करानी चाहिए।