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रूस के कोरोना वैक्सीन बनाने पर एम्स के डायरेक्टर ने कही ये बड़ी बात

डॉ. गुलेरिया ने कहा कि भारतीय टीके दो-तीन परीक्षण चरणों तक पहुंच चुके हैं। हमारे पास बड़े पैमाने पर वैक्सीन उत्पादन क्षमता है, भारत वैक्सीन पर शुरू से ही काम कर रहा है।

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Published on: 11 Aug 2020 4:07 PM GMT
रूस के कोरोना वैक्सीन बनाने पर एम्स के डायरेक्टर ने कही ये बड़ी बात
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एम्स के डायरेक्टर डॉ. गुलेरिया की फ़ाइल फोटो

नई दिल्ली: भारत में कोरोना की स्थिति पर बात करते हुए दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया गुलेरिया ने बड़ी बात कही है।

डॉ. गुलेरिया ने कहा कि भारतीय टीके दो-तीन परीक्षण चरणों तक पहुंच चुके हैं। हमारे पास बड़े पैमाने पर वैक्सीन उत्पादन क्षमता है, भारत वैक्सीन पर शुरू से ही काम कर रहा है।

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रूस के वैक्सीन बनाने के दावे पर कहा कि अब भारत भी नया प्रयोग करेगा। एम्स अब ऐसे मामलों पर ध्यान केंद्रित करेगा जो कोरोना वायरस से रिकवर हो चुके हैं, उनका ध्यान रखने के लिए पोस्ट-कोविड रिकवरी क्लिनिक शुरू किया जाएगा। ताकि उनके फेफड़ों की क्षमता में सुधार पर ध्यान दिया जा सके, चाहे वह व्यायाम, योग, आहार या यहां तक कि दवाइयां ही क्यों ना हों।

कोरोना की वैक्सीन की फ़ाइल फोटो कोरोना की वैक्सीन की फ़ाइल फोटो

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कोविड रिकवरी क्लिनिक के लिए इजरायल भारत की मदद करेगा

जिन मरीजों में रिकवरी के बाद फेफड़ों की समस्या मिल रही है, उन पर भी ध्यान दिया जाएगा। कुछ मरीज पोस्ट-कोविड के कई सीक्वल देख रहे हैं। रिकवरी के बाद भी कुछ रोगियों को बड़ी असुविधा हो रही है, सांस लेने में भी तकलीफ देखने को मिल रही है।

गुलेरिया ने यह भी बताया कि पोस्ट-कोविड रिकवरी क्लिनिक के लिए इजरायल भारत की मदद करेगा। रोबोट उपकरण रोगियों की निगरानी करने में मदद करेंगे।

कोरोना के मरीजों की जांच करते हुए डॉक्टरों की फ़ाइल फोटो कोरोना के मरीजों की जांच करते हुए डॉक्टरों की फ़ाइल फोटो

उन्होंने कहा कि ये उपकरण दूरदराज के क्षेत्रों में भी फेफड़े, हृदय और सांस लेने की समस्याओं वाले लोगों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है और उनके जीवन को बचाया जा सकता है। इनका कस्बों और अन्य क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में शहरों के बड़े अस्पतालों में इस्तेमाल किया जा सकता है।

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