भारतीय सबसे ज्यादा आशावादी, आधे से अधिक लोगों को इकोनॉमी को लेकर ये उम्मीद

सर्वे से पता लगा है कि रोजमर्रा की जिंदगी को लेकर भी भारतीय लोग काफी आशावादी हैं। सर्वे के मुताबिक सिर्फ सात फीसदी लोगों को ऐसा लगता है कि सब कुछ सामान्य होने में एक साल से ज्यादा का समय लगेगा।

Shivani Awasthi
Published on: 18 May 2020 4:02 AM GMT
भारतीय सबसे ज्यादा आशावादी, आधे से अधिक लोगों को इकोनॉमी को लेकर ये उम्मीद
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। चार बड़े संस्थानों के सर्वे से पता चला है कि भारत के लोग अर्थव्यवस्था को लेकर दुनिया में सबसे ज्यादा आशावादी हैं। कोरोना संकट के कारण घोषित लॉकडाउन से देश की अर्थव्यवस्था को लगी भारी चोट के बावजूद भारतीयों को विश्वास है कि जल्द ही सबकुछ दुरुस्त हो जाएगा। मैकेंजी एंड कंपनी के सर्वे में 57 फीसदी लोगों ने भरोसा जताया है कि दो-तीन महीनों में अर्थव्यवस्था पटरी पर आ जाएगी। इससे पहले पिछले महीने इप्सॉस के सर्वे में 63 फीसदी लोगों ने अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार होने की उम्मीद जताई थी।

93 फीसदी लोगों को यह है भरोसा

मैकेंजी के सर्वे से पता लगा है कि रोजमर्रा की जिंदगी को लेकर भी भारतीय लोग काफी आशावादी हैं। सर्वे के मुताबिक सिर्फ सात फीसदी लोगों को ऐसा लगता है कि सब कुछ सामान्य होने में एक साल से ज्यादा का समय लगेगा। 93 फीसदी लोगों का मानना है कि एक साल के भीतर ही रूटीन पहले जैसा ही हो जाएगा।

इन 93 फीसदी लोगों में से 8 फीसदी लोग ऐसे हैं जो कि मानते हैं कि एक महीने के भीतर ही रूटीन पहले जैसा हो जाएगा जबकि 35 फीसदी लोगों का मानना है कि सामान्य दिनचर्या बहाल होने में 4 से 6 महीने का वक्त लग सकता है। इस सर्वे से पता चलता है कि कोरोना वायरस के कारण सबकुछ अस्त-व्यस्त हो जाने के बावजूद भारतीय लोग सामान्य स्थिति बहाल होने के प्रति काफी आशावान हैं।

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महामारी जल्द खत्म होने की उम्मीद

ग्लोबल मार्केट रिसर्च और डाटा कंपनी यूगोव के सर्वे से पता चला है कि भारतीय लोग कोरोना का संकट जल्द समाप्त होने के प्रति भी काफी आशावान हैं। भारत में करीब 48 फ़ीसदी लोग ऐसे हैं जिनका मानना है कि जुलाई के अंत तक पूरी दुनिया को परेशान करने वाली कोरोना की महामारी खत्म हो जाएगी। वही बाकी दुनिया में 40 फ़ीसदी लोगों को ही इस वैश्विक महामारी के जल्द समाप्त होने की उम्मीद है।

अधिकांश लोगों का यह भी मानना है कि कोरोना के संकटकाल में कुछ न कुछ अच्छा भी हुआ है। वैसे तमाम चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि यह महामारी लंबे समय तक रह सकती है, लेकिन भारतीय इस महामारी के जल्द समाप्त होने के प्रति भी काफी उम्मीद रखते हैं।

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खर्च बढ़ाने की प्लानिंग

वर्ल्ड इकोनामिक फोरम की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में तमाम लोग खर्च बढ़ाने की प्लानिंग भी कर रहे हैं। उनका मानना है कि आने वाले दिनों में उन्हें और ज्यादा खर्च करने के लिए तैयार रहना चाहिए। चीन, इंडोनेशिया और नाइजीरिया में भी इसी तरह का ट्रेंड दिखा है। दूसरी ओर अमेरिका, रूस और जर्मनी जैसे कई देशों में उल्टा ट्रेंड दिखा है और यहां लोग खर्च कम करने की प्लानिंग कर रहे हैं।

कोशिश में जुटी हुई है सरकार

जहां तक भारत की अर्थव्यवस्था का सवाल है तो लोगों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए सरकार भी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश में जुटी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों राष्ट्र के नाम संबोधन में देश की अर्थव्यवस्था को एक बार फिर पटरी पर लाने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस पैकेज का सिलसिलेवार खाका देश के लोगों के सामने रखा है। सरकार ने विभिन्न सेक्टरों के लिए ठोस योजनाएं पेश की हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में इसके अच्छे नतीजे मिलेंगे।

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Shivani Awasthi

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