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कोरोना वारियर ने बताया, सैम्पल लेना है बेहद जोखिम भरा काम
डॉ पुष्कर दहीवाल ने बताया कि रूई के फाहे से किसी मरीज के गले या नाक से नमूना लेने में 30 से 40 सेकेंड से ज्यादा का वक्त नहीं लगता।
पूरे देश में कोरोना कहर लगातार जारी है। आए दिन देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में इस जंग में अगर कोई साबसे ज्यादा मेहनत कर रहा है। तो वो हैं कोरोना वारियर्स डॉक्टर्स। जो दिन रात एक कर के इन कोरोना संक्रमितों को ठीक करने में लगे हैं। जहां लोगों को घर से निकलने तक को मना है वहीं ये कोरोना वारियर दिन भर उन संक्रमित मरीजों के बीच में ही रहते हैं। ऐसे में अब महाराष्ट्र के औरंगाबाद के सरकारी हॉस्पिटल में रोजाना 80 से 100 सैम्पल एकत्रित करने वाले डॉ पुष्कर दहीवाल ने सामना करने वाली चुनौतियों के बारे बताया। उन्होंने बताया कि एक कोरोना संक्रमित का नमूना लेने में कितना जोखिम है।
नमूना लेना बेहद जोखिम भरा काम
देश में सबसे ज्यादा कोरोना से संक्रमित राज्य महाराष्ट्र ही है। ऐसे में महाराष्ट्र के ही औरंगाबाद के सरकारी अस्पताल में कोरोना संक्रमितों का इलाज करने वाले डॉक्टर पुष्कर दहीवाल ने बताया कि कोरोना संक्रमितों का नमूना लेना एक कितना बड़ा जोखिम भरा काम है। डॉ पुष्कर दहीवाल ने बताया कि रूई के फाहे से किसी मरीज के गले या नाक से नमूना लेने में 30 से 40 सेकेंड से ज्यादा का वक्त नहीं लगता। लेकिन यह “बेहद जोखिम भरा काम” है। डॉ दहीवाल बताया, 'हम तीन दिन काम करते हैं और फिर 14 दिन के लिए पृथक-वास में रहते हैं।' छह घंटे की ड्यूटी के दौरान, चिकित्सकों को निजी सुरक्षात्मक उपकरण (पीपीई) पहने रहना पड़ता है और तेज गति से काम करते रहने के बीच उन्हें पानी पीने तक की फुर्सत नहीं मिल पाती है।
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डॉक्टर पुष्कर ने बताया कि हमें मरीजों और नमूने देने के लिए आने वाले लोगों के संपर्क में आने से बचे रहने के लिए बहुत कम समय में काम खत्म करना पड़ता है। डॉ ने बताया कि किसी संक्रमित व्यक्ति के गले से नमूना लेने के लिए 10 से 12 सेंटीमीटर लंबी छड़ी का इस्तेमाल किया जाता है जबकि नाक से नमूना लेने के लिए इस्तेमाल होने वाली छड़ी पतली और लंबी होती है। डॉ पुष्कर दहीवाल ने अपना अनुभव बताया कि व्यक्ति के छींकने या खांसने से पहले, हमें नमूना एकत्र करने का काम खत्म होना पड़ता है। दंत चिकित्सक होने के कारण, मुझे मरीज के मुंह वाले हिस्से को संभालने का अभ्यास है।
करनी पड़ती है काउंसलिंग
एक ओर जहां हम लोग अपने अपने घरों में सुरक्षित बैठे हैं वहीं ये डॉक्टर्स रोज खतरों से खेल रहे हैं। डॉ रोज सैकड़ों कोरोना संक्रमितों के संपर्क में आते हैं। बल्कि उनके साथ ही रहते हैं। ऐसे में इन डॉक्टर्स की मेहनत वाकई में सलाम करने वाली है। ऐसे में कई बार डॉक्टर्स को संक्रमण के संदिग्ध मरीज की काउंसलिंग भी करनी होती। कुछ लोग संक्रमित नहीं होते हैं लेकिन उनके अन्दर डर होता है। ऐसे में उन्हें समझाना पड़ता है। डॉ दहीवाल ने बताया कि कुछ लोग सोचते हैं कि जांच कुछ अलग और खतरनाक है।
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लेकिन, हम उन्हें प्रक्रिया समझाते हैं ताकि उनका फिर से नमूना न लेना पड़े। नर्स और साथ में मौजूद अन्य स्टाफ को भी सतर्क रहना पड़ता है क्योंकि नमूनों को तुरंत सील करना होता है और उन्हें उचित संग्रहण केंद्र में रखना होता है। डॉ ने पैदा होने वाले जोखिम के बारे में बताया कि अगर कोई नमूना गिर जाता है, तो यह समस्या हो सकती है। सारी चीजों को बहुत कम समय में खत्म करना होता है। इसलिए गलती की कोई गुंजाइश नहीं रहती।