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कोरोना इफेक्ट : बदल जाएंगे ट्रेंड

सर्वेक्षण से साफ हुआ के लोगों के मन में कोरोना वायरस का शिकार होने का डर बैठा हुआ है। इसलिए वे भीड़-भाड़ की जगहों पर जाने से परहेज करना चाहते हैं। देश के विभिन्न शहरों में बने मॉल में लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है और इस कारण लोग मॉल से अभी दूरी बनाकर चलना चाहते हैं।

suman
Published on: 10 May 2020 10:37 PM IST
कोरोना इफेक्ट : बदल जाएंगे ट्रेंड
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नई दिल्ली कोरोना वायरस महामारी का प्रभाव ट्रेंड बदलने वाला साबित होगा। लोगों के रहन सहन, व्यवहार, ख़रीदारी, यात्रा वगैरह सभी क्षेत्रों में अब ट्रेंड बदल जाएगा। ये ट्रेंड मूलतः फिजिकल डिस्टेन्सिंग और निजी साफ-सफाई के कारण उपजेंगे।

लॉकडाउन से शायद सबसे बड़ा बदलाव यही आएगा कि ज्यादा से ज्यादा लोग घर से काम करेंगे। देश की दिग्गज आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) इस दिशा में एक योजना पर काम कर रही है। इसके तहत 2025 तक उसके 75 फीसदी कर्मचारी घर से काम करेंगे। यह लक्ष्य कंपनी की भविष्य की योजनाओं की थाह देगा।

आरबीएल बैंक के 75 फीसदी कर्मचारी लॉकडाउन के दौरान पहले ही दूर से काम कर रहे हैं और अब बैंक स्थायी समाधान के तौर पर उनके घरों से हॉट डेस्किंग से और अलग-अलग स्थानों से काम करने की संभावना तलाश रहा है। हॉट डेस्किंग में कई कर्मचारी अलग-अलग समय पर एक ही वर्क स्टेशन का इस्तेमाल करते हैं।

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खर्च में कमी

कर्मचारियों के घरों से काम करने से कंपनियों को किराया और रखरखाव से जुड़ी लागत की बचत होती है। कंपनियों के लिए कॉरपोरेट इंटीरियर का डिजाइन बनाने वाली और इसका निर्माण करने वाली कंपनी एनक्यूब के चेयरमैन और को-वर्किंग कंपनी ऑफिसडॉटकॉम के मुख्य कार्याधिकारी अमित रमानी ने कहा, 'अमेरिका में अभी 4 फीसदी कर्मचारी घर से काम करते हैं। भारत में दफ्तरों में काम करने वाले 5 करोड़ कामगारों में से करीब 1 फीसदी घर से काम करते हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि लॉकडाउन के बाद यह संख्या 10 से 12 फीसदी तक पहुंच सकती है।' कोविड-19 के कारण केवल यही बदलाव नहीं होगा। कंपनियों के कार्यालय एक ही इमारत तक सीमित रहने के बजाय शहर में कई स्थानों पर बिखरे होंगे।

- दफ्तरों में मोशन सेंसर और चेहरे की पहचान करने वाली तकनीक लगी होगी जो आपके मोबाइल से संचालित होगी। इससे आपको दरवाजा खोलने यह वेंडिंग मशीन से कॉफी निकालने के लिए किसी सतह को छूने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

- स्मार्ट लिफ्ट में कम लोग सफर सकेंगे और वह बटन के बजाय मोबाइल से ऑपरेट होगी। सामाजिक दूरी बनाने के लिए ऑफिस का आकार काफी बड़ा हो सकता है।

- कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक सिस्टम के बजाय मोबाइल उपकरणों और जियो टैगिंग का इस्तेमाल होगा।

- एसी में एन-95 फिल्टर का इस्तेमाल होगा ताकि उनसे संक्रमण का खतरा कम हो सके।

केबिन का दौर लौटेगा

दशकों तक कार्यालयों में खुले माहौल को परिपाटी रही है लेकिन कुछ विश्लेषकों को लगता है कि अब कर्मचारियों और विभागों के बीच ज्यादा बंटवारा देखने को मिल सकता है। हालांकि खुले ऑफिस की व्यवस्था बरकरार रहेगी। लेकिन करीबी बैठकों के लिए बनाई गई जगहों को नए सिरे से तैयार किया जाएगा।

आरपीजी एंटरप्राइजेज के मानव संसाधन विभाग के अध्यक्ष एस वेंकटेश ने कहा कि उनके 70 फीसदी कर्मचारी सार्वजनिक परिवहन से कार्यालय आते हैं। उन्होंने कहा, 'हम उनके ऑफिस में काम करने के दिनों की संख्या को कम करने के बारे में गंभीरता से सोच रहे हैं। विभिन्न विभागों में इसे स्थायी तौर पर लागू किया जा सकता है।' विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को एक साथ बिठाने की दिशा में भी काम चल रहा है ताकि अगर किसी विभाग का एक कर्मचारी बीमार होता है तो उस विभाग के सभी कर्मचारियों को क्वारंटीन करने की जरूरत नहीं होगी।

वाहनों के लिए पेंट बनाने वाली कंपनी निप्पॉन पेंट्स इंडिया अपने मुंबई कार्यालय को बंद करने और सेल्स ऑफिस के कर्मचारियों को घर से काम करने या को.वर्किंग का इस्तेमाल करने की अनुमति देने के बारे में सोच रही है। कई आईटी कंपनियों अपने दफ्तरों को नए सिरे से तैयार करने की योजना पर काम कर रही हैं। एक ही इमारत में भारी संख्या में कर्मचारियों को रखने के बजाय कई स्थानों पर छोटी-छोटी जगहों से काम कराने पर विचार कर रहे हैं। कर्मचारियों के घर के करीब ही उनके लिए क्लस्टरों की पहचान की जा रही है।

मुंबई में को-वर्किंग स्पेस कंपनी स्मार्टवक्र्स ने इस नए मौके की नजाकत को समझा है और वह सामाजिक दूरी, कर्मचारियों की सुरक्षा और साफ-सफाई की जरूरतों के ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों के बैठने की व्यवस्था में बदलाव कर रही है। इसके दो फायदे हैं। सार्वजनिक परिवहन खुलने पर कर्मचारियों को लंबी यात्रा नहीं करनी पड़ेगी और अगर किसी एक केंद्र पर कोई कर्मचारी संक्रमित हो जाता है तो पूरी इमारत बंद करने की जरूरत नहीं है।'

दूसरी कंपनियां भी हाथ आए इस नए मौके को हाथोहाथ ले रही हैं। घर में दफ्तर बनाने के लिए पैकेज बना कर बेचे जा रहे हैं। ये पैकेज प्रति माह 3,000 से 5,000 रुपये के हैं। न केवल आईटी और बैंकिंग क्षेत्र से बल्कि ओवर द टॉप प्लेटफॉर्म, मीडिया कंपनियों और यहां तक कि परंपरागत कारोबार करने वाली कंपनियां भी इस बारे में पूछताछ कर रही हैं।

खासकर आईटी कंपनियों के दफ्तरों को दूसरी जगह ले जाने और कर्मचारियों को घर से काम करने की सुविधा देने से व्यावसायिक संपत्तियों की वित्तीय स्थिति के लिए गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। यह ऐसा क्षेत्र है जो लॉकडाउन से पहले अच्छा प्रदर्शन कर रहा था।

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रियल एस्टेट पर असर

पिछले साल पट्टे पर दी गई नई रियल एस्टेट संपत्तियों में से 40 फीसदी से अधिक आईटी और आईटीईएस कंपनियों ने ली थी। अगर वे बड़ी संख्या में अपने कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति देती हैं तो व्यावसायिक संपत्तियों का बाजार ढह सकता है। पहले से ही रियल एस्टेट कंपनियों को किराया कम करने के लिए कहा जा रहा है। व्यावसायिक संपत्तियां गहरे संकट में होंगी और कुछ कंपनियां तो हेल्थकेयर जैसे कुछ वैकल्पिक इस्तेमाल के बारे में सोच रही हैं।

बदलेगा ख़रीदारी का अंदाज

संकट के कारण अभी तो देश में लॉकडाउन चल रहा है मगर लॉकडाउन खुलने के बाद लोगों का खरीदारी करने का अंदाज बिल्कुल बदला हुआ दिखेगा। अब फिजिकल स्टोर की बजाए ऑनलाइन ख़रीदारी तो बढ़ेगी है, साथ ही मॉल का चलन घट जाएगा। देश के करीब दो सौ से अधिक जिलों में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि सिर्फ चार फ़ीसदी लोगों का कहना है कि वे लॉकडाउन हटने पर खरीदारी करने के लिए मॉल जाएंगे। लोकल सर्किल के इस सर्वेक्षण से पता चला है कि उपभोक्ता चाहते हैं कि ई-कॉमर्स कंपनियां अब सभी तरह के सामान डिलीवर करें। इस सर्वेक्षण में 210 अधिक जिलों के 12000 से अधिक लोगों से लॉकडाउन खुलने के बाद होने वाली मार्केटिंग के बारे में सवाल पूछे गए।

खरीदारी के प्रति लोगों का रुख

सर्वेक्षण में लोगों से पूछा गया था कि अगर मई में लॉकडाउन हटा तो वे गैर आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी करने के लिए कहां जाएंगे। इस सवाल के जवाब में 26 फीसदी लोगों का कहना था कि वे ई कॉमर्स साइट्स से खरीदारी को प्राथमिकता देंगे। 41 फ़ीसदी लोगों का कहना था कि वे स्थानीय रिटेल स्टोर्स या बाजारों में जाएंगे। 24 फ़ीसदी लोग ऐसे थे जो स्थानीय रिटेल स्टोर से घर तक डिलीवरी के माध्यम से खरीदारी करने की कोशिश करेंगे। इस सर्वे में मात्र 4 फ़ीसदी लोग ही ऐसे थे जिनका कहना था कि वे अपने जरूरत के सामान खरीदने के लिए मॉल की ओर रुख करेंगे।

लोगों को सता रहा इस बात का डर

सर्वेक्षण से साफ हुआ के लोगों के मन में कोरोना वायरस का शिकार होने का डर बैठा हुआ है। इसलिए वे भीड़-भाड़ की जगहों पर जाने से परहेज करना चाहते हैं। देश के विभिन्न शहरों में बने मॉल में लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है और इस कारण लोग मॉल से अभी दूरी बनाकर चलना चाहते हैं।



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