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वैज्ञानिकों ने किया अलर्ट, इस दौरान फिर कहर बरपा सकती है कोरोना की दूसरी लहर

वैज्ञानिकों का कहना है कि देश में लॉकडाउन हटने के बाद कुछ सप्ताह तक तो कोरोना के संक्रमण के मामलों में कमी देखी जा सकती है मगर इस बात को लेकर भी सतर्क रहना होगा कि इस खतरनाक वायरस की दूसरी लहर भी आ सकती है।

Shivani Awasthi
Published on: 25 April 2020 3:40 AM GMT
वैज्ञानिकों ने किया अलर्ट, इस दौरान फिर कहर बरपा सकती है कोरोना की दूसरी लहर
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। भारत में भले ही सही समय पर लॉकडाउन का फैसला करके कोरोना के संक्रमण की रफ्तार को कुछ हद तक नियंत्रित कर लिया मगर वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे लेकर खुशफहमी पालने की जरूरत नहीं है। वैज्ञानिकों का कहना है कि देश में लॉकडाउन हटने के बाद कुछ सप्ताह तक तो कोरोना के संक्रमण के मामलों में कमी देखी जा सकती है मगर इस बात को लेकर भी सतर्क रहना होगा कि इस खतरनाक वायरस की दूसरी लहर भी आ सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि मानसून के दौरान जुलाई और अगस्त के महीनों में यह वायरस फिर कहर बरपा सकता है।

फिर हमला करेगा यह खतरनाक वायरस

शिव नादर यूनिवर्सिटी के गणित विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर समित भट्टाचार्य का कहना है कि फिलहाल कोरोना वायरस के संक्रमण का ग्राफ एक स्तर पर स्थिर दिखाई दे रहा है। उनका कहना है कि भारत सरकार ने सही समय पर कड़े फैसले लेकर इस वायरस के संक्रमण की रफ्तार पर काफी हद तक नियंत्रण पाया है मगर हमें इस बात को लेकर भी सतर्क रहना होगा कि यह वायरस देश में फिर कहर बरपा सकता है। यह इस वायरस के हमले का दूसरा दौर होगा।

हमले का स्तर एहतियाती उपायों पर निर्भर

प्रोफ़ेसर भट्टाचार्य का मानना है की मानसून के दौरान जुलाई के अंत या अगस्त के महीने में देश में एक बार फिर इस वायरस का हमला हो सकता है। हालांकि उनका यह भी कहना है कि इसका चरमोत्कर्ष इस बात पर निर्भर करेगा कि देश में लॉकडाउन खत्म होने के बाद हम इस वायरस को रोकने की दिशा में कितने कारगर कदम उठाते हैं। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि हम सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य एहतियाती उपायों का कितना पालन करते हैं।

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फिर हो सकती है संक्रमण के मामलों में वृद्धि

बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएमसी) के प्रोफेसर राजेश सुंदरसन प्रोफेसर भट्टाचार्य की इन बातों से पूरी तरह सहमत हैं। उनका भी कहना है कि देश में लॉकडाउन की अवधि समाप्त होने के बाद जब हम सामान्य स्थिति की ओर लौटेंगे तो देश में संक्रमण के मामलों में फिर बढ़ोतरी दिख सकती है। उन्होंने चीन का उदाहरण देते हुए कहा वहां भी पाबंदी हटने के बाद संक्रमण के मामलों में तेजी दिखी है।

दोबारा हमले के प्रति रहें सतर्क

आईआईएमसी और मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएसआर) के कोरोना पर केंद्रित संयुक्त शोध पत्र में प्रमुख भूमिका निभाने वाले प्रोफेसर सुंदरसन का कहना है कि हमें इस वायरस के दोबारा हमले को लेकर सतर्क रहना होगा।

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प्रोफ़ेसर भट्टाचार्य का कहना है कि यदि हम चीन और यूरोप के अन्य देशों मैं कोरोना वायरस का विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि ठीक हो चुके लोग भी इस वायरस का शिकार बन रहे हैं। इसलिए यह कहना उचित नहीं होगा कि पहले संक्रमित हो चुके लोगों में इस वायरस के प्रति इम्यून की क्षमता पैदा हो गई है। ठीक हो चुके लोग संक्रमित लोगों के दोबारा इस वायरस का शिकार होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए संक्रमण का दूसरा दौर भी खतरनाक हो सकता है और पूरे देश की आबादी पर इस बात का खतरा मंडराता रहेगा।

आक्रामक तरीके आजमाने की सलाह

आईआईएमसी और टीआईएसआर ने पिछले दिनों कोरोना पर एक विस्तृत अध्ययन किया है। इस अध्ययन में कहा गया है कि लॉकडाउन, आइसोलेशन, क्वारंटाइन और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे कुछ नियम देश में आगामी कुछ समय तक लागू रह सकते हैं। इस शोधपत्र में भी इस खतरनाक वायरस के दूसरे हमले की चेतावनी दी गई है। साथ ही यह भी सलाह दी गई है इस वायरस से जंग जीतने के लिए आक्रामक तरीके आजमाने होंगे। शोध पत्र में कहा गया है कि वायरस का शिकार होने वाले नए मरीजों को पूरी तरह से आइसोलेट करना होगा तभी इस वायरस से जंग जीती जा सकती है।

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Shivani Awasthi

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