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वैक्सीन पर आखिर क्यों हो रहा है विवाद, जानें अब तक का पूरा घटनाक्रम
कांग्रेस के सीनियर नेता मनीष तिवारी ने केंद्र सरकार पर कोरोना वैक्सीन को लेकर निशाना साधा है। उन्होंने तंज भरे अंदाज में सरकार से सवाल पूछा है कि सरकार के बड़े मंत्रियों ने टीका क्यों नहीं लगवाया?
नई दिल्ली: दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) द्वारा कोरोना का टीका ‘कोवैक्सीन’ लगवाने से इंकार करने के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया है।
कोवैक्सीन को लेकर अब लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। अमेरिकी मीडिया में कोवैक्सीन को लेकर जो बातें कही गई हैं।
उसके बाद से लोगों की चिंताएं और भी ज्यादा बढ़ गई हैं। जिसके बाद से अब स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को खुद आगे आकर इस मामले में लोगों की शंकाएं दूर करनी पड़ रही हैं।
तो आइये जानते हैं इस विवाद की असली वजह क्या है, कैसे इसकी शुरुआत हुई और अब तक इस मामले में क्या कुछ हुआ है।
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वैक्सीन पर आखिर क्यों हो रहा है विवाद, जानें अब तक पूरा घटनाक्रम(फोटो: सोशल मीडिया)
क्या है विवाद की वजह और कैसे हुई शुरुआत
दरअसल 16 जनवरी को देश भर में कोरोना वैक्सीनेशन की शुरुआत की गई थी। इसी कड़ी में देश के अलग- अलग राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े, डॉक्टर, पैरामेडिकल समेत अन्य स्टाफ को टीका लगाया गया।
वहीं दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में डॉक्टरों स्वदेशी ‘कोवैक्सीन’ को लगवाने से इनकार कर दिया। आरएमएल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने इस मामले में मेडिकल सुपरिंटेंडेंट को एक पत्र लिखा था।
इस पत्र में मांग की गई है कि उन्हें सिर्फ ऑक्सफोर्ड द्वारा निर्मित वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ दी जाए। जानकारी के लिए बता दें कि ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड का भारत की सीरम इंस्टीट्यूट उत्पादन कर रही है, जबकि भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सीन को आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉडी मिलकर बना रही है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने क्या कहा?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने तुरंत मोर्चा संभालते हुए इस बात पर सफाई दी। हर्षवर्धन ने वितरण की प्रक्रिया पर हुए विवाद पर कहा कि देश में इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए स्वीकृत दोनों टीके (कोविशील्ड व कोवैक्सीन) सुरक्षित हैं। दोनों टीके एक समान प्रभावी है। इसलिए टीके से सुरक्षा और उसके प्रभाव को लेकर कोई दुविधा नहीं है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने दिल्ली सरकार के माथे पर फोड़ा ठीकरा
डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा ने कि दिल्ली में केंद्र के अस्पतालों में सिर्फ कोवैक्सीन भेजने का फैसला दिल्ली सरकार का है। इसलिए दिल्ली सरकार ही इस बात का जवाब दे सकती है कि किसी आधार पर यह फैसला हुआ।
केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को टीका उपलब्ध कराया है। इस दौरान किसी क्षेत्र या स्थान विशेष के आधार पर टीकों का वितरण नहीं किया गया।
अस्पतालों में बने टीकाकरण केंद्रों पर टीके के वितरण की जिम्मेदारी राज्यों पर छोड़ी गई है। राष्ट्रीय राजधानी भी अस्पतालों में टीका वितरण वितरण की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। इसलिए दिल्ली सरकार यह बता सकती है कि केंद्र के अस्पतालों में ही कोवैक्सीन क्यों भेजा गया।
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स्वास्थ्य ,मंत्री डॉ. हर्षवर्धन (फोटो: सोशल मीडिया)
अमेरिकी मीडिया ने कोवैक्सीन के बारें में क्या लिखा है?
रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी मीडिया ने भारत की एक कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन के बारे में लिखा है कि यह साफ नहीं है कि यह वैक्सीन काम करेगी या नहीं।
रिपोर्टस में एक्सपर्ट्स के हवाले से कहा गया है कि कोरोना की एक वैक्सीन 'कोवैक्सीन' के डेटा को लेकर कई सवाल मौजूद हैं और लोगों को दो में से एक वैक्सीन चुनने का विकल्प भी नहीं दिया जाएगा।
अमेरिकी मीडिया ने साथ ये भी लिखा है कि मोदी भारत में कोरोना टीकाककरण लॉन्च कर रहे हैं, यह गर्व और संदेह का मिलाजुला समय है। भारत में दो वैक्सीन को सीमित आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिली है।
इनमें से एक है भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और दूसरी है सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड। कोवीशील्ड ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनका की ओर से तैयार की गई वैक्सीन का भारतीय संस्करण है।
किसी भी तरह के गंभीर प्रतिकूल प्रभाव होने पर कंपनी मुआवजा: कोवैक्सीन
भारत में कोरोना वैक्सीनेशन की खबर को अमेरिकी मीडिया ने भी प्रमुखता से छापा है लेकिन उसने भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ को लेकर अपनी रिपोर्ट्स में कई तरह के सवाल खड़े किये हैं। जिसको लेकर अब भारत में एक नई बहस शुरू हो गई है।
जिसके बाद से भारत बायोटेक (कोवैक्सीन)ने खुद ही आगे आकर अपना पक्ष रखा है। कम्पनी ने साफ-साफ कहा है कि टीकाकरण के बाद किसी भी तरह के गंभीर प्रतिकूल प्रभाव होने पर कंपनी मुआवजा देगी।
बता दें कि भारत बायोटेक को कोरोना वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ की 55 लाख खुराक की आपूर्ति के लिए सरकारी खरीद का आदेश प्राप्त हुआ है।
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कोरोना वैक्सीन को लेकर केंद्र सरकार पर साधा निशाना
कांग्रेस के सीनियर नेता मनीष तिवारी ने केंद्र सरकार पर कोरोना वैक्सीन को लेकर निशाना साधा है। उन्होंने तंज भरे अंदाज में सरकार से सवाल पूछा है कि सरकार के बड़े मंत्रियों ने टीका क्यों नहीं लगवाया?
कांग्रेस नेता ने कहा, "हर मुल्क में जहां पर टीकाकरण शुरू हुआ, वहां के मुखिया ने सबसे पहले टीका लगवाया। ताकि देश को ये संदेश जाए कि ये टीका सुरक्षित है और ये आपकी हिफाजत करेगा।
इंग्लैंड में बोरिस जॉनसन ने सबसे पहले टीका लगवाया। उनकी संवैधानिक हेड ने टीका लगवाया। बाकी मुल्कों में भी यही प्रक्रिया अपनाई गई है।
तो एक बुनियादी सवाल ये उत्पन्न होता है कि अगर ये टीका इतना ही सुरक्षित है, इतना ही कारगर है तो अभी तक इस सरकार के कोई जिम्मेदार मंत्री सामने क्यों नहीं आए कि सबसे पहले मुझे टीका लगाओ। जिससे लोगों में ये संदेश जाए कि ये टीका पुरी तरह से सुरक्षित है।"
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी(फोटो: सोशल मीडिया)
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दिया ये जवाब
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि किसी भी तरह के दुष्प्रचार, अफवाहों या जो भी गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं उसे किसी भी कीमत पर शिकार न किया जाए।
उन्होंने कोविड-19 वैक्सीन को संक्रामक रोग के खिलाफ लड़ाई में संजीवनी करार दिया है। साथ ही, उन्होंने लोगों से सुनी-सुनाई बातों पर ध्यान नहीं देने और विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों पर भरोसा करने को कहा है।
कांग्रेस नेता सुरजेवाला ने टीके की कीमत पर उठाये सवाल
कांग्रेस ने मुफ्त वैक्सीन के सवाल पर केंद्र सरकार को घेरते हुए पूछा कि देश में कितने लोगों को निशुल्क टीका दिया जाएगा। इतना ही नहीं कांग्रेस ने बाजार में उपलब्ध होने वाले टीके की कीमत पर भी सवाल उठाए।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेस करके कहा कि हमने 2011 में देश को पोलियो मुक्त बनाया है। आज से पहले टीकाकरण कभी प्रचार का माध्यम नहीं बना। टीकाकरण आपदा का अवसर नहीं हो सकता है।
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला (फोटो: सोशल मीडिया)
कोरोना के टीके के निर्यात पर सरकार से पूछा ये सवाल
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि वैक्सीन के एक डोज की कीमत बाजार में एक हजार रुपये है। ऐसे में प्रति व्यक्ति को दो डोज के लिए दो हजार रुपये चुकाने होंगे।
कंपनी सरकार को 200 रुपये प्रति डोज के हिसाब से वैक्सीन बेच रही है। वहीं लोगों को 1600 रुपये अतिरिक्त का भुगतान करना होगा।
ऐसे में देश के 100 करोड़ लोगों को एक लाख 60 हजार करोड़ रुपये की राशि देनी होगी।क्या मोदी सरकार ने इस बात पर विचार कर इसका कोई हल निकाला है।
कांग्रेस ने कोरोना वैक्सीन की 20 लाख डोज ब्राजील को निर्यात करने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है।सुरजेवाला ने कहा है कि अभी जब भारत की जनता को ही वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाई है तो इसका निर्यात क्यों किया जा रहा है।
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