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2000 से ज्यादा यौनकर्मियों पर कोरोना की मार: सरकार से लगाई गुहार
भारत में देह व्यापार पर प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन कई शहरों में रेड लाइट एरिया अभी भी मौजूद है. अजमेरी गेट से लाहौरी गेट तक एक या दो किलोमीटर के इलाके में मौजूद जीबी रोड की गिनती भारत के सबसे बड़े रेड लाइट इलाकों में होती है।
नई दिल्ली : देश में देह व्यापार पर प्रतिबंध लगा है, लेकिन कई शहरों में रेड लाइट एरिया अभी भी मौजूद है। अजमेरी गेट से लाहौरी गेट तक एक या दो किलोमीटर के इलाके में मौजूद जीबी रोड की गिनती भारत के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया में होती है। जहां एक साथ 100 से ज्यादा वैश्यालय मौजूद हैं। देह व्यापार के ये सभी ठिकाने सड़क के किनारे बनी दुकानों की छतों पर चलते हैं। जीबी रोड पर करीब 4000 से ज्यादा यौनकर्मी काम करती हैं।
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कोविड-19 के कारण लॉकडाउन हो जाने से हजारों प्रवासी मजदूर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर अपने घरों की तरफ पलायन कर रहे हैं। कुछ ऐसे भी हैं जिनके पास रहने की भी सुविधा नहीं है। ऐसे में जीबी रोड के करीब 2000 से अधिक यौनकर्मी अपने ठिकानों में ही बंद हैं, वैश्यालयों के मालिकों ने तालाबंदी के कारण जिस्मफरोशी का कारोबार बंद कर दिया है। जीबी रोड के वेश्यालय अपनी अमानवीय परिस्थितियों के लिए भी बदनाम हैं। कोरोना से लड़ने के लिए साफ-सुथरे इलाके में रहना और सोशल डिस्टेंसिंग को कोरोना वायरस से लड़ने की कुंजी कहा जा रहा है, लेकिन इन सेक्स वर्कर्स के हालात बिल्कुल इसके उलट हैं।
सेक्स वर्कर्स का दर्द
जीबी रोड पर काम करने वाली सेक्स वर्कर्स में से एक, रश्मि (बदला हुआ नाम) ने बताया, "हम इन गंदे गलियारों में बहुत कम या बिना रोशनी के फंस गए हैं। हमारी समस्याओं की तरफ से पहले ही अधिकारी आंखें मूंद लेते थे, लेकिन अब हमारे लिए चौकसी और भी सख्त हो गई । किराने का सामान या दवाई खरीदने के लिए नीचे भी नहीं जा सकते। हम में से बहुत से लोग बीमार हैं, लेकिन अब हमारे पास कोई साधन नहीं है कि हम डॉक्टर के पास पहुंचें या मदद के लिए फोन करें, हम अकेले मास्क लगाए हुए हैं. पुलिस हमारी कोई बात नहीं सुनती।हमारे पास वैसे भी बहुत कम पैसा बचा है।
ह यहां काम करने वाली कई सेक्स वर्कर्स गरीबी से बचने के लिए रेड लाइट एरिया में आईं हैं। लेकिन अब इस कारोबार में ठहराव आ गया है. अब वे खुद कहीं नहीं जा सकती हैं। वहां हजारों यौनकर्मियों के साथ-साथ 200 से ज्यादा बच्चे भी हैं। इनमें से करीब 50 बच्चे 1 माह से 1 वर्ष की उम्र के है। जिन्हें उचित खाना, मास्क और दूसरी ज़रूरी चीज़ों के बिना रहना पड़ रहा है।
मंजरी (बदला हुआ नाम), उन यौनकर्मियों में से एक है, जिसे अपने एक माह के बच्चे के लिए वापस यहां आना पड़ा। वह झारखंड के बाहरी इलाके में एक छोटे से गांव की रहने वाली है। 30 साल की मंजरी को देह व्यापार में उस वक्त धकेला गया था, जब वह 21 साल की थी। तब से वह यहां रह रही है।
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मंजरी का कहना है "जैसे ही लॉकडाउन की घोषणा की गई, कोठा मालिकों ने हमें छोड़ दिया, हमें ठीक से कुछ भी नहीं बताया। बस हमें अपने दम पर छोड़ दिया। हममें से ज्यादातर के पास पैसा नहीं है। हमारे पास बहुत कम खाना बचा है, जिसे हम आपस में बांट कर खा रहे हैं ताकि किसी तरह बचे रहे हैं। मेरे पास अपने एक महीने के बच्चे को पिलाने के लिए पर्याप्त दूध नहीं है। कुछ सामाजिक कार्यकर्ता हमारी मदद कर रहे हैं। हम जानते हैं कि भारतीय समाज में हमारा बहिष्कार होता है, लेकिन हम भी इंसान हैं। अगर सरकार हमें नहीं बचाएगी, तो हम भूखे मरेंगे. कम से कम हमारे बच्चों को तो बचाओ।
एक तो हमारे देश में देह व्यापार को लेकर कोई साफ कानून नहीं है। जिसकी वजह से इस कारोबार से जुड़ी महिलाओं का भारी शोषण होता है। ऐसे में कोरोना वायरस जैसी जानलेवा महामारी ने हजारों यौनकर्मियों को बदतर हालात में पहुंचा दिया है। जिसकी वजह से इनका भविष्य अधर में लटका हुआ है।