×

कॉर्बेट बाघ अभयारण्य में अब ‘वीआईपी सिफारिश की सुविधा’ नहीं

कॉर्बेट बाघ अभयारण्य के अधिकारियों ने फैसला किया है कि अब वे अभयारण्य में अपने या अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के ठहरने के इंतजाम या सफारी की सुविधा के लिए किसी वीआईपी या अधिकारियों की सिफारिश पर कोई विचार नहीं करेंगे।

Anoop Ojha
Published on: 18 Jun 2019 11:22 AM GMT
कॉर्बेट बाघ अभयारण्य में अब ‘वीआईपी सिफारिश की सुविधा’ नहीं
X

नयी दिल्ली: कॉर्बेट बाघ अभयारण्य के अधिकारियों ने फैसला किया है कि अब वे अभयारण्य में अपने या अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के ठहरने के इंतजाम या सफारी की सुविधा के लिए किसी वीआईपी या अधिकारियों की सिफारिश पर कोई विचार नहीं करेंगे। इसकी जगह अभयारण्य के अधिकारी इस तरह की सिफारिश भेजने वाले अधिकारियों की शिकायत उनके उच्चाधिकारी से करेंगे।

सफारी, ठहरने, अन्य निजी व्यवस्थाओं को लेकर बड़ी संख्या में ऐसे पत्र मिलने के बाद कॉर्बेट प्रशासन का यह कदम सामने आया है। इन पत्रों में स्पष्ट तौर पर उच्च पदस्थ अधिकारियों के आधिकारिक पद/ राजकीय प्रतीकों का उपयोग किया गया था, जो वैसे तो विशुद्ध रूप से व्यक्तिगत गतिविधि होती है और इसका संबंधित अधिकारियों के किसी आधिकारिक ड्यूटी के निर्वहन से कोई लेना-देना नहीं होता है।

यह भी पढ़ें.....अयोध्या आतंकी हमले पर 14 साल बाद फैसला, 4 को उम्रकैद की सजा, एक बरी

हालिया आधिकारिक आदेश के अनुसार कई मौकों पर तो कॉर्बेट के अधिकारियों को उनके (अधिकारियों के) दोस्तों/अन्य जानकार व्यक्तियों के लिये सिफारिशें मिलीं और कभी-कभी तो दबाव/धमकी भरे अंदाज में मामले को आगे बढ़ाने की कोशिश की गयी।

इसके अनुसार, ‘‘यह निजी हित के लिये आधिकारिक पद के दुरुपयोग के सिवा कुछ नहीं है। ऐसी प्रवृत्तियां पहले से ही अतिरिक्त काम के बोझ से लदे प्रशासन पर और दबाव डालती हैं जिनका प्राथमिक काम अभयारण्य का प्रबंधन करना और संरक्षण करना है।’’

आदेश में कहा गया है कि इसलिए संवैधानिक सिद्धांतों के अनुसार इस संबंध में उच्चतम न्यायालय के आदेशों एवं अन्य संबंधित नियमों अधिसूचनाओं के तहत यह आदेश दिया जाता है कि इसके लिये अधिकृत व्यक्तियों को छोड़कर आधिकारिक पदों का इस्तेमाल कर भेजे गये ऐसे संदेशों पर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व, उत्तराखंड का कोई भी अधिकारी विचार करेगा।

यह भी पढ़ें.......ओवैसी बोलें- BJP नारें लगाने की बजाय बिहार में हुई बच्चों की मौतों पर ध्यान दें…

सरकारी अतिथियों के संबंध में उत्तराखंड सरकार द्वारा तय नियम के अनुसार राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, प्रधान न्यायाधीश, लोकसभा अध्यक्ष सहित संवैधानिक पदों पर नियुक्त कुछ लोग ही इस तरह की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं।

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक संजीव चतुर्वेदी ने आदेश में कहा, ‘‘भविष्य में ऐसी सिफारिशों पर गौर नहीं किया जायेगा और उन्हें उसी रूप में तत्काल संबंधित कार्यालय को लौटा दिया जायेगा तथा उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये संबंधित कार्यालय के उच्चाधिकारियों को इसकी रिपोर्ट की जायेगी।’’

(भाषा)

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

Next Story