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Coromandel Express Accident: क्यों थम नहीं रहीं रेल दुर्घटनाएं, कोरोमंडल एक्सप्रेस के हादसे की क्या है वजह
Coromandel Express Accident Update: भारतीय रेलवे प्रतिदिन हजारों यात्री ट्रेनें चलाती है और इसमें 2 करोड़ से अधिक यात्री सफर करते हैं। लंबी दूरी की यात्रा किफायती दर पर कराने के कारण कम आय वर्ग के लोग इस पर अधिक निर्भर रहते हैं।
Coromandel Express Accident Update: भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है। अपनी तमाम खामियों के बावजूद यात्रियों के बीच यात्रा का ये पसंदीदा माध्यम बना हुआ है। भारतीय रेलवे प्रतिदिन हजारों यात्री ट्रेनें चलाती है और इसमें 2 करोड़ से अधिक यात्री सफर करते हैं। लंबी दूरी की यात्रा किफायती दर पर कराने के कारण कम आय वर्ग के लोग इस पर अधिक निर्भर रहते हैं। हालांकि, आधुनिकीकरण के तमाम दावों के विपरित रेलवे अभी तक यात्रियों की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित नहीं कर पाई है।
क्यों नहीं रुक रहे रेल हादसे
आजादी से लेकर अब तक भीषण रेल हादसों का सिलसिला जारी है। इन हादसों की चपेट में आए हजारों की संख्या में वे लोग एक यात्री बनकर अपने घर से निकले थे लेकिन कभी अपनी मंजिल पर नहीं पहुंच पाए। ओडिशा के बालासोर जिले के बहानगा रेलवे स्टेशन पर शुक्रवार शाम तीन ट्रेनों के बीच हुई भिड़ंत में 280 लोग मारे गए हैं और 900 जख्मी हैं। इस हादसे के बाद रेलवे के परिचालन को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
तीन ट्रेनों के बीच टक्कर कोई मामूली घटना नहीं है। देश में अक्सर रेल हादसे ट्रेनों के डिरेल होने के कारण हुई हैं। कई बार ट्रेन को चलाने वाले लोको पायलट की गलतियों का भी खामियाजा भुगतना पड़ा है। दो ट्रेनों के बीच भी आपस में टक्कर हुई है। लेकिन किसी हादसे में तीन ट्रेनों का टकराना गंभीर किस्म की विफलता को दर्शाता है। कोरोमंडल एक्सप्रेस के हादसे की वजह या तो मानवीय भूल या तकनीकी खराबी हो सकती है।
ट्रेन किसके निर्देश पर चलाता है ड्राइवर ?
रेल ड्राइवर ट्रेन को कंट्रोल रूम के निर्देश पर चलाता है, और कंट्रोल रूम पटरियों पर ट्रैफिक देख निर्देश देता है। हर रेलवे कंट्रोल रूम में एक बड़ी सी डिस्पले लगी होती है, जिस पर दिख रहा होता है कि कौन सी पटरी पर ट्रेन है और कौन सी खाली पड़ी है। इसे हरे और लाल रंग की लाइटों से दर्शाया जाता है। जैसे अगर किसी पटरी पर ट्रेन है या चल रही है तो वह लाल दिखाता है और जो ट्रैक खाली है, उसे ग्रीन दिखाता है। इसी को देखकर कंट्रोल रूम से लोकोपायलट को निर्देश दिए जाते हैं। ऐसे में अगर जब डिस्पले पर सिग्नल की सही स्थिति नहीं बताई जाती, जब एक पटरी पर दो ट्रेनों के आने के चांस बढ़ जाते हैं और नतीजा एक दर्दनाक हादसे के रूप में सामने आता है।
ओडिशा में कैसे हुआ हादसा ?
हादसे के दौरान बहानगा स्टेशन के आउटर लाइन पर एक मालगाड़ी खड़ी थी। हावड़ा से चेन्नई की ओर जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस स्टेशन से 300 मीटर पहले डीरेल हुई। हादसा इतना भीषण था कि ट्रेन का इंजन मालगाड़ी पर चढ गया। कोरोमंडल एक्सप्रेस के पीछे वाली बोगियां तीसरे नंबर ट्रैक पर जा गिरीं। तभी इस ट्रैक पर तेज रफ्तार में आ रही हावड़ा-बेंगलुरू एक्सप्रेस कोरोमंडल के उन डिब्बों से जा टकराईं।
बता दें कि हादसे पर रेलवे की ओर से बयान आया है। रेलवे ने दुर्घटना के पीछे डिरेलमेंट को जिम्मेदार ठहराया है। बयान में कहा गया कि न ही सिग्नल फेल हुआ था और न ही आमने-सामने की टक्कर हुई थी।