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Defamation Case: 'मोदी सरनेम' केस में राहुल को गुजरात HC ने अंतरिम राहत देने से किया इनकार, याचिका पर फैसला सुरक्षित
Rahul Gandhi Defamation Case: मोदी सरनेम मानिहानि मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की याचिका पर आज मंगलवार को गुजरात हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इससे पहले (29 अप्रैल) को गुजरात हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 2 मई तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी।
Rahul Gandhi Defamation Case: Rahul Gandhi Defamation Case: 'मोदी सरनेम' मानहानि केस में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की ओर से दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका (Criminal Revision Petition) पर गुजरात हाई कोर्ट में मंगलवार (02 मई) को सुनवाई हुई। सूरत जिला अदालत ने मोदी सरनेम केस में दायर आपराधिक मानहानि के एक मामले में दोषी पाते हुए राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई थी।
हाई कोर्ट ने राहुल गांधी को अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए दोषसिद्धि पर रोक लगाने की उनकी याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत ने कहा कि, मामले की अंतिम सुनवाई पूरी होने के बाद ही फैसला देना उचित होगा। जस्टिस हेमंत पृच्छक ने साफ किया कि सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लेंगे। छुट्टी के दौरान अदालत फैसला लिखेगी।
जस्टिस हेमंत एम. प्राच्छक (Justice Hemant M. Prachhak) की बेंच के समक्ष शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी (Purnesh Modi) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता निरुपम नानावटी पेश हुए। उन्होंने कहा, 'अपराधों की गंभीरता, सजा इस स्तर पर नहीं देखी जानी चाहिए। उनकी (राहुल गांधी) अयोग्यता कानून के तहत हुई है।' न्यायाधीश ने एक आदेश पारित किया, जिसमें ट्रायल कोर्ट को उनके सामने मूल रिकॉर्ड और मामले की कार्यवाही पेश करने का निर्देश दिया गया।
कोर्ट में पढ़ा गया- 'मैं गांधी हूं, सावरकर नहीं...'
याचिकाकर्ता के वकील निरुपम नानावटी ने कोर्ट में कहा, 'राहुल गांधी को अदालत ने अयोग्य नहीं ठहराया है। अयोग्यता संसद की ओर से ही बनाए गए कानून के संचालन की वजह से हुई है। उनका (राहुल गांधी का) मुख्य निवेदन ये है कि इस निर्णय से वो 8 वर्षों के लिए राजनीतिक करियर से बाहर हो जाएंगे।' नानावटी ने कोर्ट में राहुल गांधी की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस से संबंधित खबर पढ़ी। जिसमें राहुल गांधी ने कथित तौर पर कहा कि, मैं गांधी हूं, सावरकर नहीं और माफी नहीं मांगूंगा।'
...तो उन्हें रोते हुए बच्चे के जैसे नहीं होना चाहिए
शिकायतकर्ता के वकील नानावटी ने आगे कहा, 'राहुल गांधी ने कहा वह सजा, जेल से डरने वाले नहीं हैं। वह जीवन भर के लिए अयोग्य ठहराए जाने पर भी पीछे नहीं हटने वाले हैं। यह उनका सार्वजनिक स्टैंड है। लेकिन, यहां कोर्ट के सामने उनका स्टैंड अलग है। अगर, आपका यही स्टैंड है तो यहां अदालत में याचिका के साथ न आएं। उन्हें रोते हुए बच्चे के जैसे नहीं होना चाहिए। सार्वजनिक रूप से किए गए अपने स्टैंड पर टिके रहें या कहें कि आपकी मंशा कुछ और थी।'
'राहुल ने 'सॉरी' भी नहीं कही'
नानावटी ने कोर्ट को बताया, 'उनके (राहुल गांधी) के खिलाफ कुल 12 मानहानि के मामले हैं। पुणे कोर्ट में सावरकर को लेकर टिप्पणी के संबंध में भी उनके खिलाफ अन्य शिकायतें हैं। वह एक राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी के नेता हैं। जिसने देश पर 40 साल तक शासन किया। लेकिन, अगर वही इस तरह के बयान दे रहे हैं, तो उन्हें सबक सिखाया जाना चाहिए। उन्होंने 'सॉरी' भी नहीं कही। उनकी ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। कुछ भी नहीं।'
'माफी नहीं मांगनी है तो ना मांगें..फिर ये हल्ला क्यों?
याचिकाकर्ता के वकील ने आगे कहा, 'माफी नहीं मांगनी है तो ना मांगें। ये आपका हक है। फिर, ये हल्ला क्यों? मैं (पूर्णेश मोदी) इस मामले में पीड़ित व्यक्ति हूं। लेकिन, अपराध गंभीर है। संसद भी यही कहती है। दोषसिद्धि पर स्थगन के उनके आवेदन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। आवेदन को खारिज किया जाना चाहिए।'
इससे पहले (29 अप्रैल) को गुजरात हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 2 मई तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी। बता दें की सूरत की सेशंस कोर्ट ने मोदी सरनेम मानहानि मामले में राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी। जिसे राहुल गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी है। सजा सुनाए जाने के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता भी रद्द कर दी गई है। फिलहाल राहुल गांधी इस मामले में जमानत पर हैं।
पिछली बार सुनवाई को दौरान राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में दलील दी कि, 'मोदी' नाम किसी एक मान्य जातीय समूह का नहीं है। वैसे भी एक-व्यक्ति दूसरे की मानहानि कर सकता है। उन्होंने तर्क दिया कि एक नाम के करोड़ों लोग हों, तो हर कोई केस दर्ज नहीं करवा सकता। गुजरात हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई जस्टिस हेमंत पृच्छक (Justice Hemant Prachhak) कर रहे हैं।
सूरत की सेशंस कोर्ट से राहुल गांधी को लगा था झटका
23 मार्च को सूरत की एक जिला अदालत ने राहुल गांधी को सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों हैं, के मामले में मानहानि का दोषी मानते हुए दो साल की सजा सुनाई थी, साथ ही 15 हजार जुर्माना लगाया था। हालांकि, कुछ ही देर में राहुल गांधी को कोर्ट से जमानत भी मिल गई थी। अदालत ने साथ ही 30 दिन के लिए सजा को स्थगित भी कर दिया है ताकि वे इसे ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकें। इसके बाद 24 मार्च को राहुल गांधी की संसद सदस्यता समाप्त कर दी गई थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सूरत कोर्ट के फैसले को पहले सेशंस कोर्ट में चुनौती दी थी। वहां से राहत नहीं मिलने पर राहुल गांधी ने अब गुजरात हाईकोर्ट की अपील दायर की है।
2019 में दर्ज हुआ था राहुल गांधी के खिलाफ केस
गौरतलब है कि 11 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में बतौर कांग्रेस अध्यक्ष चुनावी रैली करने पहुंचे राहुल गांधी ने कहा था कि एक छोटा सा सवाल है, इन सब चोरों के नाम मोदी कैसे हैं? नीरव मोदी, ललित मोदी और नरेंद्र मोदी...और भी थोड़ा ढूंढेंगे तो बहुत सारे मोदी मिलेंगे। उनके इस बयान के खिलाफ 13 अप्रैल 2019 को डायमंड सिटी सूरत से बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज कराई और 6 मई को मामला सूरत की कोर्ट में पहुंचा। चार साल तक चली सुनवाई में राहुल तीन बार पेश हुए। उन्होंने अदालत में माफी मांगने से भी इनकार कर दिया था। बता दें कि अदालत द्वारा दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता भी चली गई। वो केरल की वायनाड लोकसभा सीट से जीतकर सांसद बने थे।