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कोरोना से जंग: रक्षा मंत्री ने की सेना प्रमुखों के साथ अहम बैठक, लिया ये बड़ा फैसला
रक्षा मंत्री ने ने सीडीएस जनरल बिपिन रावत, रक्षा रक्षा अजय कुमार और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंनें चर्चा की कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में और क्या किया जा सकता है।
नई दिल्ली: देश में जहां एक तरफ कोरोना वायरस के कारण प्रति दिन नए मामले आ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस भारी संकट से निपटने के लिए सेनाओं की तैयारियों की समीक्षा की। रक्षा मंत्री ने ने सीडीएस जनरल बिपिन रावत, रक्षा रक्षा अजय कुमार और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंनें चर्चा की कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में और क्या किया जा सकता है।
649 मामलों में से 42 लोग ठीक हो चुके हैं
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत में कोरोना वायरस के कुल मामलों की संख्या 649 हो गई है और इससे मरने वालों का आंकड़ा 13 तक पहुंच गया है। वहीं 649 मामलों में से 42 लोग ठीक हो चुके हैं।
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में देश की मदद करनी होगी
गौरतलब है कि इससे पहले बुधवार को जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि सशस्त्र बलों को अपनी सीमाओं से परे काम करना होगा और कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में देश की मदद करनी होगी।
इसके अलावा, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्ण लॉकडाउन के बाद बुधवार को आइकॉनिक साउथ ब्लॉक रायसीना हिल्स में भारतीय सेना का मुख्यालय बंद रहा, यह कार्यालय लगभग 20 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ कार्य कर रहा था।
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COVID-19 के प्रसार को नियंत्रित करने के उपाय
सैन्य मामलों के विभाग का कार्यालय बुधवार को भी बंद था, गुरुवार को खुला था। भारतीय सशस्त्र बल के प्रमुखों ने 23 मार्च, 2020 से कार्यालयों में उपस्थिति कम करने का निर्देश दिया था, जिसमें आवश्यक और आपातकालीन सेवाओं में लगे कर्मियों को छोड़कर, सीधे COVID-19 के प्रसार को नियंत्रित करने के उपाय करने में शामिल थे।
ये सेवाएं रहेंगी जारी
सुरक्षाबलों ने इससे पहले अनुमति दी थी कि चिकित्सा प्रतिष्ठानों, आग, बिजली, पानी की आपूर्ति, संचार, डाकघरों और स्वच्छता सेवाओं जैसी आवश्यक सेवाओं में लगे कर्मियों को काम करना जारी रहेगा।
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इस बीच सैनिकों को हर समय काम की छूट देने के साथ टेलीफोन और लेक्ट्रॉनिक माध्यमों पर उपलब्ध होने के लिए कहा गया है। किसी भी घटना से निपटने के लिए सभी सेना के अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया है।