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कोरोना वायरस का निमोनिया बेहद खतरनाक! जानें एक्सपर्ट की राय
4 से 5 महीने होने को जा रहे हैं लेकिन कोरोना वायरस के प्रभाव में कमी नहीं आई है, बल्कि इसके मरीजों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। इस वायरस को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक शोधरत हैं।वैज्ञानिकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा हैं।
नई दिल्ली 4 से 5 महीने होने को जा रहे हैं लेकिन कोरोना वायरस के प्रभाव में कमी नहीं आई है, बल्कि इसके मरीजों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। इस वायरस को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक शोधरत हैं।वैज्ञानिकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा हैं।
निमोनिया दुनियाभर में आम है और इसकी दवाएं भी हैं लेकिन, कोरोना जिस तरह का निमोनिया पैदा करता है वो बहुत खतरनाक होता है और इसके होने पर मरीज की मौत की आशंका अधिक बढ़ जाती है। इस पर शोध कर रहे डॉ. जेनिंग्स ने बताया कि सामान्य तरह के निमोनिया में फेफड़े का एक हिस्सा प्रभावित होता है जबकि कोरोना पूरे फेफड़े को चपेट में लेता है।
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अंत तकलीफदेह
रॉयल ऑस्ट्रेलियन कॉलेज ऑफ फिजिशियन के अध्यक्ष और दुनियाभर में मशहूर प्रो. जॉन विल्सन इस संबंध में शोध कर रहे हैं। उन्होंनें काफी मरीजों के फेफड़ों के सीटी स्कैन कराए और सभी में एक तरह का खास पैटर्न उभरकर सामने आता है। कोरोना वायरस इंसान के फेफड़ों के बाहर से एक लेयर बना लेता है, जो एक प्रकार की जैली जैसा दिखता है। जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता है, वैसे-वैसे यह फेफड़ों को फूलने की जगह को कम करता चला जाता है। इसका असर यह होता है कि शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई कम होती है और अंत तकलीफदेह होता है।
गंभीर रूप से बीमार
प्रो. विल्सन बताते हैं कि कोरोना संक्रमित छह मरीजों में से केवल एक ही गंभीर रूप से बीमार पड़ता है। रेस्परेटरी ट्री (श्वसन तंत्र) में सूजन आ जाती है। इससे शरीर भयंकर परेशानी महसूस करता है। यहां तक कोरोना संक्रमण की तीसरी स्टेज चल रही होती है। प्रो. विल्सन बताते हैं कि शरीर की ही गैसों के माध्यम से कोरोना छिटककर फेफड़ों के निचले हिस्से में पहुंच जाता है और वहां सूजन पैदा कर देता है।
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फ्लूड के माध्यम से यह तेजी से फैलता है और फेफड़े के ऊपरी हिस्से में भी पहुंच जाता है। इसके साथ ही शरीर से कार्बन डाई ऑक्साइड जमा करके उसे बाहर छोड़ने की प्रक्रिया भी प्रभावित हो जाती है, जिससे कई तरह की दिक्कतें शरीर में पैदा होने लगती हैं। पूरा श्वसन तंत्र बैठने लगता है और पूरे शरीर की कोशिकाएं भारी बाव में आ जाती हैं।
निमोनिया अलग
ऑस्ट्रेलियन लंग्स फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. क्रिश्चियन विल्सन बताते हैं कि कई तरह के निमोनिया है ज्यादातर बैक्टीरिया के कारण होते हैं। उनके सटीक इलाज भी हैं। लगभग सभी में एंटीबायोटिक का बहुत फायदा मिलता है। लेकिन कोरोना वायरस में इस पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं पड़ रहा है।