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कोरोना का खौफ: एक ही शव का दो बार करना पड़ा अंतिम संस्कार, जानें पूरा मामला

दिल्ली के लोक नारायण अस्पताल (एलएनजेपी) में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां स्टाफ की लापरवाही की वजह से शव की अदला बदली हो गई। इस चूक से जहां एक व्यक्ति अपने भाई के शव अंतिम विदाई देने से महरूम हो गया।

Aditya Mishra
Published on: 8 Jun 2020 6:58 AM GMT
कोरोना का खौफ: एक ही शव का दो बार करना पड़ा अंतिम संस्कार, जानें पूरा मामला
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नई दिल्ली: दिल्ली के लोक नारायण अस्पताल (एलएनजेपी) में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां स्टाफ की लापरवाही की वजह से शव की अदला बदली हो गई।

इस चूक से जहां एक व्यक्ति अपने भाई के शव अंतिम विदाई देने से महरूम हो गया, वहीं दूसरे व्यक्ति ने पिता समझकर उस शव को दफना दिया जो वास्तव में उनके पिता थे ही नहीं। इस घटना के बाद से अस्पताल में हड़कंप मचा हुआ है।

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ये है पूरा मामला

वाकया कुछ यूं हैं कि जामा मस्जिद क्षेत्र निवासी अमीनुद्दीन के भाई नईमुद्दीन को इलाज के लिए दो जून को एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

आरोप है कि पहले तो उनके भाई को एडमिट करने से इंकार कर दिया गया, लेकिन बाद में काफी कहने-सुनने के बाद उन्हें भर्ती कर लिया गया।

जांच के दौरान उनका बीपी कम रिकार्ड किया गया और सांस लेने में परेशानी की बात सामने आई थी। डॉक्टरों ने उन्हें शाम 4 बजे एडमिट किया और रात को उनकी मौत हो गई।

जब परिजनों को उनके मरने की जानकारी हुई तो शव मांगा गया, जवाब में अस्पताल की तरफ से कहा गया कि कोरोना जांच के बाद बॉडी दे दी जाएगी। परिजन भी शांत बैठ गये।

करीब 70 घंटे तक परिजन शव मिलने का इंतजार करते रहे। छह जून को उन्हें बताया गया कि नईमुद्दीन की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव है। इसके वह भाई का शव लेने के लिए शव गृह गए, लेकिन उन्हें शव नहीं मिला। उसके बाद शव की खोजबीन शुरू हुई। लेकिन काफी तलाशने के बाद भी बॉडी नहीं मिली। अस्पताल ने भी हाथ खड़े कर लिये।

काफी खोजबीन के बाद पता चला कि अस्पताल में नईमुद्दीन नाम से उस दिन दो शव थे। इसमें एक मुईनुद्दीन के भाई की, जबकि दूसरी पटपड़गंज निवासी व्यक्ति की थी।

हॉस्पिटल की तरफ से उनके भाई का शव पटपड़गंज निवासी नईमुद्दीन के परिजन को सौंप दिया गया था। उन लोगों ने बॉडी को दिल्ली गेट स्थित कब्रिस्तान में दफना दिया है। दोबारा उसके शव को निकाला गया और उसके असली हकदार को सौंपा गया जिसके बाद शव का दाह संस्कार कराया गया।

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अस्पताल प्रशासन ने दी ये सफाई

अस्पताल प्रशासन ने बताया कि इस बारे में फोरेंसिक विभाग का कहना है कि शव की पहचान परिजन को करनी होती है।

पटपड़गंज निवासी लोगों ने नाम सुनकर गलत शव की पहचान कर ली थी। अभी स्टाफ भी लगातार ड्यूटी से परेशान है और परिजन भी कोरोना से डरे हुए हैं। यह वजह थी कि अब सीसीटीवी कैमरे के नीचे शव की पहचान कराई जाएगी, ताकि ऐसी गलती न हो।

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