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कांस्टेबल बना DSP: ऐसे हासिल किया अपना मुकाम, अब संभालेंगे कमान

दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर काम करने वाले केकडेम लिंगो अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम सियांग जिले के रहने वाले हैं। 24 साल के केकडेम लिंगो का चयन जब दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर हुआ तो उनके पिता उन्हें जाने नहीं देना चाहते थे।

SK Gautam
Published on: 13 Jun 2020 7:38 AM GMT
कांस्टेबल बना DSP: ऐसे हासिल किया अपना मुकाम, अब संभालेंगे कमान
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नई दिल्ली: बुजुर्गों ने सच ही कहा है कि 'जहां चाह वहां राह' अगर आपके अन्दर कुछ कर गुजरने का जुनून है तो चाहे जो भी परिस्थियां हो आपको मंजिल जरूर मिलेगी। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है दिल्ली (Delhi Police) के पुलिस कांस्टेबल (constable) ने । दिल्ली में कांस्टेबल के पद पर रहते हुए "लिंगो" ने अपनी कड़ी मेहनत से वो कर दिखाया, जिसे देखकर अब उनके सीनियर ऑफिसर भी उन्हें सलूट कर रहे हैं। दरअसल लिंगा ने कांस्टेबल रहते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखी और आज वह डीएसपी बन गए हैं।

ऐसी है लिंगो के संघर्ष की कहानी

दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर काम करने वाले केकडेम लिंगो अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम सियांग जिले के रहने वाले हैं। 24 साल के केकडेम लिंगो का चयन जब दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर हुआ तो उनके पिता उन्हें जाने नहीं देना चाहते थे। साल 2015 में लिंगो ने दिल्ली पुलिस में नौकरी शुरू की। लेकिन कहते हैं न कि जब सपना आपने बड़ा देखा हो तो वो आपको सोने भी नहीं देता है।

लिंगो के साथ ही ऐसा ही कुछ हुआ। उन्होंने दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल का पद तो ज्वाइन कर लिया लेकिन जब भी उन्हें टाइम मिलता तो वह पढ़ाई में जुट जाते। तीन साल बाद लिंगों ने अब अरुणाचल प्रदेश लोक सेवा संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा को सफलतापूर्वक पास कर लिया है और अपने ही प्रदेश में पुलिस उपाधीक्षक बनने जा रहे हैं।

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लिंगो ने राजीव गांधी विश्वविद्यालय से भूगोल में स्नातकोत्तर किया

लिंगो ने बताया कि दिल्ली पुलिस की परीक्षा में बैठने से पहले उन्होंने ईटानगर में राजीव गांधी विश्वविद्यालय से भूगोल में स्नातकोत्तर किया था। उनका परिवार काफी साधारण है और उनके पिता गांव में ही एक चर्च की देखभाल करते हैं। उनके घर पर जीविका चलाने का एकमात्र यही साधन है। पुलिस बल में शामिल होना मेरा सपना था और जैसे ही मुझे मौका मिला मैंने उसे संभाल लिया। उन्होंने कहा कि मेरा सपना पुलिस अधिकारी बनकर टीम का नेतृत्व करना था। परिवार को देखते हुए मैं दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर तुरंत ज्वाइन किया और पढ़ाई जारी रखी।

वेतन का दूसरा हिस्सा वह किताबें खरीदने में करते

नौकरी से मिलने वाले वेतन का काफी बड़ा हिस्सा वह अपने घर पर भेजते हैं। घर पर पिता के इलाज के साथ ही उन पर अपने भाई और बहन की पढ़ाई की भी जिम्मेदारी है। वेतन का दूसरा हिस्सा वह किताबें खरीदने में करते हैं। उन्होंने पिछले एक साल में मैंने फिजूल खर्च पूरी तरह से रोककर उन रुपयों को परीक्षा की तैयारी में लगाया है। उन्होंने कहा, दिल्ली में पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज में उन्होंने एक कमांडो कोर्स भी सफलतापूर्वक पूरा किया।

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फोन पर डाउनलोड की गई सामग्री से भी की पढ़ाई

वेतन का दूसरा हिस्सा वो किताबें खरीदने के लिए इस्तेमाल करता था। उन्होंने कहा, "एक साल के लिए मैंने हर तरह के फिजूल खर्च करना बंद कर दिया, ताकि मैं परीक्षा के लिए खर्च कर सकूं।" उन्होंने कहा, 'दिल्ली में पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज में अपने दिनों के दौरान, उन्होंने एक कमांडो कोर्स भी सफलतापूर्वक पूरा किया। मेरी पहली पोस्टिंग एक बटालियन के साथ थी जिसमें मुख्य रूप से सुरक्षा ड्यूटी थी। हालांकि इससे मुझे अध्ययन के लिए बहुत कम समय मिला, मैं खाली समय में अपने फोन पर डाउनलोड की गई सामग्री से गुजरता था।'

SK Gautam

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